8 साल की उम्र में पिता खोया था पर हौसला नहीं, 20 साल बाद लिखी सफलता की इबारत, मिलिए सिक्कम की पहली IPS ऑफसर से

By रामदीप मिश्रा | Published: February 20, 2018 07:09 PM2018-02-20T19:09:27+5:302018-02-20T20:25:12+5:30

सिक्किम की पहली महिला आईपीएस अधिकारी अपराजिता राय, जिन्होंने दुखों के टूटे पहाड़ पर जीत हासिल कर एक बार नहीं बल्कि दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की। जानिए उनके बारे में-

all you need to know sikkim 1st ips officer aparajita rai | 8 साल की उम्र में पिता खोया था पर हौसला नहीं, 20 साल बाद लिखी सफलता की इबारत, मिलिए सिक्कम की पहली IPS ऑफसर से

8 साल की उम्र में पिता खोया था पर हौसला नहीं, 20 साल बाद लिखी सफलता की इबारत, मिलिए सिक्कम की पहली IPS ऑफसर से

अगर आप में कुछ करने की चाहत हो तो दुनिया की कोई चीज नहीं रोक सकती है और आप सफलता पा ही लेते हैं, लेकिन इसके लिए लगन से कार्य करने की आवश्यकता होती है और धीरे-धीरे मंजिल के करीब आ जाते हैं। ऐसी ही कड़ी मेहनत का उदाहरण हैं सिक्किम की पहली महिला आईपीएस अधिकारी अपराजिता राय, जिन्होंने दुखों के टूटे पहाड़ पर जीत हासिल कर एक बार नहीं बल्कि दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की।
 
ऐसे किया दोबारा खुद को खड़ा

दरअसल, अपराजिता पढ़ने में शुरू से ही होशियार रही हैं, लेकिन जैसे ही आठवीं वर्ष में पहुंचीं वैसे ही उनके पिता की मृत्यु हो गई और उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनके पिता सूबे के वनविभाग में डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। यह वह घटना थी जिसने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया था। हालांकि पेशे से अध्यापक मां ने अपराजिता को ढांढस बंधाया और दोबारा खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया।

कठिन परिश्रम लाया रंग

पिता की मृत्यु का कारण अपराजिता ने समझने की कोशिश की, लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही व असंवेदनशीलता ने उन्हें परेशान किया। इसके बाद उन्होंने ठाना कि वे सिस्टम में बदलाव लाएंगी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने कठिन परिश्रम करना शुरू कर दिया और 12वीं कक्षा में 95 फीसदी अंकों के साथ सिक्किम बोर्ड की टॉपर बनीं। साथ ही उन्हें बेस्ट गर्ल ऑलराउंडर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। 

दो बार की यूपीएससी की परीक्षा पास

अपराजिता की रुचि हमेशा से ही समाज के लिए कुछ करने की रही है इसलिए उन्होंने साल 2009 में पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय विश्वविद्याल से बीए एलएलबी (ऑनर्स) की डिग्री ली। इसके साथ ही साथ उन्होंने यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी थी और साल 2011 में पहली ही बार में 768वीं रेंक लेकर आईं। हालांकि इस रेंक से उन्हें संतुष्टि नहीं मिली और तैयारी जारी रखी। उन्होंने दोबारा फिर परीक्षा देकर सबको हैरान कर दिया। इस बार उन्हें 358 रेंक हासिल की, जोकि सिक्किम के इतिहास में सबसे पहली ऊंची रेंक पाने वाली महिला बनीं।

हमेशा रहती हैं सुर्खियों में

अपराजिता के सिर 28 साल की उम्र में सिक्किम की पहली महिला ऑफिसर बनने का ताज सजा और उनकी मेहनत यहीं नहीं थमी बल्कि ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट लेडी ऑउटडोर ट्रॉफी से नवाजा गया। इस समय वह पश्चिम बंगाल में पदस्थ हैं और हर समय सुर्खियों में रहती हैं। इसका कारण है कि वह कानून व्यवस्था पर कोई समझौता नहीं करती हैं। इसके अलावा उनके पदों की बात करें तो पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए 55वें बैच के सीनियर कोर्स ऑफिसर ट्रॉफी, फील्ड कॉम्बेट के लिए श्री उमेश चन्द्र ट्रॉफी और बंगाली के लिए गवर्नमेंट ट्रॉफी से नवाजा गया है।

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