कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है। महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्टूबर को चुनाव है। हरियाणा के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के बाद संजय निरुपम पार्टी में लगातार हमला कर रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे पर हमला बोला। संजय निरुपम ने कहा कि महान नेता खड़गे जी ने कल #MRCC में चुनाव की रणनीति बनाने के लिए मीटिंग बुलाई। 15 मिनट में मीटिंग खत्म हो गई। किसी को बोलने नहीं दिया। मीटिंग में खुद बोले और मेरा मजाक उड़ाकर चले गए। दुर्भावना से ग्रस्त ऐसे महान रणनीतिकार कॉंग्रेस को बचाएंगे या निपटाएँगे ?
जो कुछ आज चल रहा है उससे राहुल गांधी संतुष्ट नहीं है। जब वे लगातार काम कर रहे थे तो उन्होंने महसूस किया कि 'राहुल गांधी कमियां ना हो' ऐसा अभियान बड़े बड़े नेता दिल्ली में बैठ कर चला रहे है। इसकी जानकारी उन्हें थी।
संजय निरूपम संयम बरतें, खयाली पुलाव नहीं पकाएं : कांग्रेस
कांग्रेस ने टिकट वितरण से नाराज संजय निरुपम को नसीहत दी कि उन्हें संयम बरतना चाहिए और षड्यंत्र की कहानी गढ़ने एवं खयाली पुलाव पकाने से बचना चाहिए। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह सवाल भी किया कि मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष निरूपम उस वक्त सवाल क्यों उठा रहे हैं जब एक सीट पर उनकी पसंद के मुताबिक टिकट नहीं दिया गया?
उन्होंने हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर के बारे में भी यही कहा कि उन्हें भी संयम बरतना चाहिए। निरुपम के बयान के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने कहा, ‘‘ मैंने संजय निरूपम का ट्वीट देखा। ऐसा लगता कि वह अपनी सिफारिश के मुताबिक एक टिकट नहीं मिलने से नाराज थे। संजय निरुपम वरिष्ठ नेता हैं और उनको संयम से काम लेने की जरूरत है। षड्यंत्र वाली कहानी बताने से कुछ फायदा नहीं होने वाला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब टिकट का वितरण होता है तो कई बार ऐसा होता है कि हम जिसका नाम सुझाते हैं तो उसे टिकट नहीं मिलता।’’ तिवारी ने कहा, ‘‘संजय निरूपम जी से पूछना चाहिए कि वह उस समय सवाल क्यों कर रहे हैं जब उनको उनके मुताबिक एक टिकट नहीं मिला? ऐसा लगता है कि निरुपम का मन विचलित है।
मेरी राय है कि उन्हें अपनी कल्पनाओं पर लगाम लगाने की जरूरत है। वह खयाली पुलाव नहीं पकाएं।’’ अशोक तंवर की नाराजगी एवं बयानों के बारे में पूछे जाने पर भी तिवारी ने कहा कि तंवर को भी संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे लोगों को गहराई से सोचना चाहिए कि उनके कदम से पार्टी कमजोर तो नहीं होती है? दोनों नेताओं (तंवर और निरूपम) को आत्मचिंतन की जरूरत है कि क्या उनकी बातों से उन ताकतों को मदद नहीं मिल रही है जिन्होंने इस देश का भट्टा बैठा दिया।’’