शिवसेना ने कहा- ‘महिला शक्ति’ की जीत, केंद्र सरकार की ‘सोच’ में दिक्कत, सामना में लिखा- बहादुरी और वीरता की गौरव

By भाषा | Updated: February 19, 2020 13:05 IST2020-02-19T13:05:16+5:302020-02-19T13:05:16+5:30

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘महिला शक्ति’ की जीत करार दिया गया है और कहा गया है कि केंद्र सरकार को अपने व्यवहार और दृष्टि में बदलाव करने की जरूरत है। मुखपत्र में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का मतलब है कि केंद्र सरकार की ‘सोच’ में दिक्कत है।

Shiv Sena said- victory of 'women power', problem in 'thinking' of central government, wrote in the face- bravery and pride of bravery | शिवसेना ने कहा- ‘महिला शक्ति’ की जीत, केंद्र सरकार की ‘सोच’ में दिक्कत, सामना में लिखा- बहादुरी और वीरता की गौरव

केंद्र सरकार को अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है। 

Highlightsशिवसेना ने सेना में महिलाओं की भर्ती पर न्यायालय के फैसले की प्रशंसा की, केंद्र पर साधा निशाना।केंद्र का रुख प्रतिगामी सोच दिखाता है और यह महिलाओं का अपमान है।

सेना में महिला अधिकारियों के कमान संभालने का मार्ग प्रशस्त करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए शिवसेना ने बुधवार को इस मामले में केंद्र सरकार के रुख को ‘प्रतिगामी’ और महिलाओं का अपमान करने वाला करार दिया।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘महिला शक्ति’ की जीत करार दिया गया है और कहा गया है कि केंद्र सरकार को अपने व्यवहार और दृष्टि में बदलाव करने की जरूरत है। मुखपत्र में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का मतलब है कि केंद्र सरकार की ‘सोच’ में दिक्कत है।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सेना में लैंगिक समानता के मार्ग में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुये महिला अधिकारियों के कमान संभालने का मार्ग प्रशस्त कर दिया और कहा कि सैन्य बलों में लैंगिक दुराग्रह खत्म करने के लिये सरकार को अपनी सोच बदलनी होगी। इस फैसले का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब बहादुरी और कुर्बानी की बात आती है तो उसमें कोई लैंगिक दुराग्रह नहीं रखा जा सकता है। यह फैसला महिला शक्ति की जीत है।’’

मुखपत्र में कहा गया है कि यह स्तब्ध करनेवाला है कि केंद्र सरकार ने महिलाओं की शारीरिक क्षमता और मानसिक शक्ति पर सवाल उठाया। उसने कहा, ‘‘केंद्र का रुख प्रतिगामी सोच दिखाता है और यह महिलाओं का अपमान है।’’

सेना ने अपने मुखपत्र में रानी लक्ष्मीबाई, महारानी ताराबाई, रानी चेन्नम्मा, अहिल्याबाई होल्कर की बहादुरी और वीरता का भी हवाला दिया और कहा कि केंद्र ने महिलाओं की क्षमता पर सवाल उठाया। केंद्र सरकार का इतिहास कमजोर लगता है। संपादकीय में कहा गया है कि आजाद हिंद फौज की कप्तान लक्ष्मी सहगल को कौन भूल सकता है? केंद्र सरकार को अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है। 

Web Title: Shiv Sena said- victory of 'women power', problem in 'thinking' of central government, wrote in the face- bravery and pride of bravery

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