महाराष्ट्र चुनाव: थम नहीं रही मुंबई कांग्रेस की 'मुश्किलें', ये हैं 'चुनौतियां'

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: October 5, 2019 11:54 IST2019-10-05T11:54:39+5:302019-10-05T11:54:39+5:30

Mumbai Congress: कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय निरुपम ने पार्टी नेतृत्व के प्रति नाराजगी जताते हुए आगामी चुनाव न लड़ने का किया फैसला, जानिए वजह

Maharashtra assembly Polls 2019: Why Congress facing challenges in Mumbai | महाराष्ट्र चुनाव: थम नहीं रही मुंबई कांग्रेस की 'मुश्किलें', ये हैं 'चुनौतियां'

मुंबई कांग्रेस के नेताओं का बगावती तेवर दिखाना जारी है

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से महज एक पखवाड़े पहले ही कांग्रेस की मुंबई इकाई के बीच मतभेद सामने आने लगे हैं। पूर्व पार्टी प्रमुख संजय निरुपम ने ऐलान किया है कि वह इन चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं करेंगे। 

निरुपम पार्टी से उनके द्वारा सिफारिश किए गए कांग्रेस कार्यकर्ता को टिकट न दिए जाने से नाराज हैं।

संजय निरुपम ने दिखाए बगावती तेवर

उन्होंने गुरुवार को कहा, ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी मेरी सेवाएं और नहीं चाहती है। मैंने मुंबई में विधानसभा चुनावों के लिए सिर्फ एक नाम की सिफारिश की थी। सुना है कि उसे भी खारिज कर दिया गया है। जैसा कि मैंने नेतृत्व को पहले ही कहा था कि उस हालत में मैं चुनाव अभियान में हिस्सा नहीं लूंगा।' 

उन्होंने इसके लिए पार्टी में ही अपने प्रतिद्वंद्वियों को दोषी ठहराया और कहा कि स्थिति न बदलने पर वह पार्टी छोड़ देंगे। 

पार्टी के कुछ लोग निरुपम के बयान को दबाव बनाने की रणनीति बता रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाक्रम दिखाता है कि मुंबई कांग्रेस में चीजें अब भी नहीं सुधरी है और पार्टी में अंदरूनी लड़ाई और गुटबाजी जारी है।

इस साल हुए लोकसभा चुनावों से पहले, मुंबई कांग्रेस के कई धड़ों ने पार्टी नेतृत्व से निरुपम के खिलाफ शिकायत करते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की थी, जो उस समय पार्टी इकाई के अध्यक्ष थे, पार्टी ने निरुपम की जगह मिलिंद देवड़ा को पदभार दे दिया था। 

लेकिन इस बदलाव से भी पार्टी को लोकसभा चुनावों में कोई फायदा नहीं हुआ और वह शहर की छह में से पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव हार गई। इसकी हार की जिम्मेदारी लेते हुए देवड़ा ने सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया था।

पार्टी ने देवड़ा की जगह वरिष्ठ नेता एकनाथ गायकवाड़ को नियुक्त किया, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि स्थितियां कुछ ज्यादा बदली हैं।

मुंबई कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी से है परेशान?

जानकारों का मानना है कि मुंबई कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या गुटबाजी है। पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता एकदूसरे के साथ काम करने के इच्छुक नही हैं। शीर्ष नेतृत्व को इस बारे में पता है लेकिन वह इन नेताओं को ऐसा करने से रोकने और साथ में काम करवाने में असफल रहा है।   

इस गुटबाजी से पार्टी के जमीनी स्तर पर नुकसान हुआ है। वास्तव में शहर के कई हिस्सों में उसकी मौजदूगी ना के बराबर रह गई है। पार्टी अपना जनाधार तैयार करने में नाकाम रही है।

खिसका कांग्रेस का जनाधार

पारंपरिक तौर पर शहर में मराठी मतदाताओं पर शिवसेना का प्रभाव रहा है जबकि कांग्रेस को ज्यादातर गैर-मराठी, अल्पसंख्यकों और दलित मतदाताओं का समर्थन प्राप्त था। लेकिन पिछल कुछ सालों में, पार्टी का जनाधार ज्यादातर बीजेपी की तरफ खिसक गया है। 

पार्टी दशकों तक पार्टी के मामलों को संभालने वाले मुरली देवड़ा और गुरुदास कामत जैसे नेताओं का उत्तराधिकारी तैयार करने में विफल रही है। 

पार्टी में बढ़ती हुई गुटबाजी और शीर्ष नेताओं के बगावती सुर को देखते हुए आगामी विधानसभा चुनावों में उसके लिए शानदार प्रदर्शन करने की चुनौती होगी। 

Web Title: Maharashtra assembly Polls 2019: Why Congress facing challenges in Mumbai

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