महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: तीन बार बदला गया धामणगांव रेलवे विधानसभा क्षेत्र का नाम, जानें समीकरण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 1, 2019 09:52 IST2019-09-01T09:52:21+5:302019-09-01T09:52:21+5:30
धामणगांव रेलवे का 1951 में तालेगांव निर्वाचन क्षेत्र था. 1952 से लेकर 2004 तक चंदूर रेलवे और 2004 से अब धामणगांव रेलवे निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जाना जाता है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: तीन बार बदला गया धामणगांव रेलवे विधानसभा क्षेत्र का नाम, जानें समीकरण
अतुल शर्मा
धामणगांव रेलवे जिले का एकमात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जिसका तीन बार नाम बदला गया है. 1 मई 1962 में महाराष्ट्र की स्थापना से पूर्व यह निर्वाचन क्षेत्र मध्यप्रदेश का 153 वां क्षेत्र था. उस दौरान वह तालेगांव विधान सभा के नाम से जाना जाता था.राज्य की स्थापना के बाद से तालेगांव फिर चंदूर निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा.
धामणगांव रेलवे का 1951 में तालेगांव निर्वाचन क्षेत्र था. 1952 से लेकर 2004 तक चंदूर रेलवे और 2004 से अब धामणगांव रेलवे निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. 1951 से 1978 तक यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का परचम लहराता रहा. 1980 से 90 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के यशवंत विधायक चुने गए.
1990 में विदर्भ की आवाज बुलंद करने वाले भाजपा के अरुण अड़सड़ ने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई. जीत हासिल कर विधान सभा पहुंचे. 1995 के चुनाव में यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों को नकारते हुए जनता दल के डॉक्टर पांडुरंग ढोले के सिर पर जीत सेहरा बांध दिया.
2004 में युवाओं के दिल की धड़कन के नाम से जाने- पहचाने जाने वाले प्राध्यापक वीरेंद्र जगताप ने इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस की वापसी कराई. 2009 के चुनाव में दूसरी बार चुनाव में जीत हासिल की. वीरेंद्र जगताप ने 2014 में मोदी लहर के बावजूद अपने गढ़ को कायम रखा.
उन्होंने सनसनाती जीत हासिल कर हैट्रिक बनाई थी. यहां पर प्रधानमंत्री मोदी ने सभा भी ली थी. निर्वाचन क्षेत्र में तीन तहसीलों का समावेश है नांदगांव खंडेश्वर, चांदूर रेलवे व धामनगांव रेलवे का निर्वाचन क्षेत्र अमरावती जिले में होने के बावजूद यह निर्वाचन क्षेत्र वर्धा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
1962 में महाराष्ट्र की स्थापना के बाद सर्वप्रथम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के विधायक के रूप में भाऊराव गुलाबराव जाधव दो बार 1962 से लेकर 1967 तक विधायक रहे. 1972 में शरद तसरे, 1978 में सुधाकर सवालाके, कांग्रेस के यशवंत शेरेकर 1980 से 1990 तक, भाजपा के अरुण अडसड 1995 में , जनता दल के डॉक्टर पांडुरंग ढोले, 1999 में अरुण अडसड तथा 2004 से आज तक प्राध्यापक बीरेंद्र जगताप चुने गए.