बाबूराजा ठेंगाड़े
कांग्रेस के मजबूत किले पर भाजपा ने कब्जा जमाया है़, फिर भी लातूर शहर विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान कांग्रेस विधायक अमित देशमुख के खिलाफ भाजपा को तगड़े उम्मीदवार की तलाश करनी पड़ रही है़।
लातूर जिला कांग्रेस का मजबूत किला माना जाता था। लेकिन अब भाजपा का गढ़ माना जा रहा है़ जिला बैंक व बाजार समिति को छोड़ अधिकांश सत्ता स्थानों पर भाजपा का झंडा है़ लातूर विधानसभा क्षेत्र के इतिहास को देखने पर केवल दो बार अन्य पार्टी जीत हासिल कर पाई है।
वर्ष 1957 व 1962 में कांग्रेस के केशवराव सोनवणो विधायक रह़े 1973 व 1978 में कांग्रेस के शिवराज पाटील विधायक रह़। 1980, 1985, 1991, 1999 व 2004 में विलासराव देशमुख ने प्रतिनिधित्व किया। जबकि 1967 में एसएसपी के वीआर कालदाते और 1995 में जनता दल के शिवाजीराव पाटील कव्हेकर का अपवाद छोड़ सभी चुनाव में कांग्रेस का वर्चस्व रहा। विधानसभा की पुनर्रचना के बाद लातूर शहर विधानसभा क्षेत्र बना दिया गया।
इसमें वर्ष 2009 व 2014 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस के अमित देशमुख ने जीत प्राप्त करते हुए प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अब वे तीसरी बार चुनाव जीतते हुए हैट्रिक लगाएंगे, इसकी ओर ध्यान लगा हुआ है़।
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अमित देशमुख ने 89 हजार 480 वोटों से जीत प्राप्त की थी। जबकि 2014 में देश में चली मोदी लहर के बावजूद उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की, लेकिन उनके वोटों में गिरावट आई़ अब 2019 के चुनाव में देशमुख क्या करिश्मा दिखाते हैं, इसकी प्रतीक्षा की जा रही है़।
इस निर्वाचन क्षेत्र में आरंभ से भाजपा व शिवसेना को प्रतिनिधित्व करने का मौका अभी तक नहीं मिला है़ गत पांच वर्षो में महापालिका, जिला परिषद व लोकसभा चुनाव के परिणाम देखने पर भाजपा का जोर बढ़ गया है़।
भाजपा की ओर से शहर विधानसभा क्षेत्र से 24 इच्छुकों ने अपने साक्षात्कार दिए हैं, लेकिन अमित देशमुख के विरोध में भाजपा को मजबूत उम्मीदवार की तलाश करनी होगी़ 2014 के भाजपा उम्मीदवार शैलेश लाहोटी इस बार भी इच्छुक है़।
इसके अलावा डॉ मन्मथ भातांब्रे समेत अन्य उम्मीदवार भी इच्छुक है़ं गत पांच वर्षों में प्राप्त सत्ता, लोकसभा में मिली भारी सफलता से भाजपा क्या कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगा पाएगी या फिर कांग्रेस अपना कब्जा कायम रखेगी, इसकी सभी को उत्सुकता रहेगी।
वंचित मोर्चा की भूमिका महत्वपूर्ण़़
2019 के लोकसभा चुनाव में वंचित विकास मोर्चा के उम्मीदवार ने एक लाख से अधिक वोट प्राप्त किए थे। लातूर शहर क्षेत्र में इसका अधिक प्रभाव दिखाई दिया था। अब वंचित की ओर से एड अन्नाराव पाटील अथवा राजा मनियार के उम्मीदवार होने की संभावना है़ इससे वंचित मोर्चा कितनी छाप छोड़ेगा, इस पर बहुत कुछ निर्भर रहेगा।