एक्सक्लूसिव: गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज मामला, मोटा शुल्क वसूला पर ड्रेस ही नहीं दी, ID कार्ड भी रोके
By वसीम क़ुरैशी | Published: October 7, 2019 10:36 AM2019-10-07T10:36:06+5:302019-10-07T10:36:06+5:30
अक्सर कालेज छात्रों की वाहन चलाते समय पूछताछ ज्यादा होती है, ऐसे में उनसे उनका आईकार्ड दिखाने को भी कहा जाता है. हालांकि उक्त सरकारी कालेज शायद इसे ज्यादा अहमियत नहीं दे रहा है.
सरकारी काम में लेटलतीफी कोई नई बात नहीं है. सदर स्थित गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कालेज भी कुछ ऐसे ही अंदाज में काम करता दिखा है. यहां प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों का ड्रेस देने में कोताही और लेटलतीफी दोनों ही दिखाई दे रही है. हालांकि ड्रेस के लिए राशि वसूलने में कोई देरी नहीं की गई.
दो माह पहले ही ड्रेस के नाम पर सरकारी कालेज ने उक्त विद्यार्थियों से 1000 रुपए वसूल लिए थे. जिम्मेदारों और ड्रेस तैयार करने वाले ठेकेदार के बीच क्या ताना-बाना तैयार हुआ है इसका तो खुलासा नहीं हो पाया लेकिन सूत्रों ने बताया कि अब तक कपड़ा ही नहीं खरीदा जा सका है.
जबकि अगस्त में सिर्फ ड्रेस के लिए विद्यार्थियों से कुल तकरीबन 7-8 लाख रुपए की वसूली की गई. जिस कपड़ा सप्लायर को आपूर्ति के लिए ठेका दिया गया वह सही रंग का कपड़ा अब तक मुहैया ही नहीं करा पाया है. ड्रेस तैयार न होने की वजह से सभी ट्रेड के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को आईडी कार्ड भी नहीं दिए गए हैं.
अक्सर कालेज छात्रों की वाहन चलाते समय पूछताछ ज्यादा होती है, ऐसे में उनसे उनका आईकार्ड दिखाने को भी कहा जाता है. हालांकि उक्त सरकारी कालेज शायद इसे ज्यादा अहमियत नहीं दे रहा है.
वर्जन सही शेड का कपड़ा नहीं मिला करीब 800 विद्यार्थियों के लिए ड्रेस का कपड़ा लिया जाना है लेकिन फिलहाल सप्लायर सही शेड वाला कपड़ा उपलब्ध नहीं करा पाया है. कपड़ा तय होते ही सिलाई का काम शुरू हो जाएगा. इस बारे में फिलहाल इससे अधिक जानकारी नहीं है. अधिक जानकारी कल दे पाउंगा.
दीपक कुलकर्णी, प्रभारी, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, सदर
खुद की गलती पर विद्यार्थियों की एंट्री बंद!
कुछ विद्यार्थियों ने अपना नाम प्रकाशित न किए जाने की शर्त पर बताया कि ड्रेस के लिए पैसा दिए तीन माह बीत रहे हैं, न ड्रेस दी गई और न आईकार्ड. इस बीच कुछ दिन पहले तक प्रथम वर्ष विद्यार्थियों को ड्रेस व आईकार्ड न होने की बात कहते हुए कालेज में दाखिल तक नहीं होने दिया जा रहा था. बच्चों के पालकों ने बताया कि ये मामला तो बेहद अजीब लगा.
पैसा लेने के बाद ड्रेस नहीं दी और एंट्री पर भी रोक लगा दी. हालांकि बाद में उन्हें प्रवेश दिया जाने लगा. हैरत की बात ये है कि बरसों से चल रहे सदर पॉलिटेक्निक कॉलेज के विद्यार्थियों की ड्रेस के लिए आखिर सप्लायर अब तक सही रंग कैसे नहीं तय कर पाया?