प्याज के आसमान छूते दाम ने गृहिणियों का बजट भले ही बिगाड़ दिया हो, लेकिन आने वाले दिनों में भी इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है. इसकी वजह यह है कि केंद्र सरकार ने प्याज पर स्टॉक लिमिट लगाने से इनकार कर दिया है. लोकमत समाचार में मंगलवार को छपी खबर की पुष्टि करते हुए केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है.
महाराष्ट्र देश में सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. ऐसे में प्याज पर स्टॉक लिमिट लगाने से वहां किसानों का नुकसान होगा और महाराष्ट्र के किसान सरकार को किसान विरोधी बताएंगे. पासवान ने कहा कि प्याज के दामों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार कंट्रोल रेट पर राज्यों को सस्ता प्याज उपलब्ध करा रही है.
साल में तीन महीने (सितंबर से नवंबर तक) प्याज की फसल के लिए परेशानी वाले होते हैं. इस दौरान बारिश और बाढ़ के कारण प्याज की आवक मंडियों में कम रहती है. महाराष्ट्र में इस सीजन में काफी बारिश हुई है. इससे वहां प्याज की फसल भी खराब हुई है. सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्र के पास अभी भी 36 हजार टन प्याज का बफर स्टॉक शेष है. राज्य मांग के अनुरूप नाफेड से प्याज खरीदकर सस्ते दामों पर इसे बेचें. इससे प्याज की कीमतों में गिरावट आएगी.
बफर स्टॉक खत्म होने पर स्टॉक लिमिट लाने की सोचेंगे: कृषि मंत्री तोमर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सरकार नाफेड तथा राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीसीएफ) जैसी एजेंसियों के माध्यम से अपने बफर स्टॉक से प्याज को बाजार में ला रही है. उधर पासवान ने कहा है कि सरकार 'बफर स्टॉक खत्म हो जाने पर व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाने के बारे में सोचेगी. हम जमाखोरों और कालाबाजारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करेंगे.''