Madhya Pradesh Election 2023: सपा को राष्ट्रीय दल से दूर कर रहे राहुल!, अखिलेश यादव को दिया झटका, कमलनाथ ने बेरुखी से कहा-अरे भाई छोड़ो अखिलेश वकिलेश
By राजेंद्र कुमार | Updated: October 20, 2023 17:54 IST2023-10-20T17:36:34+5:302023-10-20T17:54:22+5:30
Madhya Pradesh Election 2023: कांग्रेस को सबक सीखने के लिए उठाए जा रहे अखिलेश यादव के इस कदम की यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आलोचना की हैं.

Madhya Pradesh Election 2023: सपा को राष्ट्रीय दल से दूर कर रहे राहुल!, अखिलेश यादव को दिया झटका, कमलनाथ ने बेरुखी से कहा-अरे भाई छोड़ो अखिलेश वकिलेश
Madhya Pradesh Election 2023: मध्य प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने एक दूसरे से दूरी बना ली है. कांग्रेस के साथ सीटों का तालमेल ना हो पाना सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका है. इसके चलते उन्होने अब कांग्रेस को सबक सिखाने की ठान ली है. मध्य प्रदेश में 30 से अधिक सीटों पर सपा के उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं.
कांग्रेस को सबक सीखने के लिए उठाए जा रहे अखिलेश यादव के इस कदम की यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आलोचना की हैं. उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ खड़ा होने के बजाय अब कांग्रेस के खिलाफ ही मोर्चा खोल रहे हैं. मध्य प्रदेश की जनता उन्हें सबक सिखाएगी.
सीटों के तालमेल पर इसलिए नहीं बनी बात:
फिलहाल मध्य प्रदेश की 30 से अधिक सीटों पर सपा द्वारा उम्मीदवारों को उतारे जाने को कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ महत्व नहीं दे रहे हैं. कमलनाथ ने शुक्रवार को इसका इजहार भी किया. पत्रकारों ने कमलनाथ से सपा के साथ सीटों का तालमेल ना हो पाने को लेकर सवाल पूछा था, तो कमलनाथ ने बेरुखी से यह कहा कि अरे भाई छोड़ो अखिलेश वकिलेश.
उनके इस जवाब से यह माना जा रहा है कि कांग्रेस अब अखिलेश यादव को मध्य प्रदेश में सपा के चुनाव लड़ने को भाव नहीं दे रही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मध्य प्रदेश में सपा कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं हैं. इस दावे के पक्ष में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि सपा ने अपनी स्थापना के बाद मध्य प्रदेश में हुए हर विधानसभा चुनाव में हिस्सेदारी की है.
लेकिन, एकाध मौकों को छोड़कर पार्टी कोई छाप छोड़ने में सफल नहीं रही है. तीस साल पहले वर्ष 1993 में सपा पहली बार चुनावी मैदान में उतरी थी और तब सभी सीटों पर उसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. वर्ष 2003 में भी जरूर सपा एमपी में सात विधानसभा सीटों पर जीती थी.
लेकिन इसके बाद सपा की सीटों की संख्या और वोटों की भागीदारी दोनों घटती गयी. पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को महज एक ही सीट मिली थी और सपा के जो विधायक जीते थे, वही भी भाजपा में चले गए. इसी वजह से कांग्रेस ने सपा के 12 सीट मांगने संबंधी दावों को तवज्जो नहीं दी.
सपा भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस का साथ दे :
हालांकि अखिलेश यादव भी यह जानते हैं कि मध्य प्रदेश में सपा कोई बड़ी राजनीतिक पार्टी नहीं है. इसके चलते ही उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने की पहल की थी. मुंबई में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद इस संबंध में कांग्रेस ने नेताओं से वार्ता की गई.
सपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस से कुछ सीटे छोड़ने का आग्रह किया. सपा के इस आग्रह का सम्मान करने हुए कांग्रेस ने सपा के साथ सीटों के तालमेल को लेकर वार्ता की तो सपा ने दस से अधिक सीटें मांगी. जिसके कांग्रेस ने नकार दिया तो वह नाराज हो गए और कांग्रेस को आड़े हाथों ले लिया.
अखिलेश यादव के कांग्रेस पर लगाए गए आरोपों को लेकर अजय राय का कहना है कि अखिलेश यादव एक बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वह कुछ भी कह सकते हैं. लेकिन अगर वो मध्य प्रदेश में भाजपा को हराना चाहते हैं तो उन्हें कांग्रेस का साथ देना चाहिए.