सीबीआई अदालत ने सेन्ट्रल एक्साइज एंड कस्टम के 3 अधिकारियों सहित 8 लोगों को सुनाई जेल की सजा, 16 करोड़ से अधिक के राजस्व नुकसान का मामला
By मुकेश मिश्रा | Updated: September 1, 2023 16:41 IST2023-09-01T16:39:23+5:302023-09-01T16:41:49+5:30
इंदौर में 2003 से 2009 तक पदस्थ निरीक्षक आशुतोष नाथ, मनोज चंद्रवंशी, कृष्णगोपाल शर्मा ने खरगोन में स्थापित मैकाल फाइक्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर मृगेंद्र जालान, डायरेक्टर दीपक नागर, असिस्टेंट मैनेजर अभिजीत सेन और राजीव दत्ता, ऑफिसर बसंतीलाल श्रीवास्तव के साथ मिलकर शासन को करोड़ों रुपए की राजस्व की हानि पहुंचाई।

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो
इंदौरःइंदौर की विशेष सीबीआई अदालत ने 16 करोड़ से अधिक की राजस्व हानि के मामले में सेन्ट्रल एक्साइज एंड कस्टम विभाग के तीन अधिकारियों सहित आठ लोगो को दोषी पाते हुए 4-4साल की सजा और 10-10 हजार रूपए के अर्थदंड से दण्डित किया है। मामला 2००7 से अदालत में था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इंदौर में 2003 से 2009 तक पदस्थ निरीक्षक आशुतोष नाथ, मनोज चंद्रवंशी, कृष्णगोपाल शर्मा ने खरगोन में स्थापित मैकाल फाइक्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर मृगेंद्र जालान, डायरेक्टर दीपक नागर, असिस्टेंट मैनेजर अभिजीत सेन और राजीव दत्ता, ऑफिसर बसंतीलाल श्रीवास्तव के साथ मिलकर शासन को करोड़ों रुपए की राजस्व की हानि पहुंचाई।
बताया जाता है की कंपनी ने करोड़ों का कॉटन विदेश में निर्यात दर्शाकर कर स्थानीय बाजार में बगैर कर चुकाए बेच दिया। इसकी जानकारी तीनो अधिकारियों को थी।
इन तीनो ने कंपनी से राजस्व वसूलने के बजाए खुद अवैधानिकरूप से लाभ अर्जित किया।अधिकारियों की मिलीभगत से शासन को करीब 16 करोड़ रूपए का राजस्व का नुकसान हुआ।
यह बात जब विभाग के बड़े अधिकारियों तक पहुँची तो उन्होंने अंदरुनी जांच कराई। जांच में यह बात सही पाई गयी। जिसके बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया।
सीबीआई ने 03 अक्टूबर 2007 को मामला दर्ज कर 30 नवंबर 2009 को इंदौर स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में सेन्ट्रल एक्साइज एंड कस्टम के तीनो अधिक आशुतोष नाथ, मनोज चंद्रवंशी और कृष्णगोपाल शर्मा तथा कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मृगेंद्र जालान, डायरेक्टर दीपक नागर, असिस्टेंट मैनेजर अभिजीत सेन और राजीव दत्ता, ऑफिसर बसंतीलाल श्रीवास्तव के खिलाफ चालान पेश किया।
सीबीआई की विशेष अदालत ने इन तीनों निरीक्षकों समेत कंपनी के पाँचों अधिकारियों को दोषी मानते हुए चार-चार वर्ष के कारावास और दस- दस हजार के अर्थदंड से दंडित किया है।