बेहद संभावनाओं के साथ पेश की गई माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली की किसी ने आलोचना की तो किसी ने उसे गब्बर सिंह कह करके उसकी आलोचना की. यह नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था वर्ष 2018 में अपने दूसरे साल में इन सबके बावजूद अर्थव्यवस्था में अपने को जमाती जा रही है और सरकार के लोग आश्वस्त हैं कि यह बहुत तेजी से देश में कर अनुपालन कराने का एक कारगर हथियार बन चुकी है और अंतत: इसमें मानक दर को केवल एक रखना संभव हो जाएगा.
जीएसटी के पक्षधर लोगों ने इस आलोचना को खारिज किया कि यह एक अच्छा कानून है, लेकिन इसको लागू करने का तरीका गलत है. जीएसटी के पक्षधर लोगों ने मलेशिया का उदाहरण दिया, जो भारत से पहले जीएसटी शुरू करने वाला आखिरी देश था. वहां इस कर के कारण उत्पन्न गड़बड़ियों के कारण नई सरकार के आते ही जीएसटी व्यवस्था समाप्त करनी पड़ी. भारत में जीएसटी को जुलाई 2017 में लागू किया गया था.
इसी के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने फिल्म ‘शोले’ के खुंखार डाकू सरदार के नाम पर इसे जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स का नाम दे डाला. विपक्षी दलों ने इसमें कर के चार स्लैब रखे जाने के कारण इसकी आलोचना में यह कहा कि यह ’एक देश, एक कर’ व्यवस्था के ध्येय से मेल नहीं खाता. लेकिन 2018 में ‘एक देश,एक कर’ की दिशा रूप लेती दिख रही. वर्ष 2018 के मध्य तक देश में कर संग्रह में भी वृद्धि देखने को मिली. पारंपरिक तौर पर कर अनुपालन के मामले में पिछड़े रहे भारत में जीएसटी के कारण कर/जीडीपी अनुपात पिछले वित्त वर्ष में 11.6 प्रतिशत पर पहुंच गया. इस वित्त वर्ष में इसके 12.1 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है.
वर्ष भर कर की दरों को तार्किक बनाये जाने पर भी काम चलता रहा. पिछले सप्ताह ही 28 प्रतिशत के शीर्ष कर दायरे से करीब दो दर्जन वस्तुओं को अपेक्षाकृत कम करों वाले स्लैब में लाया गया. जीएसटी के कारण देश में मुद्रास्फीति में भी नरमी देखने को मिली. हालांकि कई लोगों का मानना है कि जीडीपी वृद्धि पर जीएसटी का मूल असर अभी देखने को नहीं मिला है. इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भविष्य में जीएसटी के एकल दर कर व्यवस्था बनने का संकेत दिया.
कांग्रेस ने कहा कि वह शुरू से इसकी मांग कर रही थी. लेकिन जेटली ने कहा कि भारत में हवाई चप्पल और महंगी कार पर एक जैसे कर की बात करना नासमझी है. जीएसटी की मासिक वसूली अप्रैल-नवंबर 2018 के दौरान औसतन 97,100 करोड़ रुपए रही. पिछले वित्त वर्ष में मासिक वसूली का औसत 89,100 करोड़ रुपए था. इस वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान सरकार ने जीएसटी की चोरी के 12,000 करोड़ रुपए के मामले पकड़े और 8000 करोड़ रुपए की वसूली की.