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विश्व हेपेटाइटिस दिवस: कोरोना काल में लीवर को रखें सुरक्षित, लोकसभा अध्यक्ष सहित सांसदों ने ली शपथ, 10-10 लोगों को करेंगे जागरूक

By एसके गुप्ता | Updated: July 28, 2020 18:30 IST

सभी ने हेल्दी लीवर-हेल्दी इंडिया की शपथ लेते हुए संकल्प किया कि वे कोविड-19 महामारी के काल में भी अपने यकृत की देखभाल करेंगे और इस संदेश को 10-10 लोगों तक पहुंचाएंगे। हेपेटाइटिस के खिलाफ लोगों को सशक्त बनाने के ऐम्पैथी अभियान को आईएलबीएस ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर शुरू किया है।

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ठळक मुद्देन्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वर्चुअल रूप से और केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि परीक्षा की इस घड़ी में भारत विश्व के अन्य देशों के साथ महामारी से लड़ रहा है।स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के डिजिटल प्लेटफार्म पर केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को शपथ दिलाई।

नई दिल्लीः विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर ऐम्पैथी ई-कॉन्कलेव आयोजित किया गया। इसमें लोकसभा अध्यक्ष सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने हिस्सा लिया।

सभी ने हेल्दी लीवर-हेल्दी इंडिया की शपथ लेते हुए संकल्प किया कि वे कोविड-19 महामारी के काल में भी अपने यकृत की देखभाल करेंगे और इस संदेश को 10-10 लोगों तक पहुंचाएंगे। हेपेटाइटिस के खिलाफ लोगों को सशक्त बनाने के ऐम्पैथी अभियान को आईएलबीएस ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर शुरू किया है।

इस ई-कॉन्कलेव में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इनके साथ केन्द्रीय विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वर्चुअल रूप से और केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया।

स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के डिजिटल प्लेटफार्म पर केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को शपथ दिलाई। कॉन्कलेव का उद्घाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि परीक्षा की इस घड़ी में भारत विश्व के अन्य देशों के साथ महामारी से लड़ रहा है। 

हम लोगों को जागरूक कर हेपेटाइटिस के खतरों को 2030 तक कम कर सकेंगे

डब्लयूएचओ की वचनबद्धता के अनुरूप हम लोगों को जागरूक कर हेपेटाइटिस के खतरों को 2030 तक कम कर सकेंगे। भारत की जनता के प्रतिनिधि के रूप में लोगों में बीमारी के खिलाफ जागरूकता विकसित करने की हमारी जिम्मेदारी है ताकि इसे जन-आंदोलन बनाया जा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि हेपेटाइटिस एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन गई है।

वायरल हेपेटाइटिज भारत में बहुत आम और गंभीर है। हालांकि इसके बारे में लोगों के बीच जागरूकता कम है। ‘बी’ और ‘सी’ श्रेणी के हेपेटाइटिस वायरल वाले लोगों में लीवर कैंसर होने का जोखिम अधिक रहता है। एक अनुमान के अनुसार 80 फीसदी लोग जोकि पुराने वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं, उन्हें नहीं मालूम कि वे इससे संक्रमित हैं।

लोगों को शिक्षित करने का मंत्र है टॉक, टेस्ट एंड ट्रीट और मैं सभी भाग ले रहे महानुभावों विशेष रूप से उद्योगों, एनजीओ और अन्य समुदायों को इस अभियान में आईएलबीएस के साथ सहयोग करने की अपील करता हूं। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि देश के पहले प्लाज्मा बैंक ने आईएलबीएस में काम करना शुरू किया।

प्लाज़्मा वॉरियर का भारत की रिकवरी रेट में सुधार के लिए मदद करने में अहम योगदान रहा है। इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल, दिल्ली के मुख्य सचिव विजय कुमार देव, आईएलबीएस के निदेशक डॉ. एस.के. सरीन, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अरविंद सिंह और कई सांसदों ने भाग लिया। 

31 से 55 आयुवर्ग वालों को बीमारी का सर्वाधिक खतरा

गुरुग्राम स्थित एक प्रयोगशाला के एक आंतरिक अध्ययन में उजागर हुआ है कि 31 से 55 आयुवर्ग के लोगों को हेपेटाइटिस सर्वाधिक होता है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर यह अध्ययन मंगलवार को जारी किया गया। एनएबीएल से प्रमाणित नैदानिक प्रयोगशाला, सीओआरई डायग्नोस्टिक्स ने करीब 12 महीनों के दौरान 7500 मरीजों के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए हाल में यह अध्ययन किया।

हेपेटाइटिस यकृत में सूजन होती है जिसकी वजह से फाइब्रोसिस (घाव के निशान या दाग), सिरोसिस या यकृत का कैंसर हो सकता है। प्रयोगशाला द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक यह अध्ययन विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया। इसमें कहा गया कि हेपेटाइटिस से ग्रस्त पाए गए करीब 40 प्रतिशत रोगी 19 से 30 आयुवर्ग के थे।

इसमें कहा गया कि 31 से 55 आयुवर्ग के रोगियों में इसका सबसे ज्यादा खतरा देखा गया और इनका प्रतिशत 45 था। प्रयोगशाला ने कहा कि इस अध्ययन के तहत बीते एक साल में की गई 7500 से ज्यादा जांचों का विश्लेषण किया गया। जांच किये गए सभी मामलों में से करीब 60 प्रतिशत में यह रोग पाया गया जो इसकी उच्च दर को दर्शाता है।

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