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महिला आरक्षण बिल: किसी ने बताया ऐतिहासिक तो किसी ने निकाली कमियां, देखिए किसने क्या कहा

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 19, 2023 19:20 IST

बिल को सत्ता पक्ष के नेता जहां ऐतिहासिक बता रहे हैं, वहीं विपक्ष समर्थन करने के बावजूद भी कमियां निकाल रहा है। विधेयक कम से कम 2027 तक कानून नहीं बन सकता है। इसी को लेकर विपक्ष निशाना साध रहा है।

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ठळक मुद्देमहिला आरक्षण बिल पर आई मिली जुली प्रतिक्रियाबिल में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है विपक्ष समर्थन करने के बावजूद भी कमियां निकाल रहा है

नई दिल्ली: हिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को संसद में पेश किया गया। इस बिल में संसद के निचले सदन, यानी लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है। बिल को सत्ता पक्ष के नेता जहां ऐतिहासिक बता रहे हैं, वहीं विपक्ष समर्थन करने के बावजूद भी कमियां निकाल रहा है। आपको बताते हैं कि 'नारी शक्ति वंदन विधेयक' पर किसने क्या प्रतिक्रिया दी।

पश्चिम बंगाल बीजेपी विधायक और महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने कहा, "भारत की सभी महिलाएं बेहद खुश हैं और प्रधानमंत्री मोदी की आभारी हैं। इतनी सारी सरकारों ने हमसे वादा किया लेकिन कोई भी इसे सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर सका। अब विपक्ष चिल्ला रहा है कि यह उनका विचार है, अगर वे इसे लागू नहीं कर सकते तो वे किस विचार के बारे में बात कर रहे हैं।"

 महिला आरक्षण बिल पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "आज हमारी मां और बहनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा अधिकार दिया जिससे नारी शक्ति का अभूतपूर्व उत्थान होगा। देश का इतिहास हमेशा प्रधानमंत्री मोदी को इस ऐतिहासिक दिन के लिए याद करते रहेगा।"

अखिल भारतीय मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने महिला आरक्षण बिल पर कहा, "अभी भी पुरुषवादी लोग अहम् में महिलाओं को पीछे कर देते हैं। महिलाएं सिर्फ राजनीतिक पार्टी में डंडे, झंडा, कुर्सी उठाने के लिए नहीं है। महिलाओं को भी टिकट मिलना चाहिए। फिल्म की हिरोइन, जिन्होंने कभी संघर्ष नहीं किया।  उनको क्यों लोकसभा या राज्यसभा में भेजा जाता है? हमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को देखकर खुशी होती है। हमें इससे मतलब नहीं कि वे किस समाज या समुदाय से आई हैं। हमारी राष्ट्रपति महिला हैं उसी से हमें गर्व होता है। इस बिल को कांग्रेस पार्टी ला रही थी और लोकसभा में पास भी हुआ था लेकिन वर्तमान की सरकार, जो उस समय विपक्ष में थी, रोक दिया था। हम चाहते हैं कि यह सरकार उदारता से और सभी पक्षों की सहमती से इस एतिहासिक बिल को पास करे। इसमें योग्य महिलाओं को ही सीट दी जाए। ऐसा ना हो कि अगर पति मुख्यमंत्री है तो उसकी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया जाए।"

हालांकि इस बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर विपक्ष ने सवाल भी उठाए। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, "संसद में पहले भी बिल पेश किया गया था, राज्यसभा में पास भी हो गया था, अब उसे वापस लिया जाएगा। ये अब लाया गया है, ये 2029 से पहले लागू नहीं होगा। हम तो इसका समर्थन कर रहे हैं। मैं जानता हूं सदन में जो बहुमत प्राप्त लोग हैं वे एंटी-OBC हैं। वे OBC महिलाओं को आरक्षण नहीं देंगे।"

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा, "आपको यह बिल लाने में 9.5 साल क्यों लग गए? क्या यह 2014 में एक मील का पत्थर नहीं लग रहा था? आपको लग रहा है कि शायद महिला आरक्षण से चुनाव में आपको कुछ राहत मिल जाएगी। यह कांग्रेस का बिल था जो आज सदन में रखा गया। हम इसका स्वागत करते हैं। कांग्रेस पहले से चाह रही थी कि महिलाओं को सदन में आरक्षण मिले।"

महिला आरक्षण बिल पर सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, "इसमें क्या एतिहासिक है? यह कहते हैं कि आपको महिला आरक्षण 2029 में मिलेगा। इसमें परिसीमन होना जरूरी है। अगर यह (परिसीमन) नहीं होगा तो क्या होगा? यह महिलाओं को एक सपना दिखा रहे हैं कि आपको 2029 में आरक्षण मिलेगा... इनको आज महिला आरक्षण की याद क्यों आ रही हैं? इनकी सोच राजनीतिक है। यह राजनीति के अलावा सोच ही नहीं सकते हैं।"

टॅग्स :महिला आरक्षणमोदी सरकारसंसदलोकसभा संसद बिलराज्य सभाकपिल सिब्बलहेमंत विश्व शर्मा
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