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यूपी में मिलेगा महिलाओं को आरक्षण का सबसे अधिक लाभ! लोकसभा की 26, विधानसभा की 132 सीटें आरक्षित होंगी

By राजेंद्र कुमार | Updated: September 19, 2023 17:59 IST

उत्तर प्रदेश (यूपी) की महिलाओं को महिला आरक्षण विधेयक पास होने पर सबसे अधिक लाभ मिलेगा। यहां की 26 लोकसभा और 132 विधानसभा सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।

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ठळक मुद्देसंसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण बिल पेशयूपी की महिलाओं की संसद तथा विधानसभा में बढ़ेगी मौजूदगी अखिलेश और मायावती और कांग्रेस ने किया समर्थन

लखनऊ: नए संसद भवन में प्रवेश करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया। महिलाओं को आरक्षण देने वाले 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के लिए संवैधानिक संशोधन का प्रस्ताव पेश कर पीएम मोदी ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चल दिया है। पीएम मोदी का यह फैसला ऐसा है, जिसे लेकर विपक्ष भी अपनी खुशी जाहिर कर रहा है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भी देश में 43 करोड़ महिलाओं का आशीर्वाद पाने की उम्मीद बनी है।

उत्तर प्रदेश (यूपी) की महिलाओं को महिला आरक्षण विधेयक पास होने पर सबसे अधिक लाभ मिलेगा। यहां की 26 लोकसभा और 132 विधानसभा सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। आजादी के 75 साल बाद भी यहां आधी आबादी को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका था।

यूपी की महिलाओं की संसद तथा विधानसभा में बढ़ेगी मौजूदगी 

देश की नई संसद की कार्यवाही के पहले दिन केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया यह पहला बिल कई बेहद खास है। इस बिल के तहत लोकसभा के अलावा राज्यों की विधानसभाओं में भी आरक्षण का प्रावधान है। इस बिल के कानून बनने पर लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इन 181 सीटों में से 33 फ़ीसदी एससी-एसटी के लिए आरक्षित होंगी। यानी 181 में से एसटी-एससी कैटेगरी की 60 महिला सांसद होंगी। मौजूदा संसद में 82 महिला सांसद हैं। ये बिल सीधे जनता द्वारा चुने जाने वाले प्रतिनिधियों पर ही लागू होगा। इसका मतलब है कि ये आरक्षण राज्यसभा या विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

 इस बिल का सबसे अधिक फायदा यूपी में महिलाओं को मिलेगा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के 403 सदस्यों में से 48 महिलाएं हैं। यानी यूपी के सदन में महिलाओं की भागीदारी महज 12 फीसदी ही है, जो उनकी जनसंख्या के अनुपात के लिहाज से बेहद कम है। उच्च सदन यानी विधान परिषद में तो उनकी भागीदारी मात्र 6 फीसदी है। जबकि यूपी में महिलाओं की आबादी नौ करोड़ 53 लाख से भी अधिक है। लोकसभा में भी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में सिर्फ 11 महिला सांसद हैं। इस तरह से यूपी से लोकसभा सीटों में उनका प्रतिनिधित्व देश के औसत 15 फीसदी से कम है। यूपी की कुल लोकसभा सीटों में से 14 फीसदी ही महिलाओं के हिस्से में हैं। 

प्रदेश के राजनीतिक फलक पर महिलाओं की इस मौजूदगी बेहद कम है। बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सौ से अधिक महिलाओं को चुनाव लड़ाया था लेकिन वह सफल नहीं हुई। परंतु अब जब महिला आरक्षण बिल कानून बनेगा तो हर दल के महिलाओं को टिकट देना अनिवार्य होगा और तब देश की संसद तथा विधानसभा में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ेगी। यूपी में राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि महिलाओं को आरक्षण दिए जाने से उनकी राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी, जिससे उनकी मुक्ति के वास्तविक युग की शुरुआत होगी। और इससे महिलाओं को समाज में सच्चे अर्थों में बराबरी का हक मिल सकेगा।

अखिलेश और मायावती और कांग्रेस ने किया समर्थन 

यही वजह है, यूपी की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने यह भी कहा है कि महिला आरक्षण में लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए ) समाज की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भी संसद में महिला आरक्षण को लेकर पेश किए गए बिल का समर्थन किया है पर एक शर्त रख दी है। उन्होने कहा कि महिलाओं की संख्या देखते हुए आरक्षण का प्रतिशत अगर 33 की जगह 50 होता तो भी हम इसका समर्थन करते हैं। इसके तहत अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए अलग से कोटा लागू करने की मांग बसपा करती है। उम्मीद है कि संसद में इस पर चर्चा होगी। यूपी के इन नेताओं के बयान से यह साबित हो गया है कि पीएम मोदी ने महिला आरक्षण बिल का जो दांव चला है, उसमें विपक्षी खेमें के पास नाखुशी का मौका तक नहीं है।  इसलिए कांग्रेस पार्टी ने भी लगे हाथ यह कह दिया कि ये तो उनके ही प्रयासों का नतीजा है। कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग करती रही है।

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