महिला नेतृत्व और समानताः पुरुषों से तुलना में महिलाएं पीछे, नेतृत्व और उच्च पदों पर पर संख्या बेहद कम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 28, 2020 21:36 IST2020-08-28T21:36:08+5:302020-08-28T21:36:08+5:30

राजस्थान से फैलो की पहली राष्टीय प्रेसिडेंट नीता बूचरा, वरिष्ठ पत्रकार सनी सेबेस्टियन, सलाहकार मातंगी जयराम और मालवीया नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टैक्नोलाॅजी की एसोसियेट डीन डा.कनुप्रिया सचदेव से वुमन इन लीडरषिप रोल एंड इक्वालिटी आफ जेंडर के मुददे पर विचार विमर्श किया गया।

Women Leadership and Equality lag behind men less in leadership and higher positions | महिला नेतृत्व और समानताः पुरुषों से तुलना में महिलाएं पीछे, नेतृत्व और उच्च पदों पर पर संख्या बेहद कम

महिलाओं व कन्याओं को एक बेहतरीन समानता वाले समाज के लिये आगे लाना की दरकार है।

Highlightsसंघर्षों के बाद महिलाएं काफी आगे आईं हैं पर फिर भी नेतृत्व और उच्च पदों पर पुरुषों से तुलना करने पर महिलाओं की संख्या आज भी बेहद कम है। 2019 के आंकड़ों के अनुसार मात्र 6.6 प्रतिषत महिलायें फार्चून 500 कंपनियों की सीईओ है।इसी तरह 17 वीं लोकसभा में 500 सांसदों में सिर्फ 14 प्रतिषत यानि 78 महिलाएं ही सांसद हैं।

बेंगलुरुः ‘आजादी के 73 साल होने के बाद भी और संविधान में महिलाओं के लिये प्रगतिशील कानूनों बनने के बाद आज भी हम महिलाओं की स्थिति शक्तिहीन ही है।

सही शब्दों में समानता के लिए और पितृसत्तात्मक विचारधारा को कमजोर करने के लिये, देशों को समान अवसर देने वाली नीति बनाने के साथ दोनों महिला पुरुषों को एक समान महत्वपूर्ण मानना चाहिये। यह कहना था पत्रकार रोटेरियन अनुभा जैन का जो ‘वुमन इन लीडरशिप रोल एंड इक्वालिटी आफ जेंडर फाॅर ए सस्टेनेबल वल्र्ड’ नामक वर्चुअल पैनल डिस्क्षन के अवसर पर बोल रही थीं।

रोटरी क्लब बैंगलोर साउथवेस्ट के तहत इस वर्चुअल पैनल का आयोजन अनुभा जैन ने चेयर वुमन एमपावरमेंट व पब्लिक इमेज तौर पर किया। अनुभा ने पैनल में चार जानी मानी हस्तियों जिनमें फिक्की फलो जयपुर चैप्टर की फाउंडर चेयरपर्सन और राजस्थान से फैलो की पहली राष्टीय प्रेसिडेंट नीता बूचरा, वरिष्ठ पत्रकार सनी सेबेस्टियन, सलाहकार मातंगी जयराम और मालवीया नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टैक्नोलाॅजी की एसोसियेट डीन डा.कनुप्रिया सचदेव से वुमन इन लीडरषिप रोल एंड इक्वालिटी आफ जेंडर के मुददे पर विचार विमर्श किया गया।

जैन ने कहा कि आज के आधुनिक समाज में इतने संघर्षों के बाद महिलाएं काफी आगे आईं हैं पर फिर भी नेतृत्व और उच्च पदों पर पुरुषों से तुलना करने पर महिलाओं की संख्या आज भी बेहद कम है। 2019 के आंकड़ों के अनुसार मात्र 6.6 प्रतिषत महिलायें फार्चून 500 कंपनियों की सीईओ है।

इसी तरह 17 वीं लोकसभा में 500 सांसदों में सिर्फ 14 प्रतिषत यानि 78 महिलाएं ही सांसद हैं। अनुभा ने कहा कि महिलाएं व्यवसायिक व घरेलू हर स्तर पर परिस्थितियों को संभालने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं। इसलिये पूरे विष्व में आज महिला पुरुषों में समतुल्यता लाने की जरूरत है और यह देखा भी गया है कि जहां भी चाहे वह संसद हो या कोई अन्य नेतृत्व व उच्च पदों पर जहां भी महिलाओं को आसीन किया गया है वहां महिलाओं ने अपनी काबलियत सिद्द की है। इसलिये आज महिलाओं व कन्याओं को एक बेहतरीन समानता वाले समाज के लिये आगे लाना की दरकार है।

इस अवसर पर बोलते हुये नीता बूचरा ने कहा कि महिलायें मल्टी टास्कर हैं। हमें, और महिलाओं को पुरुषों के समान पायदान पर लाना होगा और साथ ही और महिलाओं को आदर्श महिलाओं के तौर पर आगे आना होगा। अवसरों की कोई कमी नहीं है पर महिलाओं को स्वयं पर विश्वास करते हुये अवसरों का फायदा लेना होगा।

बूचरा ने हंसते हुये कहा कि अगर हम वुमन के डब्ल्यू को उल्टा करे तो वह मैन का एम बनता है । इस तरह देखा जाये तो भी महिला पुरूष एक दूसरे के पूरक ही हैं। रोटेरियन अनुभा द्वारा पूछे गये सवाल कि ‘क्या आने वाले समय में महिलाओं की उच्चस्तरीय भूमिका में कम संख्या की स्थिति को देखते हुये, महिला पुरुषों की समानता की कल्पना नहीं की जा सकती हैं’।

जवाब देते हुये सनी सेबेस्टियन ने केरला के सबरीमाला में सुप्रिम कोर्ट के निर्णय और हाल में आये कन्या विरासत कानून के उदाहरण देते हुये कहा कि समय बदल रहा है। आज महिलाओं की स्थिति में बदलाव आ रहा है पर बेहद धीमी गति से। सलाहकार मातंगी जयराम ने महिलाओं की अधिक भागीदारी की बात पर जोर दिया।

उन्होंने 2020 में मात्र 25 प्रतिशत महिला लेबर फोर्स की गिरावट के आंकडे़ का जिक्र करने के साथ कोरोना महामारी के समय महिलाओं के घरेलू हिंसा के मामलों में आने वाली अधिक संख्या पर रोष व दुख प्रकट किया। मातंगी के अनुसार आज की 21वीं सदी में भी महिलायें हर तरह से सक्षम होने के बावजूद नेतृत्व व निर्णय लेने वाले उच्चस्तरीय पदांे पर आसीन नहीं हो रही हैं तथा इन पदों पर आज भी पुरुषों का वर्चस्व है जो एक बेहद चिंता का विषय है।

डा. कनुप्रिया सचदेव ने कहा कि अगर समाज में महिला पुरुष समानता आ जाये तो आधे से अधिक समस्याएं स्वत ही सुलझ जायेंगी। कड़ी को तोड़ना होगा और हर कोई इसके लिये जिम्मेदार है। हम ही चेंजमेकर है। जब समाज का नजरिया व सोच महिलाओं के प्रति सकारात्मक होगा तो महिलाओं के लिये आने वाला समय पक्ष में होता चला जायेगा और ऐसे में हम एक उज्जवल समतुल्य समाज की कल्पना कर सकते हैं। सचदेव ने कहा कि हमें बच्चों में ऐसे समानता की सोच वाले संस्कार डालने होंगे।

इस अवसर पर रोटरी क्लब बैंगलोर साउथवेस्ट के प्रेसिडेंट रो.परेष मास्टर, फस्र्ट लेडी मास्टर और क्लब कम्यूनिटी सर्विस डायरेक्टर रो. वैंकटेष एम.एन ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। अंत में कार्यक्रम के समापन में रो.स्मिता कारवे ने वोट आफ थैंक्स प्रस्तुत किया।

Web Title: Women Leadership and Equality lag behind men less in leadership and higher positions

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