चंड़ीगढ़: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें कथित तौर पर एक महिला को स्वर्ण मंदिर में जाने के लिए रोका गया है। दावा है कि महिला ने अपने चेहरे पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज को लगा रखा था, इसलिए उसे मंदिर में जाने से रोका गया है। वीडियो में महिला के साथ एक पुरुष को मंदिर के अधिकारी के साथ इस मुद्दे पर तर्क करते हुए देखा गया है।
वीडियो के सामने आने के बाद इस मुद्दे पर एसजीपीसी के महासचिव का भी बयान सामने आया है। उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि अगर किसी अधिकारी ने दुर्व्यवहार किया है तो हम क्षमा चाहते हैं..। हालांकि जब से इस वीडियो को अपलोड किया गया है तब से इंटरनेट यूजर्स इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया भी दे रहे है।
क्या दिखा है वीडियो में
वायरल हो रहे इस वीडियो में यह देखा गया है कि इस मुद्दे पर एक पुरुष कथित तौर पर स्वर्ण मंदिर के एक अधिकारी से तर्क कर रहा है। वीडियो में पुरुष को अधिकारी से यह पूछते हुए देखा गया है कि आप ने महिला को अंदर जाने क्यों नहीं दिया। इस पर अधिकारी ने कुछ जवाब दिया और फिर दोनों में बहस शुरू हो गई थी।
वीडियो के अगले हिस्से में यह भी देखा गया है कि महिला अधिकारी की बात सुनकर यह कह रही है कि बकवास बात तो बोल रहे हो आप....यह इंडिया नहीं है...। वीडियो में कथित तौर पर महिला के साथ जो पुरुष है उसके और अधिकारी के बीच यह भी तर्क होते हुए सुना गया है कि यह स्वर्ण मंदिर कहां है...इंडिया में है या नहीं है।
एसजीपीसी के महासचिव की सफाई
इस पूरे विवाद पर एसजीपीसी के महासचिव गुरुचरण सिंह ग्रेवाल ने एक बयान जारी किया है। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए ग्रेवाल ने कहा है कि "यह एक सिख धर्मस्थल है। हर धार्मिक स्थान की अपनी मर्यादा होती है... हम सभी का स्वागत करते हैं... अगर किसी अधिकारी ने दुर्व्यवहार किया है तो हम क्षमा चाहते हैं... उसके चेहरे पर लगा झंडा हमारा राष्ट्रीय ध्वज नहीं था क्योंकि उसमें अशोक चक्र नहीं था। यह एक राजनीतिक झंडा हो सकता था।"