पत्नी ने पति पर लगाया था बेवफाई का आरोप, कोर्ट ने क्रूरता बताकर युवक की तलाक अर्जी की मंजूर
By भाषा | Published: May 7, 2018 03:47 AM2018-05-07T03:47:13+5:302018-05-07T03:47:13+5:30
अदालत ने दंपति के न्यायिक विच्छेदन के निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया। दंपति ने 1978 में शादी की थी और वे लंदन में रह रहे थे।
नई दिल्ली, 7 मईः दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की तलाक की अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि पति और उसकी एक विधवा रिश्तेदार के बीच अवैध संबंध होने के पत्नी के झूठे आरोप क्रूरता के बराबर हैं। आरोप लगाने वाली महिला अपने पति से अलग रह रही है। न्यायमूर्ति जे आर मिधा ने पति को तलाक मंजूर करते हुए कहा कि अवैध संबंध के आरोप सच नहीं हैं।
अदालत ने दंपति के न्यायिक विच्छेदन के निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया। दंपति ने 1978 में शादी की थी और वे लंदन में रह रहे थे।
न्यायिक विच्छेदन की 'डिक्री' शादी का संबंध खत्म नहीं करती बल्कि दंपति को अपने संबंधों का निरीक्षण करने तथा भविष्य के बारे में सोचने का समय देती है, जबकि तलाक शादी का संबंध खत्म कर देता है।
पति और पत्नी दोनों ने अलग-अलग अपील दायर करके निचली अदालत के आदेश केा चुनौती दी थी। पति तलाक चाहता था क्योंकि उसका कहना था कि उसकी पत्नी उस पर बहुत शक करती है, उस पर अक्सर बेवफाई के आरोप लगाती है, अपशब्द कहती है, नखरे दिखाती है और उसकी मां के प्रति लापरवाह तथा गैरजिम्मेदार है।
महिला ने दावा किया था कि उसने पति के साथ कोई क्रूरता नहीं की बल्कि वह उसे धोखा दे रहा है। अदालत ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए क्रूरता के आधार पर उसका तलाक मंजूर कर लिया।