सुरक्षा परिषद क्यों नहीं लगाती आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध : भारत
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 11, 2018 11:46 PM2018-11-11T23:46:53+5:302018-11-12T00:10:29+5:30
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समितियों की यह कहते हुए आलोचना की है वे अस्पष्ट हैं और उनमें जवाबदेही का अभाव है
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समितियों की यह कहते हुए आलोचना की है वे अस्पष्ट हैं और उनमें जवाबदेही का अभाव है. इसके अलावा, ये आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को स्वीकार नहीं करने की वजह भी कभी नहीं बताया करती हैं. भारत का इशारा पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादियों की सूची में डालने की नई दिल्ली की कोशिश को चीन द्वारा बार - बार रोके जाने की ओर है.
बहुपक्षवाद को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर शुक्रवार को संरा सुरक्षा परिषद की एक परिचर्चा में भारत के स्थायी दूत (संयुक्त राष्ट्र में) सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि परिषद ने कई अधीनस्थ संस्थान बना रखे हैं लेकिन इन संस्थानों का कामकाज काफी जटिल बन गया है. उन्होंने कहा कि एक ऐसे युग में जब हम जागरूक लोग लोक संस्थाओं से पारदर्शिता की मांग बढ़ाते जा रहे हैं, प्रतिबंध समितियां अपनी स्पष्टता के मामले में सर्वाधिक खराब उदाहरण हैं और उनमें जवाबदेही का अभाव है.
अकबरूद्दीन ने कहा कि प्रतिबंध समितियां जाहिर तौर पर समूचे संयुक्त राष्ट्र की ओर से काम करती हैं. फिर भी वे हमें (आम सदस्यों को) सूचित नहीं करतीं. हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया. लेकिन यह जगजाहिर है कि सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखने वाले चीन ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को सुरक्षा परिषद की अल - कायदा प्रतिबंध समिति के तहत आतंकवादी नामित कराने के भारत के कदम को बार - बार बाधित किया है जबकि भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन प्राप्त था.
अजहर द्वारा स्थापित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की संयुक्त राष्ट्र की सूची में पहले से शामिल है. अकबरुद्दीन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सुरक्षा परिषद कार्य निष्पादन, विश्वसनीयता, औचित्य और प्रासंगिकता के संकट का सामना कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि परिषद की सदस्यता वैश्विक शक्ति के वितरण के अनुरूप नहीं है और यह समकालिक वास्तविकता को समायोजित करने में अक्षम है. उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार करने की अपील करते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने पर हम एक शांतिपूर्ण विश्व नहीं होंगे, बल्कि हमारी विश्व व्यवस्था टुकड़ों में बंटी होगी.