सोनिया गांधी को आखिर क्यों विपक्ष के नेताओं की बैठक बुलाने के लिए होना पड़ा मजबूर, जानें क्या है इनसाइड स्टोरी

By शीलेष शर्मा | Updated: August 20, 2021 19:41 IST2021-08-20T19:41:23+5:302021-08-20T19:41:23+5:30

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी के पास पार्टी का कोई औपचारिक पद नहीं है। इस वजह से सोनिया गांधी को बैठक बुलाने की पहल करनी पड़ी

Why Sonia Gandhi forced to convene meeting of opposition leaders inside story | सोनिया गांधी को आखिर क्यों विपक्ष के नेताओं की बैठक बुलाने के लिए होना पड़ा मजबूर, जानें क्या है इनसाइड स्टोरी

सोनिया गांधी विपक्ष को एकजुट करने में जुटीं (फाइल फोटो)

Highlightsराहुल गांधी के बैठक बुलाने पर विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं के शिरकत होने पर था संदेहराहुल गांधी के पास पार्टी का कोई औपचारिक पद भी नहीं है, इस वजह से भी अन्य दलों में है कंफ्यूजन ममता बनर्जी ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात में विपक्ष को एकजुट करने की जिम्मेदारी उठाने की सलाह दी थी

नई दिल्ली: कांग्रेस के अंदर और बाहर वरिष्ठ विपक्षी के बीच फैले असमंजस के कारण शुक्रवार को सोनिया गांधी को विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाने के लिये मज़बूर होना पड़ा। हालांकि पहले राहुल गांधी ऐसी बैठक बुलाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन विपक्ष वरिष्ठ नेता उसमें शिरकत करेंगे या नहीं, इस दुविधा को देखते हुए सोनिया को बैठक बुलाने का निर्णय लेना पड़ा । 

कांग्रेस के उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार दूसरा बड़ा कारण राहुल गांधी के पास पार्टी का कोई औपचारिक पद न होने के कारण सोनिया को बैठक बुलाने की पहल करनी पड़ी क्योंकि पिछले दिनों संसद सत्र के दौरान राहुल ने विपक्षी नेताओं की जितनी बैठकें बुलाईं विपक्ष का कोई बड़ा नेता उन बैठकों में शामिल नहीं हुआ। फिर चाहे शरद पवार हों अथवा अखिलेश यादव या ममता बनर्जी। 

सूत्र बताते हैं कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोनिया से अपनी मुलाकात के दौरान साफ कह दिया था कि जब तक राहुल कांग्रेस में औपचारिक पद नहीं लेते, विपक्ष को मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद करने की ज़िम्मेदारी उनको उठानी होगी। 

कांग्रेस के अंदर भी यह सवाल उठ रहा है कि पार्टी का अधिकृत नेता कौन है। पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का साफ मानना था कि राहुल ने बिना किसी पद के पार्टी नेता पद की भूमिका निभाई है। 

संसद सत्र के दौरान धरना, प्रदर्शन के अलावा साईकिल और ट्रैक्टर पर संसद भवन पहुंचना, विपक्षी नेताओं की बैठक बुला कर साझा रणनीति बनाना बाबजूद इसके यह साफ नहीं हो रहा कि पार्टी का नेतृत्व किसके पास है। 
उनका मानना था कि राहुल को नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाल लेनी चाहिये। 

पार्टी सूत्र बताते हैं कि सोनिया भी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती हैं। चूंकि वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल औपचारिक रूप से इस वर्ष के अंत में समाप्त हो रहा है, ऐसे में अब पार्टी नये अध्यक्ष का चुनाव 2022 में कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है। उस समय तक सोनिया को ही विपक्ष को लामबंद करने की जिम्मेदारी उठानी होगी।

Web Title: Why Sonia Gandhi forced to convene meeting of opposition leaders inside story

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