हज करने गए भारतीय मुसलमानों के हाथों में तिरंगा छाता, जानिए वायरल हुई तस्वीरें के पीछे का सच
By धीरज पाल | Updated: August 22, 2018 21:13 IST2018-08-22T21:05:58+5:302018-08-22T21:13:43+5:30
इस साल सावन में कांवड़ यात्री के तिरंगा लेकर यात्रा कर रहे थे और अब हजी लोग तिरंगा लेकर यात्रा कर रहे हैं।

हज करने गए भारतीय मुसलमानों के हाथों में तिरंगा छाता, जानिए वायरल हुई तस्वीरें के पीछे का सच
नई दिल्ली, 22 अगस्त: इस वक्त सऊदी अरब में हज यात्री का हुजूम उमड़ पड़ा है। हज यात्रा करने वालों को हजी कहा जाता है। मक्का में दुनिया से बहुत से हजी आते हैं। हजी इतने तादाद में होते हैं कि दूसरे देश से आए हजी को पहचानना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इस बार हज यात्रा में आप भारत के हजी को आसानी से पहचान सकेंगे। सोशल मीडिया पर मक्का से बहुत सी तस्वीरें आ रही हैं जिसमें भारत के हजी तिरंगा का छाता लेकर दिखाई दे रहे हैं। जी हां, इस साल हज यात्रा में भारतीय तिरंगा का छाता हजी लेकर चल रहे हैं। मालूम हो कि इस साल सावन में कांवड़ यात्री के तिरंगा लेकर यात्रा कर रहे थे और अब हजी लोग तिरंगा लेकर यात्रा कर रहे हैं। ऐसा क्यों? आइए जानते हैं कि इसके पीछे की क्या वजह है।
हजी क्यों ले जा रहे हैं तिरंगा छाता
मक्का शहर में भारतीय हजी छोटे-छोटे तिरंगा वाला छाता लेकर चल रहे हैं। हजी तिरंगा वाला छाता लेकर चलने से दो मकसद पूरा हो रहा है। पहला ये कि छाता तेज धूप से बचाता है और दूसरा अगर कोई भारतीय खो जाता है तो उसकी पहचान जल्द ही हो सकती है। हज कमिटी ऑफ इंडिया के एक सदस्य का मानना है कि यह तिंरगा भारतीय हजी को गर्व महसूस कराता है। इसके अलावा हाल ही में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसके साथ ही उनका मानना है कि इससे हजी हमेशा हजी भारतीय हज कमिटी के अधिकारियों के रेडार पर रहते हैं। साथ ही बताया जा रहा है कि इससे ये दो मकसद तो पूरे ही होते हैं साथ में जब हम खुदा से अपने लिए कुछ मांग रहे होते हैं तो वो अपने देश की मिट्टी के लिए दुआ करेंगे।
मालूम हो कि इस साल हज के लिए पहुंचे 20 लाख मुस्लिमों में से 1 लाख 75 हजार भारतीय हैं। हर साल भारत समेत अन्य कई देशों से मुस्लिम यात्री सऊदी अरब की धरती पर अपने पवित्र धार्मिक स्थल मक्का-मदीना में हज करना जाता है। इस्लाम के पांच आधार हैं जिन पर सभी मुसलमानों को अमल करना चाहिए। ये पाँच आधार हैं- 'शहादा, सलात या नमाज़, सौम या रोज़ा, ज़कात और हज। हालांकि हज करना हर मुसलमान के लिए बाध्यकारी नहीं है। इस्लामी यकीन के अनुसार शारीरिक और आर्थिक दोनों तरीकों से सक्षम मुसलमानों के लिए हज फर्ज है। जो सक्षम हैं उनके लिए जीवन में एक बार हज करना जरूरी है। ऐसे मुसलमान को इस्लाम में 'मुस्ताती' कहा जाता है।
