लोकपाल मुद्दा पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार का जवाब पूरी तरह से असंतोषजनक
By भाषा | Published: July 25, 2018 05:25 AM2018-07-25T05:25:43+5:302018-07-25T05:25:43+5:30
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने चयन समिति की 19 जुलाई की बैठक की जानकारी देने वाले केन्द्र के हलफनामे को ‘‘पूरी तरह से असंतोषजनक’’ बताया।
नई दिल्ली, 25 जुलाईः सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के लिये तलाश समिति के गठन के मामले में सरकार के जवाब को आज ‘‘पूरी तरह असंतोषजनक’’ बताकर खारिज किया और चार हफ्तों में ‘‘बेहतर हलफनामा’’ मांगा। यह निर्देश केन्द्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल के इस बयान पर आया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और चर्चित न्यायविद मुकुल रोहतगी वाली चयन समिति ने 19 जुलाई को बैठक करके तलाश समिति के सदस्यों के लिये नामों पर विचार किया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेसी सांसद और लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भी इस बैठक में बुलाया गया था लेकिन उन्होंने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने चयन समिति की 19 जुलाई की बैठक की जानकारी देने वाले केन्द्र के हलफनामे को ‘‘पूरी तरह से असंतोषजनक’’ बताया।
केन्द्र से नये हलफनामे में पूरी जानकारी देने के लिए कहते हुए पीठ ने कहा कि यह हलफनामा पूरी तरह असंतोषजनक है। इसलिए हम इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं और संबंधित प्राधिकार को आज से चार हफ्ते के भीतर पूरी जानकारी वाला बेहतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
गैर सरकारी संगठन ‘कामन काज’ की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केन्द्र ने चयन समिति की अगली बैठक की किसी निश्चित तारीख का जिक्र नहीं किया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र वास्तव में लोकपाल कानून बनने के पांच साल बाद भी इसमें विलंब कर रहा है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय को प्राधिकारियों के खिलाफ अब अवमानना कार्यवाही शुरू करनी चाहिए या फिर न्यायालय को ही संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल करके लोकपाल की नियुक्ति कर देनी चाहिए।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वह केन्द्र के जवाब से संतुष्ट नहीं है। पीठ ने केन्द्र को चार सप्ताह के भीतर आवश्यक विवरण के साथ नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 27 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि लोकपाल कानून में प्रस्तावित संशोधन संसद से पारित होने तक इस कानून पर अमल टालते जाना न्यायोचित नहीं है।
इस फैसले के बाद भी लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर गैर सरकारी संगठन कामन काज ने न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की जिस पर आजकल शीर्ष अदालत विचार कर रही है।
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