कौन थे के. कस्तूरीरंगन?, रॉकेट विकास में अहम रोल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 25, 2025 15:07 IST2025-04-25T14:06:37+5:302025-04-25T15:07:09+5:30
Indian Space Research Organization: अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को 27 अप्रैल को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा।

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नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इसरो के पूर्व प्रमुख महत्वाकांक्षी नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को तैयार करने वाली मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। परिवार के सूत्रों ने बताया कि वह 84 वर्ष के थे और उनके परिवार में दो बेटे हैं। पिछले कुछ महीने से वह उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। अधिकारियों ने बताया, ‘‘आज सुबह बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया। अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को 27 अप्रैल को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा।’’
एनईपी में सूचीबद्ध शिक्षा सुधारों के प्रणेता के रूप में मशहूर कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। उन्होंने राज्यसभा के सदस्य (2003 से 2009 तक) और भारत के तत्कालीन योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं।
कस्तूरीरंगन अप्रैल 2004 से 2009 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बेंगलुरु के निदेशक भी रहे थे। पूर्व इसरो प्रमुख का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में सी. एम. कृष्णास्वामी अय्यर और विशालाक्षी के घर हुआ था।
तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाला उनका परिवार त्रिशूर जिले के चालाकुडी में बस गया था। उनकी मां पलक्कड़ अय्यर परिवार से थीं। अगस्त 2003 में सेवानिवृत्त होने से पहले अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने नौ साल तक इसरो के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके अनुकरणीय कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।