IAS officer V K Pandian: जानें कौन हैं वी कार्तिकेय पांडियन, विधानसभा चुनाव से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, 23 साल करियर में सीएम पटनायक के कैसे करीबी बने!

By सतीश कुमार सिंह | Updated: October 24, 2023 09:45 IST2023-10-24T09:42:24+5:302023-10-24T09:45:21+5:30

IAS officer V K Pandian: कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस संबंध में ओडिशा के सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है।

who is IAS officer V K Pandian Centre approves voluntary retirement of powerful Odisha private secretary to Chief Minister Naveen Patnaik | IAS officer V K Pandian: जानें कौन हैं वी कार्तिकेय पांडियन, विधानसभा चुनाव से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, 23 साल करियर में सीएम पटनायक के कैसे करीबी बने!

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Highlightsवी कार्तिकेय पांडियन ओडिशा के सत्ता के गलियारों में काफी प्रभाव रखते हैं। भाजपा और कांग्रेस ने पांडियन पर सेवा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें अहम भूमिका दी जा सकती है।

IAS officer V K Pandian: केंद्र ने 2000 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी वी के पांडियन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को मंजूरी दे दी, जो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव के रूप में कार्यरत थे। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस संबंध में ओडिशा के सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है।

वी कार्तिकेय पांडियन ओडिशा के सत्ता के गलियारों में काफी प्रभाव रखते हैं। हाल के महीनों में अधिकारी अपनी कार्यशैली विशेष रूप से राज्य हेलीकॉप्टर का उपयोग करके जिलों के तूफानी दौरे के लिए ओडिशा में विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए थे। विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने पांडियन पर सेवा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी वीके पांडियन ने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के सूत्रों ने बताया कि वह पार्टी में शामिल हो सकते हैं और विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें अहम भूमिका दी जा सकती है।

राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। मुख्यमंत्री के बेहद करीबी सहयोगी माने जाने वाले पांडियन अक्सर विवादों में रहे हैं। विपक्षी दलों का पांडियन पर आरोप है कि उन्होंने (पांडियन ने) राजनीतिक लाभ पाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। पांडियन, ओडिशा कैडर के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।

ओडिशा सरकार के प्रशासनिक विभाग को लिखे एक पत्र में केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा कि पांडियन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित नोटिस अवधि की छूट के साथ स्वीकार कर लिया गया है। पांडियन ने नौकरशाही के अपने करियर की शुरुआत 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ के ‘सब-कलेक्टर’ के रूप में की थी।

उन्हें 2005 में मयूरभंज का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया था और फिर 2007 में पांडियन को गंजम का जिलाधिकारी बनाया गया। गंजम में अपने पदस्थापन के दौरान ही वह मुख्यमंत्री के करीबी हो गए। पटनायक मूल रूप से गंजम जिले के रहने वाले हैं। पांडियन, 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में पदस्थ हुए, और तब से वह पटनायक के निजी सचिव रहे।

पटनायक के 2019 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पांडियन को सरकारी विभागों में कुछ परिवर्तनकारी योजनाओं को लागू करने के लिए '5टी सचिव' की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी। पांडियन ने राज्य का तूफानी दौरा किया था और जन शिकायतें सुनने के लिए 190 बैठकें की थीं, जिसके बाद विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग की थी तथा उन्हें आधिकारिक रूप से बीजू जनता दल (बीजद) में शामिल होने को कहा था। कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उल्का ने कहा कि अगर पांडियन अगले चुनाव से पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाल लेते हैं, तो उन्हें जरा भी आश्चर्य नहीं होगा।

उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''ओडिशा में सत्ता की संरचना ही ऐसी है कि किसी को नहीं पता कि क्या हो रहा है, लेकिन हर कोई जानता है कि चीजों को कौन नियंत्रित कर रहा है। छुट्टियों के दौरान तीन दिनों में सेवानिवृति को मंजूरी - बहुत तेज(प्रक्रिया)।'' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एसएस सलुजा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के पांडियन के फैसले का स्वागत किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके फैसले का स्वागत करते हैं। उन्हें यह पहले कर लेना चाहिए था। हम नहीं जानते कि वह राजनीति में आएंगे या अपने राज्य लौट जाएंगे। हालांकि, यदि वह बीजद में शामिल होते हैं तो यह विपक्ष के लिए, खासतौर पर कांग्रेस के लिए मददगार साबित होगा।’’

भाजपा के मुख्य सचेतक मोहन मांझी ने कहा कि पांडियन ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इस्तीफा दिया है। उन्होंने दावा किया, ‘‘अब, वह अपने चेहरे पर नौकरशाह के नकाब के बिना खुलकर राजनीति कर सकेंगे। उन्हें ओडिशा की जनता स्वीकार नहीं करेगी।’’

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