Waqf hearing: "माफ कीजिए मिस्टर, जब हम कोर्ट में बैठते हैं तो किसी धर्म के मानने वाले नहीं रहते", वक्फ बिल की सुनवाई पर बोले चीफ जस्टिस

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 17, 2025 10:13 IST2025-04-17T10:11:20+5:302025-04-17T10:13:12+5:30

Waqf hearing: जब सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता पर सुनवाई कर रहा था, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने से संबंधित दलील पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

When we sit in court we are no longer followers of any religion says Chief Justice of hearing of Waqf Bill | Waqf hearing: "माफ कीजिए मिस्टर, जब हम कोर्ट में बैठते हैं तो किसी धर्म के मानने वाले नहीं रहते", वक्फ बिल की सुनवाई पर बोले चीफ जस्टिस

Waqf hearing: "माफ कीजिए मिस्टर, जब हम कोर्ट में बैठते हैं तो किसी धर्म के मानने वाले नहीं रहते", वक्फ बिल की सुनवाई पर बोले चीफ जस्टिस

Waqf hearing:सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के समर्थन में केंद्र द्वारा पेश की गई उस दलील पर कड़ा संज्ञान लिया कि इस तर्क के अनुसार, हिंदू न्यायाधीशों की पीठ को वक्फ से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के उन प्रावधानों पर सवाल कर रही थी जो केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति देते हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘क्या आप ये सुझाव दे रहे हैं कि मुस्लिमों सहित अल्पसंख्यकों को भी हिंदू धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन करने वाले बोर्ड में शामिल किया जाना चाहिए? कृपया इसे खुलकर बताएं।’’

मामले में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रावधानों का बचाव करते हुए जोर दिया कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना सीमित है और इन निकायों की मुख्य रूप से मुस्लिम संरचना को प्रभावित नहीं करता है। मेहता ने यह भी कहा कि गैर-मुस्लिम भागीदारी पर आपत्ति तार्किक रूप से न्यायिक निष्पक्षता तक विस्तारित हो सकती है और उस तर्क से, पीठ स्वयं मामले की सुनवाई करने से ‘‘अयोग्य’’ हो जाएगी।

मेहता ने कहा कि यदि वैधानिक बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की उपस्थिति पर आपत्ति स्वीकार कर ली जाती है, तो वर्तमान पीठ भी मामले की सुनवाई नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘तब यदि हम उस तर्क के अनुसार चलते हैं, तो माननीय (मौजूदा पीठ के न्यायाधीश) इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘नहीं, माफ कीजिए मिस्टर मेहता, हम केवल न्याय निर्णय के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। जब हम यहां बैठते हैं, तो हम किसी धर्म के मानने वाले नहीं रह जाते हैं। हम पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं। हमारे लिए, एक पक्ष या दूसरा पक्ष समान है।’’ 

Web Title: When we sit in court we are no longer followers of any religion says Chief Justice of hearing of Waqf Bill

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