जब अटल बिहारी वाजपेयी पर लगे आतंकियों के आगे घुटने टेकने के आरोप, कहानी कन्धार हाईजैक की

By रंगनाथ | Published: August 22, 2018 07:19 AM2018-08-22T07:19:33+5:302018-08-22T07:19:33+5:30

अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924- 16 अगस्त 2018) प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले देश के पहले गैर-कांग्रेसी पीएम थे।

When Atar Bihari Vajpayee Government accused of kneeling in front of the terrorists, | जब अटल बिहारी वाजपेयी पर लगे आतंकियों के आगे घुटने टेकने के आरोप, कहानी कन्धार हाईजैक की

जब अटल बिहारी वाजपेयी पर लगे आतंकियों के आगे घुटने टेकने के आरोप, कहानी कन्धार हाईजैक की

नई दिल्ली, 22 अगस्त:अटल बिहारी वाजपेयी नेहरू युग के आखिरी नेता थे जिनकी पक्ष-विपक्ष सबमें इज्जत थी। वाजपेयी खुद भी विपक्षियों से मतभेद तो रखते थे, लेकिन मनभेद नहीं रखते थे। उनके विरोधी भी उनके प्रति ऐसा ही रवैया रखते थे। लेकिन, वाजपेयी के राजनीतिक जीवन में कई ऐसे मोड़ आये जब उनपर गम्भीर आरोप लगे। ऐसा ही एक आरोप है 1999 में प्रधानमंत्री के तौर पर आतंकवादियों के सामने घुटने टेक देने का आरोप।

क्या है इंडियन एयरलाइंस के विमान IC814 के अपहरण का मामला?

बात 24 दिसम्बर 1999 की है। वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री के तौर पर देश की बागडोर संभाले हुए थे।

24 दिसम्बर 1999 को शाम करीब 5.30 बजे हरकत-उल-मुजाहिद्दीन नामक पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन के पाँच आतंकवादियों ने नेपाल की राजधानी काठमाण्डु से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या IC814 का अपहरण कर लिया।

यह विमान (IC814) काठमाण्डु से नई दिल्ली आ रहा था। आतंकवादियों ने बंदूक की नोक पर विमान को हाईजैक कर लिया और वो उसे पहले पाकिस्तान और बाद में अफगानिस्तान के कन्धार ले गये। उस समय कन्धार पर आतंकवादी संगठन तालिबान का  कब्जा था। 

भारत के अगवा हुए विमान IC814 में कुल 178 यात्री और 11 क्रू मेम्बर सवार थे। 

अपहरण के कुछ घण्टों बाद ही आतंकवादियों ने विमान में सवार 25 वर्षीय रूपन कात्याल की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी।

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पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाते समय इस विमान ने दुबई में भी ईंधन भरवाया जिसके बदले 26 यात्री रिहा करवाए गये। 

आतंकवादियों ने पहले 36 आतंकवादियों को रिहा करने और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मांग की थी। 

करीब एक हफ्ते बाद भारतीय जेलों में बन्द तीन खूँखार आतंकवादियों की रिहाई के बदले सभी बन्धकों  को वाजपेयी सरकार ने मुक्त कराया।

वाजपेयी सरकार ने जिन आतंकवादियों को छोड़ा वो कौन थे?

वाजपेयी सरकार बन्धकों को छुड़ाने के लिए जिन तीन आतंकवादियों को छोड़ा वो थे- मसूद अज़हर, उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर।

वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री जसवंत सिंह इन तीनों आतंकवादियों को लेकर कन्धार गये थे और उनके बदले बन्धकों को छुड़वाया था।

मसूद अज़हर ने साल 2000 में जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन की स्थापना की। इस संगठन ने साल 2001 में भारतीय संसद पर हमले समेत कई बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दिया।

उमर सईद शेख ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड टावरों पर 11 नवंबर 2001 को हुए हमले में प्रमुख भूमिका निभायी थी।

IC814 अपहरण मामले में वाजपेयी सरकार पर लगा आरोप

आतंकवादियो ने जब विमान को काठमाण्डु से हाईजैक किया तो उसमें इतना ईंधन नहीं था कि उसे कन्धार तक ले जाया जा सके।

कन्धार पहुँचने से पहले विमान को अमृतसर में करीब 45 मिनट तक रोक कर उसमें ईंधन भरा गया था।

कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने उस समय ही भारत सरकार पर अमृतसर में बन्धकों को मुक्त कराने की कोई कोशिश न करने को लेकर आलोचना की।

कई विशेषज्ञों वाजपेयी सरकार पर इतने गम्भीर मामले में पर्याप्त मुस्तैदी न दिखाने का आरोप लगाया।

RAW के पूर्व चीफ एएस दुलत ने किताब में लगाए गम्भीर आरोप 

कन्धार विमान अपहरण के करीब डेढ़ दशक बाद अटल बिहारी वाजपेयी की उस समय और ज्यादा किरकिरी हुई जब रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(RAW ) के पूर्व प्रमुख एएस दुलत ने कन्धार हाईजैक को तत्कालीन सरकार की 'नाकामी' बताया।

दुलत ने साल 2015 में प्रकाशित अपनी किताब  "Kashmir: The Vajpayee Years" (कश्मीर: वाजपेयी के वक्त में) में कन्धार हाईजैक को लेकर वाजपेयी सरकार को कठघरे में खड़ा किया।

दुलत ने लिखा पहले तो वाजपेयी सरकार कन्धार हाईजैक से कुशलता के साथ निपटने में विफल रही और बाद में अपनी विफलता छिपाने के लिए एक-दूसरे पर इसका दोष मढ़ना शुरू कर दिया।

विमान का अपहरण करीब 5.30 बजे हुआ। वाजपेयी को करीब डेढ़ घण्टे बाद अपहरण की खबर दी गयी। उस समय वाजपेयी के सहयोगी रहे कंचन गुप्ता ने भी इस बात की तस्दीक की थी कि वाजपेयी को IC814 के अपहरण की जानकारी करीब सात बजे मिली थी।

घटना के वक्त वाजपेयी विमान यात्रा कर रहे थे। उनके विमान में दूरसंचार की सुविधा थी फिर भी उन्हें अपहरण की खबर नहीं दी गयी। जब वाजपेयी दिल्ली पहुँचे तब उन्हें  इसकी खबर मिली।

वाजपेयी सरकार की सुस्ती

कंचन गुप्ता के अनुसार जब वाजपेयी दिल्ली पहुँचे तो उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ब्रजेश मिश्रा हवाईअड्डे पर उनका इंतजार कर रहे थे।

वाजपेयी ने जब IC814 के अपहरण पर आपात बैठक बुलायी तब तक विमान के अमृतसर में रुकने की खबर आ चुकी थी। दुलत इस मामले से निपटने वाले क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (सीएमजी) के भी सदस्य थे। 

वाजपेयी सरकार पर आरोप लगा कि अमृतसर में विमान उतरने की खबर के होने के बावजूद वो समस्या के समाधार के लिए समय रहते कोई कदम नहीं उठा पायी।

दुलत ने अपनी किताब में आरोप लगाया कि पंजाब के पुलिस प्रमुख सरबजीत सिंह ने बताया था कि उनसे अमृतसर में विमान रोकने का आदेश नहीं मिला था।

दुलत के अनुसार जसवंत सिंह और लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान सरकार को कई बार फ़ोन करके अनुरोध किया था कि वो विमान को लाहौर से उड़ान न भरने दें।

लेकिन भारत पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और अफगानिस्तान तीनों देशों से कूटनीतिक सौदेबाजी में विफल रहा।

वाजपेयी के प्रधान सचिव एनके सिंह पर लगे आरोप

कन्धार विमान अपहरण मामले में वाजपेयी के तत्कालीन प्रधान सचिव रहे नौकरशाह एनके सिंह की भूमिका पर भी सवाल उठे।

वाजपेयी सरकार पर यह आरोप भी लगा कि अमृतसर में अपहृत विमान को न रोकने की एक वजह उस समय पीएमओ में तैनात नौकरशाह एनके सिंह के नजदीकी रिश्तेदार शशि भूषण सिंह का विमान में सवार होना भी था। 

सिंह उस समय वाजपेयी के काफी करीबी माने जाते थे। आरोप लगा कि एनके सिंह नहीं चाहते थे कि अहरमकर्ताओं के खिलाफ कमांडो कार्रवाई की जाए क्योंकि उससे उनके रिश्तेदार तोमर की जान को जोखिम हो सकता था।

हालाँकि एनके सिंह पर आरोपों की कभी पुष्टि नहीं हो सकी।

कन्धार हाईजैक पर बीजेपी की सफाई

कन्धार हाईजैक मामले पर लगे आरोपों की सफाई में तत्काली विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कहा था कि बन्धकों को छुड़ाने के बदले तीनों आतंकवादियों को छोड़ने का फैसला सामूहिक था।

जसवंत सिंह के अनुसार इस मसले पर हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता और तब नेता विपक्ष मनमोहन सिंह भी शामिल थे।

बीजेपी नेताओं ने बचाव में यह भी कहा कि तीन आतंकवादियों के बदले वो 150 से ज्यादा मासूमों की जान को जोखिम नहीं पहुँचा सकती थी।

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