पटना: बिहार में सत्ता के समीकरण अब बदल गए हैं। सत्ता की चाबी तो नीतीश कुमार के पास ही है लेकिन सहयोगी भाजपा अब सरकार से बाहर हो गई है। नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया और राजद के साथ हाथ मिला लिया है। तेजस्वी यादव के साथ नए गठबंधन की शुरुआत करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि छोड़ो कल की बातें। गठबंधन तोड़ कर राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में जाने पर प्रदेश भाजपा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
पार्टी ने एक संवंददाता सम्मेलन में कहा "जनता ऐसा करने वालों को सबक सिखा देगी।" नीतीश के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा, "हमने एनडीए के अंतर्गत 2020 का विधानसभा चुनाव साथ लड़ा था। जनादेश जेडीयू और बीजेपी के लिए था। हमने ज्यादा सीटें जीती थीं लेकिन नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। आज जो कुछ हुआ है,वह बिहार के लोगों और भाजपा के साथ धोखा है।"
बता दें कि साल 2020 के विधानसभा चुनावों में 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में भाजपा को 77 और जदयू को 45 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि भाजपा ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। अब नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ कर राजद के साथ जाने का फैसला किया है जिसके पास 79 सीटें हैं। नीतीश कुमार पटना में राज्यपाल फागू चौहान से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं। राजद के साथ हाथ मिलाने के बाद अब नीतीश कुमार का दावा है कि उनके पास 160 विधायकों का समर्थन है। नई सरकार में कांग्रेस भी शामिल हो सकती है। भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के मुद्दे पर नीतीश कुमार कह चुके हैं कि एक नहीं कई समस्याएं थीं। हमारे नेता सब कुछ विस्तार से बता देंगे।
नीतीश कुमार भाजपा से गठबंधन तोड़ने और इस्तीफा देने के बाद तेजस्वी यादव के साथ राजभवन पहुंचे और सरकार बनाने का दावा पेश किया। माना जा रहा है कि नई सरकार में तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने कहा है कि जैसा बिहार में हुआ है वैसा ही जल्दी कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी होगा।