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ब्लॉग: भारत लाए गए चीतों की मौत की आखिर क्या है असल वजह?

By ऋषभ मिश्रा | Updated: May 3, 2023 12:45 IST

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हार्ट अटैक सिर्फ इंसानों को नहीं आता है. हाल ही में मध्य प्रदेश के ‘कूनो नेशनल पार्क’ में ‘उदय’ नाम के चीते की मौत की घटना सामने आई है. कूनो नेशनल पार्क की अथॉरिटी के अनुसार 22 अप्रैल तक उदय नाम का ये चीता बिल्कुल ठीक था और उसकी मेडिकल जांच में सब कुछ सही पाया गया था. लेकिन 23 अप्रैल की सुबह वन विभाग ने चीते को लड़खड़ाते हुए देखा जिसके बाद उसे मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया जहां शाम करीब 4 बजे उदय ने दम तोड़ दिया. हैरान करने वाली बात यह है कि उदय की मौत ‘हार्ट अटैक’ से हुई है जिसकी पुष्टि शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुई है.

गौरतलब है कि सितंबर में नामीबिया से 8 चीते आने के बाद दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो नेशनल पार्क में लाए गए थे. 6 साल का उदय भी उनमें से एक था. इससे पहले 26 मार्च 2023 को मादा चीता साशा की भी रहस्यमय तरीके से मौत हुई थी. 23 जनवरी को साशा में थकान और कमजोरी के वैसे ही लक्षण दिखे थे जैसे उदय में दिखाई दिए थे, जिसके बाद इलाज के दौरान साशा ने दम तोड़ दिया था. 

दावा किया गया था कि साशा भारत लाए जाने से पहले ही किडनी की बीमारी से पीड़ित थी जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. भारत में चीतों की वापसी के 8 महीनों में 2 चीतों की मौत ने कई सवालों को जन्म दे दिया है. पहला सवाल तो ये है कि आखिर चीतों की मौत की असली वजह क्या है?  

इस सवाल का जवाब अमेरिका के ‘नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन’ के एक शोध में मिलता है जिसमें वर्ष 1967 से 2014 के दौरान 243 ऐसे चीतों पर अध्ययन किया गया जो कि कैद में या फिर ‘कंट्रोल एनवायरनमेंट’ में रह रहे थे. अध्ययन में पाया गया कि कैद के माहौल में रहने वाले 64 फीसदी चीतों को किडनी की बीमारी थी जबकि खुले माहौल में रहने वाले सिर्फ 3 फीसदी चीतों को किडनी की बीमारी की संभावना थी. कैद में रहने वाले चीतों की किडनी में हानिकारक केमिकल खतरनाक स्तर पर बढ़े हुए पाए गए. 

इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि कैद में रहने वाले चीते बहुत ज्यादा तनाव में रहते हैं जिसका असर उनकी किडनी पर पड़ता है. यानी इंसानों की तरह चीते भी डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. आशंका ये जताई जा रही है कि भारत में 2 चीतों की मौत के पीछे भी डिप्रेशन ही असली वजह है. 

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि एक चीते को सामान्य मूवमेंट के लिए 100 वर्ग किमी का इलाका चाहिए होता है. जबकि कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता साशा को 5 वर्ग किमी इलाके में छोड़ा गया था. दूसरी तरफ उदय जिस बाड़े में ‘क्वारंटाइन’ था उसका साइज महज 1500 वर्ग मीटर था. यानी मृत दोनों चीते एक तरह से कैद के माहौल में थे.

टॅग्स :Madhya PradeshWildlife Conservation Department
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