'लॉकडॉउन लागू करने के पीछे मोदी सरकार का क्या है मापदंड और कितने लंबे समय तक जारी रहेगा', सोनिया गांधी ने उठाए सवाल
By शीलेष शर्मा | Published: May 6, 2020 05:14 PM2020-05-06T17:14:34+5:302020-05-06T17:15:04+5:30
कांग्रेस की बैठक में राज्यों के आर्थिक संकट को लेकर विस्तार से चर्चा हुयी ,सभी मुख्य मंत्रियों ने आरोप लगाया कि कोरोना की जंग राज्य सरकारें लड़ रही हैं और केंद्र सरकार अपनी तिज़ोरी भरने में लगा है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने टिप्पड़ी की कि जब तक व्यापक प्रोत्साहन पैकेज नहीं दिया जाता तब तक राज्य और देश कैसे चलेगा?
नई दिल्ली: कांग्रेस ने मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर तीखा हमला बोला। कांग्रेस अंतरिम अध्यक्षसोनिया गाँधी ने जहाँ सरकार से सवाल किया कि लॉक डॉउन लागू करने के पीछे सरकार का मापदंड क्या है और यह लॉकडॉउन कितने लंबे समय तक जारी रहेगा।
सोनिया ने पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में कहा, ‘17 मई के बाद क्या? 17 मई के बाद कैसे होगा? भारत सरकार यह तय करने के लिए कौन सा मापदंड अपना रही है कि लॉकडाउन कितना लंबा चलेगा.' बैठक में हिस्सा ले रहे पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने सोनिया गाँधी का समर्थन करते हुए कहा कि हमें यह जानने की जरूरत है कि लॉकडाउन तीन के बाद क्या होगा, क्या सरकार लॉक डॉउन चार और फिर लॉक डॉउन पांच लागू करेगी क्या। सरकार को चाहिये कि वह अपनी रणनीति और उसके आधार को सार्वजनिक करे।
बैठक में राज्यों के आर्थिक संकट को लेकर विस्तार से चर्चा हुयी ,सभी मुख्य मंत्रियों ने आरोप लगाया कि कोरोना की जंग राज्य सरकारें लड़ रही हैं और केंद्र सरकार अपनी तिज़ोरी भरने में लगा है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने टिप्पड़ी की कि जब तक व्यापक प्रोत्साहन पैकेज नहीं दिया जाता तब तक राज्य और देश कैसे चलेगा? हमें 10 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का अब तक नुकसान हो चुका है.
राज्यों ने प्रधानमंत्री मोदी से पैकेज के लिए लगातार आग्रह किया है, लेकिन जबाब मिलने की जगह सन्नाटा है ,गहलोत की टिप्पड़ी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ,सोनिया गाँधी ,पी चिदंबरम ,राहुल व अन्य नेताओं ने सुझाव दिया कि राज्यों को पैकेज देने के लिये केंद्र पर दवाव बनाया जाये ,सभी नेता इस राय से सहमत थे कि राज्य सरकारों की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भेज कर पैकेज देने की माँग की जाये जिसके लिये कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पहल करें।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने तो मोदी सरकार को बिना ज़मीनी हक़ीक़त जानने वाली सरकार बता डाला ,उन्होंने कहा 'दिल्ली में बैठे लोग जमीनी हकीकत जाने बिना कोविड-19 के जोनों का वर्गीकरण कर रहे हैं, जो चिंताजनक है.' इनको पता ही नहीं कि ज़मीन पर क्या हालत है और उनसे कैसे निपटना है।
किसानों को लेकर जब चर्चा शुरू हुयी तो सोनिया ने कहा, ‘हम अपने किसानों खासकर पंजाब और हरियाणा के किसानों का धन्यवाद करते हैं कि जिन्होंने तमाम दिक्कतों के बावजूद गेहूं की शानदार उपज पैदा करते हुए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का मानना था कि राज्यों की वित्तीय हालत बेहद खराब है लेकिन केंद्र उन्हें कोई धनराशि आवंटित नहीं कर रहा है.
केंद्र द्वारा पेट्रोल और डीज़ल पर लगाये गये करों पर गहरी चिंता जताते हुये इसका चौतरफा विरोध करने का निर्णय लिया गया ,हालांकि कुछ मुख्यमंत्रियों ने पेट्रोल डीज़ल पर राज्य का कर लगाये जाने की बात कही लेकिन पार्टी इस पर एक राय नहीं थी ,उल्लेखनीय है कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश ने इस तरह की नीति राजस्व की भरपाई के लिये अपनाई है।