पश्चिम बंगाल: टीएमसी-CPM नेताओं के सहारे बीजेपी लाई सुनामी, इन नेताओं को ज्वाइन करते ही दिया था टिकट
By निखिल वर्मा | Published: May 25, 2019 10:15 AM2019-05-25T10:15:45+5:302019-05-25T10:17:40+5:30
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खासमखास रहे मुकुल रॉय नवंबर 2017 में बीजेपी ज्वाइन की थी। इसके बाद लगातार टीएमसी के कई बड़े नेता और कार्यकर्ता बीजेपी से जुड़ते चले गए। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने मुकुल रॉय के सहारे ही टीएमसी के गढ़ बंगाल और पार्टी में सेंध लगाई है।
लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पश्चिम बंगाल में वामदलों और ममता बनर्जी के गढ़ में अप्रत्याशित सफलता पाई है। पीएम नरेंद्र मोदी की छवि और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कड़ी मेहनत के सहारे पार्टी बंगाल में 18 सीटें जीतने में सफल रही है। बीजेपी को इस चुनाव में 40.25 फीसदी मत मिले। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी को सिर्फ दो सीटें मिली थी।
टीएमसी नेताओं के सहारे बंगाल में बीजेपी की सुनामी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खासमखास रहे मुकुल रॉय ने नवंबर 2017 में बीजेपी ज्वाइन की थी। इसके बाद लगातार टीएमसी के कई बड़े नेता और कार्यकर्ता बीजेपी से जुड़ते चले गए। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने मुकुल रॉय के सहारे ही टीएमसी के गढ़ बंगाल और पार्टी में सेंध लगाई है।
लोकसभा चुनाव शुरू होने से ठीक एक महीने पहले टीएमसी के कद्दावर नेताओं ने बीजेपी ज्वाइन की और बीजेपी ने इन्हें लोकसभा उम्मीदवार भी बनाया। इन सभी ने जीत हासिल की है। इसके अलावा 300 का आंकड़ा पार करने के लिए बीजेपी को सीपीएम नेताओं से भी परहेज नहीं रहा। बीजेपी के बंगाल के 18 सांसदों में से छह नेता पूर्व में टीएमसी या सीपीएम में रह चुके हैं।
अर्जुन सिंह, बैरकपुर लोकसभा सीट
तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह 14 मार्च 2019 को बीजेपी में शामिल हुए थे। पार्टी ने इन्हें बैरकपुर लोकसभा सीट से दिनेश त्रिवेदी के खिलाफ उतारा। यह क्षेत्र मुख्य रूप से हिंदी भाषी हिंदी भाषी लोगों का वर्चस्व वाला है। अर्जुन सिंह ने कड़े मुकाबले में त्रिवेदी को 14857 वोटों से हराया।
सौमित्र खान, विष्णुपुर लोकसभा सीट
तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद सौमित्र खान 9 जनवरी 2019 को बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें बीजेपी में लाने में मुकुल रॉय की भूमिका अहम रही। बीजेपी उम्मीदवार सौमित्र खान ने विष्णुपुर सीट से 78 हजार वोटों से जीत हासिल की।
नीतीश प्रमाणिक, कूच विहार लोकसभा सीट
टीएमसी नेता नीतीश प्रमाणिक ने 1 मार्च 2019 को बीजेपी में आए। पार्टी ने उन्हें कूच विहार से टिकट दिया। प्रमाणिक ने टीएमसी उम्मीदवार को 54231 वोटों से हराया।
लॉकेट चटर्जी, हुगली लोकसभा सीट
पश्चिम बंगाल में बीजेपी की फायरब्रांड महिला नेता लॉकेट चटर्जी फरवरी 2015 में पार्टी में शामिल हुई थी। पार्टी ने उन्हें महिला मोर्चा अध्यक्ष भी बनाया है। इसी साल मार्च महीने में पश्चिम बंगाल में रामनवमी जुलूसे के दौरान हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी।
बंगाल पुलिस ने इस मामले में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष और पार्टी की महिला मोर्चा अध्यक्ष लॉकेट चटर्जी के खिलाफ हथियार अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर किया। बीजेपी ने लॉकेट चटर्जी को हुगली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, जहां उन्होंने 73362 वोटों से जीत दर्ज की।
मुर्मू खागेन, मालदा उत्तर लोकसभा सीट
सीपीएम विधायक खागेन ने 12 मार्च 2019 को बीजेपी ज्वाइन किया था। बीजेपी ने इन्हें मालदा उत्तर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। खागेन इस सीट पर टीएमसी उम्मीदवार मौसम नूर को 84288 वोटों से हराया।
शांतनु ठाकुर, बनगांव
बनगांव लोकसभा सीट पर भाजपा के शांतनु ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस की ममता ठाकुर को 1,11,594 मतों के अंतर से शिकस्त दी। ममता बाला ठाकुर शांतनु की चाची हैं। इस सीट पर भाजपा को 6,87,622 वोट मिले जबकि तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार को 5,76,028 वोट हासिल हुए। शांतनु ‘ऑल इंडिया मतुआ महासंघ’ की कुलदेवी बोरोमा (बीनापाणि देवी) के परिवार से आते हैं।
तृणमुल ने सबसे पहले मतुआ संप्रदाय के महत्व को पहचाना और मतुआ महासंघ की प्रधान दिवंगत वीणापाणि देवी (बोरोमा) के पुत्र मंजुल कृष्ण ठाकुर को सांसद बनाया। लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा ने मंजुल कृष्ण ठाकुर को अपने पाले में करने में सफलता प्राप्त की थी। बोरो मां के बड़े बेटे दिवंगत कपिल कृष्ण ठाकुर की पत्नी ममता बाला ठाकुर लोकसभा चुनाव 2014 में टीएमसी से सांसद बनी थीं। वहीं बीजेपी ने बोरोमा के छोटे बेटे मंजुल कृष्ण ठाकुर व पोते शांतनु ठाकुर को अपने खेमे में शामिल कर लिया। फरवरी 2019 में पश्चिम बंगाल में रैलियां करने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी बोरोमा से भी मिलने पहुंचे थे।
74 विधानसभा सीटों पर मतुआ समुदाय प्रभावशाली
मतुआ समुदाय मुख्य रूप से बांग्लादेश से आए छोटी जाति के हिंदू शरणार्थी हैं और इन्हें लगभग 70 लाख की जनसंख्या के साथ बंगाल का दूसरा सबसे प्रभावशाली अनुसूचित जनजाति समुदाय माना जाता है। बनगांव लोकसभा क्षेत्र में 50 फीसदी से ज्यादा मतुआ समुदाय के लोग हैं। हालांकि प्रदेश के विभिन्न दक्षिणी जिलों में इस समुदाय की जनसंख्या लगभग एक करोड़ है, जो प्रदेश की कुल 294 विधानसभा सीटों में से कम से कम 74 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार को प्रदेश में 2011 और फिर 2016 विधानसभा चुनाव जिताने में मतुआ समुदाय ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
बीजेपी की जीत में पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की कम भूमिका नहीं है। कहा जा रहा है कि विजयवर्गीय को इस बार मोदी सरकार में शामिल किया जा सकता है। शाह-विजयवर्गीय-मुकुल रॉय की तिकड़ी ने जहां ममता को नुकसान पहुंचाया, वहीं सीपीएम, सीपीआई और कांग्रेस के वोट बैंक को ही ध्वस्त कर दिया। 34 सालों तक बंगाल में राज करने वाले वामदलों को सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस 5.61 फीसदी।
पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने वाले है। नतीजे के दिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ऐलान कर चुके हैं अब बंगाल में वर्चस्व कायम करना है। अब ममता बनर्जी के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है।