पश्चिम बंगाल: इस बार के चुनाव में पीछे छूटा गोरखालैंड का मुद्दा, विकास और रोजगार के मुद्दे हावी

By भाषा | Updated: April 14, 2021 15:59 IST2021-04-14T15:59:55+5:302021-04-14T15:59:55+5:30

West Bengal: Gorkhaland issue, development and employment issues dominate in this time election | पश्चिम बंगाल: इस बार के चुनाव में पीछे छूटा गोरखालैंड का मुद्दा, विकास और रोजगार के मुद्दे हावी

पश्चिम बंगाल: इस बार के चुनाव में पीछे छूटा गोरखालैंड का मुद्दा, विकास और रोजगार के मुद्दे हावी

(प्रदीप ताप्तदार)

दार्जिलिंग, 14 अप्रैल गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के दो धड़ों के बीच दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्रों में वर्चस्व की लड़ाई के चलते गोरखालैंड का मुद्दा इस चुनाव में पीछे छूटता नजर आ रहा है। इनमें से एक धड़े का नेतृत्व बिमल गुरुंग जबकि दूसरे धड़े का नेतृत्व उनके पूर्व साथी बिनय तमांग कर रहे हैं। इस बार सभी प्रमुख पक्ष कोविड-19 महामारी के बीच विकास पर जोर दे रहे हैं।

बीते तीन दशकों या उससे अधिक समय से अलग गोरखा राज्य के गठन और जनजातीय इलाकों में स्वायत्त परिषद बनाने का प्रावधान करने वाली संविधान की छठवीं अनुसूची को लागू करना पर्वतीय दलों के दो प्रमुख चुनावी मुद्दे रहे हैं।

गुरुंग का तीन साल तक छिपे रहने के बाद सामने आना और क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर तमांग से उनकी तकरार ने राजनीतिक समीकरण बदल दिये हैं।

इसके अलावा पर्वतीय इलाकों का आर्थिक आधार कहे जाने वाले चाय और पर्यटन उद्योगों के महामारी के चलते संकटों से घिरने के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। दार्जिलिंग के मतदाताओं को इस बात का ऐहसास है कि उन्हें गुजर-बसर के लिये अन्य चीजों के मुकाबले ढांचागत विकास और रोजगार के अवसरों की अधिक जरूरत है।

पर्वतीय क्षेत्रों की तीन विधानसभा सीटों दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कुर्सियांग में इस बार चतुष्कोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है। भाजपा, कांग्रेस-वाम-आईएसएफ गठबंधन, और टीएमसी के ''पर्वतीय क्षेत्रों के दो मित्र'' कहे जाने वाले गुरुंग तथा तमांग नीत जीजेएम के धड़ों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं। दोनों धड़ों के उम्मीवादर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

टीएमसी सूत्रों ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बात को लेकर माथापच्ची चल रही है कि प्रचार अभियान या मतदान के दिन किस धड़े के उम्मीदवार को समर्थन दिया जाए क्योंकि अधिकतर कार्यकर्ता गुरुंग धड़े की ओर दिखाई दे रहे हैं।

तमांग ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''इस विधानसभा में अलग राज्य की मांग हमारे लिये मुद्दा नहीं है। हम पर्वतीय इलाकों के विकास, रोजगार और प्रशासन को लेकर अधिक चिंतित हैं। हमने 52 सूत्रीय घोषणापत्र भी जारी किया है। ''

पिछले साल दार्जिलिंग लौटे गुरुंग भाजपा छोड़ टीएमसी के पाले में आ गए थे। उन्होंने कहा कि उनके संगठन के लिये गोरखालैंड का मुद्दा हमेशा सर्वोपरि रहेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में क्षेत्र के समग्र विकास का मुद्दा छाया हुआ है।

उन्होंने कहा, ''कोविड-19 महामारी के चलते चाय, लकड़ी और पर्यटन उद्योग को तगड़ा झटका लगा है। लोग अब रोजगार, विकास और बेहतर जीवन स्तर की मांग कर रहे हैं।

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Web Title: West Bengal: Gorkhaland issue, development and employment issues dominate in this time election

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