पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर BJP में मतभेद, CAA पर रणनीति बनाने के लिए असमंजस में फंसी

By भाषा | Published: February 13, 2020 06:48 PM2020-02-13T18:48:00+5:302020-02-13T18:48:00+5:30

पश्चिम बंगाल में पिछले साल से एनसीआर के जरिये कथित घुसपैठियों को बाहर निकालने और नया नागरिकता कानून बड़े मुद्दे बनकर उभरे हैं। एक ओर जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इनका पुरजोर विरोध कर रही है, वहीं भाजपा इन्हें लागू कराने पर दबाव बना रही है।

West Bengal BJP divided on strategy for 2021 state polls | पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर BJP में मतभेद, CAA पर रणनीति बनाने के लिए असमंजस में फंसी

भारतीय जनता पार्टी (फाइल फोटो)

Highlightsदिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में इस बात को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं। भाजपा को हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों मे आम आदमी पार्टी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में इस बात को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं कि सीएए-एनआरसी पर अपनी आक्रामक रणनीति पर ही आगे बढ़ा जाए या फिर इसमें थोड़ी नर्मी लाई जाए और शासन की बेहतर एवं वैकल्पिक नीतियां भी पेश की जाएं। भाजपा को हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों मे आम आदमी पार्टी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

आम आदमी पार्टी दिल्ली में तीसरी बार सरकार बनाने को तैयार है। इस हार के चलते भाजपा 2021 में पश्चिम बंगाल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर दुविधा में पड़ गई है। भाजपा ने 2019 में हुए संसदीय चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटें भी भाजपा के खाते में गईं थी।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ''हमने देखा कि लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव के नजीते बिल्कुल उलट हैं। इसलिए, हम यह मान कर नहीं चल सकते कि हमने बंगाल में 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है, तो विधानसभा चुनाव भी जीत लेंगे।''

उन्होंने कहा, ''हमें राज्य के चुनावों के लिये रणनीति बदलनी होगी। यह जरूरी नहीं है कि जो चीजें राष्ट्रीय चुनावों में काम करती हैं, राज्य के विधानसभा चुनाव में भी वे काम करेंगी। हमारा चुनाव अभियान में सिर्फ सीएए के कार्यान्वयन और एनआरसी की जरूरत को रेखांकित नहीं किया जाना चाहिये। उसमें शासन की वैकल्पिक और बेहतर नीतियों पर भी समान जोर दिया जाना चाहिये।''

राज्य में पिछले साल से एनसीआर के जरिये कथित घुसपैठियों को बाहर निकालने और नया नागरिकता कानून बड़े मुद्दे बनकर उभरे हैं। एक ओर जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इनका पुरजोर विरोध कर रही है, वहीं भाजपा इन्हें लागू कराने पर दबाव बना रही है।

भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष के करीबी माने जाने वाले पार्टी के एक और वर्ग का मानना है कि पश्चिम बंगाल में पार्टी की रणनीति बदलने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आक्रामक राजनीति से पार्टी को सकारात्मक नतीजे मिले हैं।

भाजपा के एक नेता ने कहा, ''अगर आप तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टी से मुकाबला कर रहे हैं तो आपको आक्रामक रणनीति अपनाए रखनी होगी। नये नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी के मुद्दों को लेकर हमारे प्रचार अभियान से लोकसभा चुनाव में अच्छे नतीजे सामने आए थे।''

उन्होंने कहा, ''अगर हम अपनी रणनीति बदलते हैं तो यह माना जाएगा कि हम पीछे हट रहे हैं। इससे हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जाएगा। इसमें कोई शक नहीं कि हम वैकल्पिक शासन की राजनीति करेंगे लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम सीएए-एनआरसी को लेकर अपना अभियान धीमा कर दें।'' 

Web Title: West Bengal BJP divided on strategy for 2021 state polls

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