Wayanad Lok Sabha seat: केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने नामांकन पत्र के साथ दाखिल हलफनामे में 20 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है। गांधी ने बुधवार को रिटर्निंग ऑफिस में नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्होंने हलफनामे में 9,24,59,264 रुपये की चल संपत्ति घोषित की है और अपनी स्वयं अर्जित अचल संपत्ति का मूल्य 7,93,03,977 रुपये दिखाया है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि स्व-अर्जित अचल संपत्ति का वर्तमान बाजार मूल्य 9,04,89,000 रुपये और विरासत में मिली संपत्ति का मूल्य 2,10,13,598 रुपये है।
गांधी ने दावा किया है कि उन पर 49,79,184 रुपये की देनदारी है। हलफनामे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गांधी ने घोषणा की है कि उनके पास 55,000 रुपये नकदी हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने कुल 15,88,77,083 रुपये की संपत्ति घोषित की थी जबकि 2014 में यह 9.4 करोड़ रुपये थी। गांधी का रोडशो 2019 के कार्यक्रम से बिल्कुल अलग था।
भीड़ में सहयोगी आईयूएमएल के हरे झंडों की संख्या कांग्रेस पार्टी के झंडों से ज्यादा थी। इस बार रोडशो के दौरान दोनों दलों के झंडे नहीं दिखे। वायनाड के कलपेट्टा में आयोजित रोडशो में कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) सहित यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के सभी प्रमुख घटक दलों ने भाग लिया।
यूडीएफ कार्यकर्ता मुख्य रूप से राहुल गांधी की तस्वीरें और कांग्रेस का चुनाव चिह्न ‘हाथ’ की तख्तियां थामे हुए थे। पार्टी कार्यकर्ता झंडों की जगह विभिन्न रंगों के गुब्बारे थामे हुए थे। कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा कि 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने केरल के निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए गांधी की आलोचना करते हुए टिप्पणी की थी कि क्षेत्र में एक रैली के दौरान यह पहचानना मुश्किल था कि यह भारत है या पाकिस्तान। शाह ने परोक्ष रूप से कांग्रेस नेता के रोडशो के दौरान आईयूएमएल के हरे झंडों की मौजूदगी का जिक्र किया था।
सूत्र ने बताया कि भाजपा की ओर से ऐसी संभावित नकारात्मक प्रतिक्रियाओं की चिंता के कारण कांग्रेस ने इस बार रैली, रोडशो के दौरान झंडे प्रदर्शित नहीं करने का फैसला किया होगा। सूत्र ने कहा कि ऐसी आशंका है कि यदि झंडे प्रदर्शित किए गए तो भाजपा इसे राहुल गांधी के खिलाफ ‘दुष्प्रचार’ के अवसर के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।
इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने गांधी के रोड शो में गठबंधन सहयोगी आईयूएमएल के झंडे नहीं प्रदर्शित करने के लिए कांग्रेस पर कटाक्ष किया और आरोप लगाया कि उत्तर भारत में इसके नतीजों को देखते हुए ऐसा कदम उठाया गया। माकपा के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन ने कहा, ‘‘अगर झंडे प्रदर्शित किए जाते, तो आईयूएमएल के झंडे कांग्रेस के झंडों पर भारी पड़ जाते।
अगर कांग्रेस का झंडा और आईयूएमएल का झंडा प्रदर्शित किया जाता तो उत्तर भारत में क्या दृश्य बनता? इसलिए, उन्होंने रोडशो के दौरान कांग्रेस या आईयूएमएल के झंडे नहीं ले जाने का फैसला किया।’’ माकपा नेता पर पलटवार करते हुए कांग्रेस विधायक टी सिद्दीकी ने कहा कि ऐसी टिप्पणियों से उस पार्टी की ‘‘गंदी राजनीति’’ का पता चलता है।
सिद्दीकी ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘झंडे नहीं, बल्कि चुनाव चिह्न महत्वपूर्ण हैं। उनके पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है, इसलिए वे गंदी राजनीति कर रहे हैं। यूडीएफ में बहुत सारी पार्टियां हैं। चूंकि राहुल गांधी हमारे उम्मीदवार हैं और हाथ हमारा चुनाव चिह्न है, इसलिए हमने (रोडशो के लिए) एक उम्मीदवार, एक चिह्न पर फैसला किया।’’