Sambhal Violence Holi and Jumma: अगर मेरा बयान वाकई अनुचित था, तो मुझे सज़ा क्यों नहीं दी?, सीओ चौधरी ने कहा-हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्यों नहीं?, देखें वीडियो
By सतीश कुमार सिंह | Updated: March 26, 2025 18:24 IST2025-03-26T18:21:32+5:302025-03-26T18:24:59+5:30
Sambhal Violence Holi and Jumma: मैंने हमेशा दोनों धर्मों के लिए समान रूप से बात की है, आपसी विश्वास और सद्भाव पर ज़ोर दिया है।

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Sambhal Violence Holi and Jumma: होली और जुमा (शुक्रवार) की नमाज की तुलना कर सुर्खियों में आने वाले उत्तर प्रदेश के संभल पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) अनुज चौधरी ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए अपने पुराने बयान का बचाव किया। चौधरी ने कहा कि अगर एक भी व्यक्ति को मेरा बयान इतना गलत लगता है, तो उन्होंने इसे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्यों नहीं दी? अगर मेरा बयान वाकई अनुचित था, तो उन्होंने मुझे सज़ा क्यों नहीं दी? मैंने हमेशा दोनों धर्मों के लिए समान रूप से बात की है, आपसी विश्वास और सद्भाव पर ज़ोर दिया है।
Uttar Pradesh: On his statement regarding Holi and Jumma, Sambhal CO Anuj Chaudhary says, "If even one person believed my statement was so wrong, why didn’t they challenge it in the High Court or Supreme Court? Why didn’t they ensure I was punished if my statement was truly… pic.twitter.com/ZY7WGqjeXj
— IANS (@ians_india) March 26, 2025
किसी के साथ भी गलत व्यवहार नहीं किया जाएगा और सभी को अपने अधिकार हैं। चौधरी ने बुधवार को अपने बयान का बचाव करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की लोगों से अपील की। संभल कोतवाली पुलिस थाना में ‘पीस कमेटी’ की बैठक में चौधरी ने कहा कि उनका उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से सह-अस्तित्व सुनिश्चित करना था।
उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा, “यदि मेरा बयान गलत था तो उन्हें उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय जाना चाहिए था। उन्होंने मुझे सजा क्यों नहीं दिलवाई।” उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों के लिए समान रूप से बोला।
उल्लेखनीय है कि होली से कुछ दिन पहले उस समय विवाद खड़ा हो गया जब चौधरी ने कहा कि होली साल में एक बार आती है, जबकि जुमा की नमाज साल में 52 बार होती है। उन्होंने कहा कि किसी को होली के रंगों से परहेज है तो उसे घर के भीतर रहना चाहिए।
क्षेत्राधिकारी चौधरी ने स्पष्ट किया कि उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि यह बताना था कि सभी धार्मिक त्योहारों का समान रूप से सम्मान हो। उन्होंने पारस्परिक सम्मान और एक दूसरे के त्योहारों में सहभागी होने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, “यदि आप ईद की सेवइयां खिलाना चाहते हैं तो आपको भी गुझिया खानी पड़ेगी।
लेकिन दिक्कत तब आती है जब एक पक्ष नहीं खा रहा है और दूसरा पक्ष खा रहा है, तो भाईचारा खत्म हो जाता है।” चौधरी ने संभल में हाल ही में हुई हिंसा में पक्षपातपूर्ण पुलिस कार्रवाई के आरोपों का भी जवाब दिया। उन्होंने आश्वस्त किया कि साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तारियां की जा रही हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे को राजनीतिक रंग न दें। उन्होंने कहा, “हम राजनीति नहीं कर रहे हैं और न ही हमारा इरादा राजनीति करने का है।”