पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के बीच सुलह?, सांसद के पैर छूए भोजपुरी स्टार, एनडीए में वापसी?, लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, वीडियो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 30, 2025 15:15 IST2025-09-30T14:05:48+5:302025-09-30T15:15:47+5:30
भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के लिए राहत की खबर है। भोजपुरी अभिनेता से राजनेता बने पवन सिंह ने मंगलवार को आरएलपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। पवन सिंह ने सांसद के पैर छूएकर आर्शीवाद लिए। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बिहार के शाहाबाद-मगध क्षेत्र में अपनी स्थिति फिर से सुधारने की कोशिश कर रहा है। 2020 के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन देखने को मिला था। पवन ने बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े के साथ दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष से आवास पर मुलाकात की।
#Watch | Bihar BJP in-charge Vinod Tawde says, "Pawan Singh is with the BJP and will continue to remain in the party. Respected Upendra Kushwaha ji has given him his blessings, and in the upcoming elections, Pawan ji will actively work for the NDA as a dedicated BJP worker."… pic.twitter.com/ydHk5IuMrt
— United News of India (@uniindianews) September 30, 2025
#WATCH | Delhi: Actor and Singer Pawan Singh meets Rashtriya Lok Morcha chief and Rajya Sabha MP Upendra Kushwaha in the presence of BJP National General Secretary Vinod Tawde. pic.twitter.com/RZjscIc4HJ— ANI (@ANI) September 30, 2025
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक गठबंधन में आई दरार को दूर करने के लिए राजग की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पवन सिंह ने कुशवाहा से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ भाजपा महासचिव विनोद तावडे और पार्टी सचिव ऋतुराज सिन्हा भी थे। तावड़े बिहार में भाजपा के संगठन प्रभारी हैं।
पवन सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनावों में कुशवाहा की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब उन्होंने काराकाट सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था। यह बैठक जाहिर तौर पर सिंह के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना के बीच राज्यसभा सदस्य कुशवाहा को शांत करने के उद्देश्य से हुई थी।
बाद में, तावड़े ने संवाददाताओं से कहा कि पवन सिंह भाजपा के साथ हैं और आगामी चुनावों में राजग के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे। तावडे ने कहा कि कुशवाहा ने उन्हें आशीर्वाद दिया है। लोकप्रिय भोजपुरी गायक को भाजपा ने पहली बार 2024 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल से मैदान में उतारा था।
हालांकि बाद में पार्टी ने उन पर यह आरोप लगने के बाद उन्हें चुनाव मैदान से हटने के लिए दबाव डाला कि उनके संगीत वीडियो और गीतों में बंगाली महिलाओं को अभद्र तरीके से दिखाया गया है। पार्टी द्वारा उन्हें बिहार से टिकट देने से मना करने के बाद, राजपूत जाति से आने वाले पवन सिंह ने काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।
उच्च जातियों का एक वर्ग, खासकर राजपूत, उनके समर्थन में एकजुट हो गया, जिससे क्षेत्र के कुशवाह समुदाय में नाराजगी फैल गई और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। काराकाट लोकसभा चुनाव में कुशवाहा तीसरे स्थान पर रहे और यह सीट भाकपा (माले) ने जीती।
बिहार चुनाव में जातीय समीकरण एक बड़ा कारक हैं। भोजपुरी स्टारडम के प्रभाव से भी इनकार नहीं किया जा सकता। एनडीए और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन दोनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती और उनका ध्यान उन सीटों पर है, जहाँ उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। शाहाबाद क्षेत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
खासकर काराकाट जहाँ भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के आने से पूरा समीकरण बदल गया है। ताज़ा घटनाक्रम बताते हैं कि सिंह उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) में शामिल होने से बस कुछ ही कदम दूर हैं। आगामी बिहार चुनाव में दो सीटों का लालच दिया जा रहा है। सिंह की चुनावी उपस्थिति जातीय और स्टारडम संतुलन में एक महत्वपूर्ण कारक है।
पूर्व भाजपा नेता को पिछले साल पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। अब, उन्हें और कुशवाहा को एक साथ लाना एक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, लेकिन विद्रोह और विश्वासघात से भरे उनके इतिहास को देखते हुए यह आसान काम नहीं था। कुशवाहा के साथ पवन सिंह की बहुप्रतीक्षित बैठक आयोजित करके, पार्टी कोइरी समुदाय के मतदाताओं को भी लुभाना चाहती है।
उन्होंने 2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए के खिलाफ मतदान किया था। लोकसभा चुनावों में कोइरी समुदाय के मतदाताओं के बंटवारे के बाद महागठबंधन के दो कुशवाहा उम्मीदवार राजा राम सिंह और अभय सिन्हा उर्फ अभय कुशवाहा काराकाट और औरंगाबाद सीटों से जीत गए थे।
इसलिए इस महत्वपूर्ण बैठक के साथ भाजपा अब कोइरी समुदाय के मतदाताओं को अपने पाले में लाने और इस बार अपने बिखराव को रोकने की योजना बना रही है। इस साल की शुरुआत में अगस्त महीने में बिहार की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने गया का दौरा किया था और मगध और शाहाबाद क्षेत्र के लिए 13,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की थी।
भाजपा सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि कुशवाहा से मिलने से पहले पवन सिंह ने आरा में आरके सिंह के साथ भी बैठक की थी और उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में उतारा जा सकता है। विधानसभा चुनावों में जातिगत समीकरणों को भी ठीक किया जा सके, जो राज्य में प्रमुख कारक है। भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।
मंगलवार को सिंह ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े से राष्ट्रीय राजधानी में मुलाकात की, जिससे नई राजनीतिक चर्चाएँ शुरू हो गईं। मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए तावड़े ने पुष्टि की कि पवन सिंह हमेशा से भाजपा का हिस्सा रहे हैं और आगे भी भाजपा के साथ बने रहेंगे।
पिछले लोकसभा चुनाव में पवन सिंह के काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के फैसले को उपेंद्र कुशवाहा की हार का मुख्य कारण माना गया था। राजपूत समुदाय ने कुशवाहा को समर्थन नहीं दिया, जिसका असर कई पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्रों पर भी पड़ा। कुशवाहा मतदाताओं ने एनडीए उम्मीदवारों से दूरी बना ली। शाहाबाद और आसपास के इलाकों में भाजपा को काफी नुकसान हुआ।