परिषदों में गैर-मुस्लिमों की संख्या 3 से अधिक नहीं, 5 साल की शर्त खारिज, वक्फ कानून पर रोक लगाने से इनकार, जानिए मुख्य बातें

By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 15, 2025 11:58 IST2025-09-15T11:56:32+5:302025-09-15T11:58:02+5:30

Waqf Amendment Act 2025: सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार पाया है कि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है। सभी प्रावधानों या पूरे अधिनियम पर रोक नहीं लगाई है लेकिन कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है।

Waqf Amendment Act 2025 number non-Muslims in councils not exceed 3 condition 5 years rejected refusal ban Waqf law, know the main points | परिषदों में गैर-मुस्लिमों की संख्या 3 से अधिक नहीं, 5 साल की शर्त खारिज, वक्फ कानून पर रोक लगाने से इनकार, जानिए मुख्य बातें

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Highlightsकोर्ट का कहना है कि कुछ धाराओं को संरक्षण की ज़रूरत है।आपको 5 साल तक मुस्लिम होना चाहिए, उस पर रोक लगाई गई है।अदालत ने स्पष्ट रूप से समय सीमा बढ़ा दी है।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगा दी है, जिसके तहत वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को 5 साल तक इस्लाम का अनुयायी होना ज़रूरी था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा, जब तक यह तय करने के लिए नियम नहीं बन जाते कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के सभी प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट का कहना है कि कुछ धाराओं को संरक्षण की ज़रूरत है।

 एडवोकेट अनस तनवीर (वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता) ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार पाया है कि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है। उन्होंने सभी प्रावधानों या पूरे अधिनियम पर रोक नहीं लगाई है लेकिन कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है।

जैसे कि वह प्रावधान जिसमें कहा गया था कि आपको 5 साल तक मुस्लिम होना चाहिए, उस पर रोक लगाई गई है क्योंकि यह निर्धारित करने का कोई तंत्र नहीं है कि कोई व्यक्ति 5 साल से मुस्लिम है या नहीं... जहां तक ​​गैर-मुस्लिम सदस्यों का सवाल है, अदालत ने कहा है कि वक्फ बोर्ड में, यह 3 से अधिक नहीं हो सकता।

धारा 9 में 4 से अधिक नहीं हो सकता है और पंजीकरण पर, अदालत ने स्पष्ट रूप से समय सीमा बढ़ा दी है लेकिन प्रावधान पर रोक नहीं लगाई है। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, "यह वाकई एक अच्छा फ़ैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की साज़िश और इरादों पर लगाम लगा दी है। ज़मीन दान करने वाले लोग इस बात से डरे हुए थे कि सरकार उनकी ज़मीन हड़पने की कोशिश करेगी।

यह उनके लिए राहत की बात है...सरकार कैसे तय करेगी कि कौन 5 साल से धर्म का पालन कर रहा है? यह आस्था का मामला है... सरकार ने इन सभी पहलुओं पर ध्यान दिया है... हम लड़ाई जारी रखेंगे।" वक्फ (संशोधन) विधेयक पर JPC के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, "वक्फ संशोधन बिल को JPC में लगातार 6 महीने व्यापक चर्चा करने के बाद हमने अपनी रिपोर्ट दी थी।

दोनों सदनों से जो कानून पारित किया गया है कि उसमें हर व्यक्ति को संविधान के अनुसार अधिकार मिला। हमने एक संवैधानिक कानून बनाने का काम किया है। निश्चित तौर पर उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसके अनुरूप फैसला करेगा।" ईदगाह इमाम और AIMPALB सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, "हमारी मांग थी कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाई जाए।

लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है। हालांकि, कोर्ट ने कई प्रावधानों पर रोक लगाई है और हम कुछ प्रावधानों पर रोक का स्वागत करते हैं, जैसे कि जो व्यक्ति वक्फ करना चाहता है, उसे कम से कम 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि CEO मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए... धारा 3 और 4 पर रोक एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है।

हमें उम्मीद है कि जब भी अंतिम निर्णय आएगा, हमें 100% राहत दी जाएगी।" उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वक्फ कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि इसके पक्ष में संवैधानिकता की ‘पूर्व धारणा’ है। हालांकि, न्यायालय ने कुछ प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।

जिनमें वह प्रावधान भी शामिल है जिसमें कहा गया था कि केवल पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे लोग ही वक्फ बना सकते हैं। अंतरिम आदेश सुनाते हुए, प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘‘हमने प्रत्येक धारा को दी गई चुनौती पर प्रथम दृष्टया विचार किया और पाया कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता।’’

हालांकि, शीर्ष अदालत ने उस प्रावधान पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे व्यक्ति ही वक्फ बना सकते हैं। इसने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी जो सरकार द्वारा नामित किसी अधिकारी को यह तय करने का अधिकार देता है कि जो वक्फ संपत्ति है वह वास्तव में सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण है या नहीं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमने माना है कि पूर्व धारणा हमेशा कानून की संवैधानिकता पर आधारित होती है और दुर्लभतम मामलों में ही ऐसा किया जा सकता है। हमने पाया है कि पूरे अधिनियम को चुनौती दी गई है, लेकिन मूल चुनौती धारा 3(आर), 3सी, 14... को थी।’’ न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक मुस्लिम होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने साथ ही गैर-मुस्लिम को सीईओ नियुक्त करने की अनुमति देने वाले संशोधन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिमों की संख्या तीन से अधिक नहीं हो सकती। विस्तृत निर्णय की प्रतीक्षा है।

शीर्ष न्यायालय ने 22 मई को तीन प्रमुख मुद्दों पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिनमें ‘‘अदालतों द्वारा वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ’’ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार भी शामिल है, जो वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सामने आया था।

Web Title: Waqf Amendment Act 2025 number non-Muslims in councils not exceed 3 condition 5 years rejected refusal ban Waqf law, know the main points

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