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व्यापमं घोटालाः CBI की कोर्ट ने किया सजा का ऐलान, 30 दोषियों को सात साल और एक दोषी को 10 साल की जेल

By रामदीप मिश्रा | Published: November 25, 2019 5:58 PM

व्यापमं में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया। यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने का काम करता था। तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया। 

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ठळक मुद्देव्यापमं घोटाले में धोखाधड़ी करने के लिए सीबीआई की अदालत ने 31 दोषियों की सजा का ऐलान किया।कोर्ट ने 21 नवंबर को सभी को दोषी करार दिया था और 25 नवंबर को सजा देने का घोषणा की थी।

व्यापमं घोटालों के लिए चर्चित मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा वर्ष 2013 में ली गई पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी एवं बेईमानी करने के लिए सीबीआई की अदालत ने सोमवार (25 नवंबर) को 31 दोषियों की सजा का ऐलान किया। बता दें कोर्ट ने 21 नवंबर को सभी को दोषी करार दिया था और 25 नवंबर को सजा देने का घोषणा की थी।

सीबीआई की अदालत ने 30 दोषियों को सात साल की सजा सुनाई है, जबकि प्रदीज त्यागी नाम के दोषी को 10 साल की सजा सुनाई है। इन दोषियों में 12 बहुरूपिया (दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले) और 7 दलाल (परीक्षार्थियों से पैसे लेकर पास करवाने वाले) शामिल हैं। 

बताया गया था कि अभियोजन पक्ष ने इस परीक्षा में धोखाधड़ी एवं बेईमानी करने के लिए इन आरोपियों को सजा दिलाने के लिए 91 गवाह एवं कई साक्ष्य पेश किये। इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468 एवं 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था। 2013 में हुई पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले 6-6 बहुरूपियों को भोपाल एवं दतिया से गिरफ्तार किया गया था। 

गौरतलब है कि व्यापमं में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया। यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने का काम करता था। तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया। 

सु्प्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और उसने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा। नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की।

सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ. पी. शुक्ला, भाजपा नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिंद्रा जेल जा चुके हैं। ज्ञात हो कि इस मामले में दो हजार से अधिक लोग जेल जा चुके हैं, और चार सौ से अधिक अब भी फरार हैं।

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