विशाखापट्टनम गैस रिसावः कलेक्टर ने कहा- रेफ्रिजरेटर में तकनीकी खामी के कारण हादसा, 11 की मौत, 1000 लोगों को सांस लेने में तकलीफ
By भाषा | Updated: May 7, 2020 20:12 IST2020-05-07T19:54:12+5:302020-05-07T20:12:06+5:30
मंत्री ने पहले कहा, ‘‘हम (दक्षिण कोरियाई) कंपनी के शीर्ष प्रबंधन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.... हमारी पहली प्राथमिकता फिलहाल लीक को रोकना और प्रभावित लोगों का उचित इलाज कराना है।’’

फैक्टरी के आसपास के इलाकों में रह रहे करीब 1,000 लोग गैस रिसाव से प्रभावित हुए हैं। (file photo)
हैदराबाद/नई दिल्लीः आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक रासायनिक संयंत्र से गैस लीक होकर करीब पांच किलोमीटर के दायरे में गांवों में फैल गई, जिससे कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई तथा लगभग 1,000 लोगों को सांस लेने में तकलीफ सहित अन्य दिक्कतें हो रही हैं। राज्य सरकार ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
इस बीच आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस लीक होने की घटना पर जिला कलेक्टर ने कहा कि रेफ्रिजरेटर इकाई में तकनीकी खामी के कारण हादसा हुआ है। मामले की और जांच जारी है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि फैक्टरी से रिसाव अब बहुत कम हो गया है लेकिन एनडीआरएफ कर्मी इसे पूरी तरह से बंद करने तक मौके पर मौजूद रहेंगे।
विशाखापट्टनम गैस रिसाव की घटना के बाद केंद्र सरकार ने रसायन विनिर्माताओं को संयंत्रों को पुन: शुरू करते समय सावधानी बरतने को कहा है। पुलिस ने आंध्र प्रदेश गैस लीक मामले में रसायन फैक्टरी के प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है।
जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रारंभिक जांच के हवाले से बताया कि फैक्टरी के दो टैंकों में रखे स्टाइरीन गैस से जुड़ी प्रशीतन प्रणाली में तकनीकी खराबी आने के कारण उसमें गैस बना और वह लीक हो गई। बृहस्पतिवार तड़के हुई इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई है जबकि 1,000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं।
जिलाधिकारी वी. विनय चंद ने बताया कि एलजी पॉलीमर्स लिमिटेड से हुई गैस लीक इतनी ज्यादा थी कि ‘‘हमें सुबह करीब साढ़े नौ बजे समझ आया कि आखिरकार हुआ क्या है, क्योंकि उस वक्त क्षेत्र में लीक के कारण छाया घना कोहर छंटा।’’
फैक्टरिज विभाग की ओर से प्राप्त प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने कहा, ‘‘स्टाइरीन एकलक सामान्य तौर पर तरल रूप में रहता है और उसके भंडारण का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहने पर वह सुरक्षित रहता है। लेकिन प्रशीतन (रेफ्रीजेरेशन) इकाई में गड़बड़ी के कारण यह रसायन गैस में बदल गया।’’ उन्होने यहां संवाददाताओं को बताया कि तकनीकी खामी के कारण टैंक में रखे गए रसायन का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया और वह गैस में बदलकर लीक हो गया।
विशाखापत्तनम के पास विशाखापट्टनम के तहत आने वाले आर आर वेंकटपुरम गांव में स्थित ‘एलजी पॉलिमर्स लिमिटेड’ के संयंत्र से स्टाइरीन गैस का रिसाव बुधवार देर रात करीब ढाई बजे शुरू हुआ, जिसके कुछ घंटों बाद कई लोग सड़क किनारे और नालों के पास बेहोशी की हालत में पड़े मिले। इसने बड़ी औद्योगिक आपदा के अंदेशे को बढ़ा दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि मरने वालों में एक बच्चा और दो वे लोग भी शामिल हैं, जो जान बचाने के लिए भागने के दौरान कुएं में गिर गए थे। वहीं, पुलिस ने बताया कि हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि कम से कम 20 लोग वेंटिलेटर पर हैं। इनके अलावा 246 लोगों का विशाखापट्टनम के किंग जॉर्ज अस्पताल में इलाज जारी है। गोपालपत्तनम के आर आर वेंकटपुरम गांव से करीब 800 लोगों को निकाल लिया गया और उनमें से ज्यादातर को सिर्फ प्राथमिक उपचार की जरूरत पड़ी।
चीख ने रात के सन्नाटे को चीर दिया और कई लोग नींद में ही बेहोश हो गए
ग्रामीण ने बताया कि मदद के लिये लोगों की चीख ने रात के सन्नाटे को चीर दिया और कई लोग नींद में ही बेहोश हो गए। हालात का जायजा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों से बातचीत की है। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट किया, ‘‘ मैं सभी की सुरक्षा और विशाखापत्तनम के लोगों की कुशलक्षेम की प्रार्थना करता हूं । ’’ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी घटना में लोगों की मौत पर शोक व्यक्त कर बीमारों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ विशाखापत्तनम में एक रासायनिक संयंत्र में गैस रिसाव की घटना के समाचार से दुखी हूं जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। मैं इस घटना में बीमार लोगों के स्वस्थ्य होने और सभी की सुरक्षा की कामना करता हूं। ’’ कोविंद ने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि प्रशासन स्थिति को जल्द से जल्द नियंत्रण में लाने के लिये हर संभव प्रयास करेगा।’’ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और एनडीएमए के अधिकारियों ने दिल्ली में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हादसे में 11 लोगों की मौत हुई है और करीब 1000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं।
महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि संयंत्र से रिसाव अब बहुत कम हो गया है
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि संयंत्र से रिसाव अब बहुत कम हो गया है लेकिन एनडीआरएफ कर्मी इसके पूरी तरह बंद होने तक मौके पर मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण फैक्टरी बंद थी। उसमें दोबारा काम शुरू करने के लिये तैयारी की जा रही थी। प्रधान ने कहा कि संयंत्र के तीन किमी के दायरे से 200 से 250 परिवारों के लगभग 500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डी गौतम स्वांग ने बताया कि मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। सवांग ने कहा, "गैस कैसे लीक हुई और संयंत्र में न्यूट्रलाइजर रिसाव को रोकने में क्यों कारगर साबित नहीं हुआ, इसकी जांच की जाएगी।
हालांकि, स्टाइरीन एक जहरीली गैस नहीं है और ज्यादा मात्रा में सांस के जरिये शरीर के भीतर जाने पर ही जानलेवा हो सकती है।" वहीं, मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवार को एक-एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने का भी एलान किया। स्टाइरीन का इस्तेमाल सिंथेटिक रबर और रेजिन बनाने में किया जाता है। यह गैस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, गले, त्वचा, आंखों और शरीर के कुछ अन्य हिस्सों को प्रभावित करती है। हालांकि, रिसाव के स्रोत पर सुबह में ही काबू पा लिया गया, लेकिन इसका प्रभाव कई घंटों के बाद भी देखा गया। दिन होने पर इस त्रासदी के पूरे प्रभाव का पता लगा। प्राप्त सूचना के अनुसार सबने अपनी-अपनी तरह से मदद करने की कोशिश की। किसी ने प्राथमिक उपचार दिया तो किसी ने पानी, कोई पीड़ितों के चेहरे पोछ रहा था। प्रभावित लोगों को ऑटो और दो पहिया वाहनों से अस्पताल पहुंचाया गया। सरकारी कर्मियों और अन्य ने भी जैसे भी हो सकता था, मदद करने की कोशिश की।
इस घटना ने 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के मंजर को ताजा कर दिया
लोग सड़क किनारे और नालों के पास बेहोश पड़े हुए थे, जो स्थिति की गंभीरता को बयान करता है। रिसाव का नतीजा सैड़कों ग्रामीणों, जिनमें अधिकतर बच्चे हैं, को भुगतना पड़ा। उन्हें आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, जी मिचलाना और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने जैसी परेशानियां हुईं। जो लोग कुछ बोलने की स्थिति में थे उन्होंने बताया कि क्या हुआ था। लोग फुटपाथ पर बैठकर सुबह के घटनाक्रम को बयां करते देखे गए। गैस के रिसाव की चपेट में आकर मवेशी और पक्षी भी अचेत हो गए। इस घटना ने 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के मंजर को ताजा कर दिया जिसमें 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और बड़ी संख्या में लोग जीवन भर के लिए अपंग हो गए थे।
बचाव अभियान के लिए गए कई पुलिस कर्मियों ने भी सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन की शिकायत की और उनमें से कुछ बेहोश भी हो गए। सूत्रों ने बताया कि संयंत्र के 20 कर्मी सुरक्षा प्रोटोकॉल से अच्छी तरह वाकिफ थे और उन्होंने उचित कदम उठाए थे जिस वजह से वे प्रभावित नहीं हुए। राज्य के उद्योग मंत्री मेकपति गौतम रेड्डी ने बताया कि एलजी पॉलीमर्स इकाई को लॉकडाउन के बाद बृहस्पतिवार को खुलना था। उन्होंने कहा, ‘‘ हम (दक्षिण कोरियाई) कंपनी के शीर्ष प्रबंधन से संपर्क करने कोशिश कर रहे हैं... हमारी पहली प्राथमिकता रिसाव को रोकने और प्रभावित लोगों का उचित इलाज सुनिश्चित करने की है।’’
केंद्र ने गैस रिसाव फैक्टरी में और अधिक नुकसान रोकने के लिये विशेष रसायन एयरलिफ्ट करने की इजाजत दी
केंद्र ने विशाखापत्तनम में एक रसायन फैक्टरी से गैस रिसाव होने के बाद वहां और नुकसान रोकने के लिये बृहस्पतिवार को गुजरात से ‘‘एक विशेष रसायन’’ हवाई मार्ग से भेजने की इजाजत दे दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एल जी पॉलीमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने केंद्र सरकार से 500 किग्रा पीटीबीसी रसायन दमन हवाईअड्डा से विशाखापत्तनम ले जाये जाने का अनुरोध किया था, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। यह (पीटीबीसी) रसायन स्टाइरीन गैस रिसाव के चलते और अधिक नुकसान होने को रोकने में उपयोगी साबित होगा।
एक अधिकारी ने कहा कि इस रसायन की खेप गुजरात के वापी से मंगाई गई है। अधिकारी ने बताया कि अनुरोध प्राप्त होने के बाद, यह मुद्दा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास ले जाया गया, जिन्होंने फौरन ही अधिकारियों को यह रसायन हवाई मार्ग से पहुंचाने का निर्देश दिया। समझा जाता है कि यह रसायन विशाखापत्तनम के लिये भेज दिया गया है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह रसायन ‘स्टाइरीन एकलक’ को नियंत्रित करने में मदद करेगा और यह इसके चलते और अधिक नुकसान को फौरन रोकने में सहायता करेगा।
केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार के साथ समन्वय कर स्थिति का जायजा लिया। केंद्र सरकार स्थिति की निगरानी कर रही है और सभी जरूरी सहायता मुहैया कर रही है। बृहस्पतिवार तड़के एलजी पॉलीमर फैक्ट्री से स्टाइरीन गैस के रिसाव का असर आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे में हुआ है। केंद्र सरकार के मुताबिक, इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1000 अन्य प्रभावित हुए हैं।
इस बीच, गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव अश्वनी कुमार ने बताया कि विशाखापत्तनम में फैक्ट्री से रिसने वाली गैसों के प्रभाव को बेअसर करने के लिए फिल्हाल पीटीबीसी (पारा-टरशिअरी ब्युटाइल कैटेकोल) का इस्तेमाल किया जा रहा है। कुमार ने कहा, ‘‘हवा में रिसी गैस के प्रभाव को बेअसर करने के लिए जिस रसायन का प्रयोग हो रहा है उसका उत्पादन सिर्फ वापी में होता है। आंध्रप्रदेश सरकार ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से अनुरोध किया कि वह जितनी जल्दी संभव हो सके वापी से हवाई मार्ग से यह रसायन मौके पर भेजने का प्रबंध करें।’’
गैस लीक : आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री ने कहा कि कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा
आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री जी. गौतम रेड्डी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार सुरक्षा में कोई चूक नहीं रखना चाहती है इसलिए फैक्टरी से लीक हुई स्टाइरीन गैस को निष्प्रभावी करने के लिए 500 टन रसायन मंगवाया है और कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि आखिर चूंक कहां हुई? उन्होंने बताया कि लीक को एक घंटे के भीतर बंद कर लिया गया था। इस बात की ओर ध्यान दिलाते हुए कि प्रशासन हर संभव एहतियात बरत रहा है, मंत्री ने कहा कि कारखाने में काम नहीं चल रहा था, वहां कर्मचारी फैक्टरी शुरू करने के लिए तैयारी कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि फक्टरी में टैंकों में भंडारित रसायन में से एक में गर्मी के कारण गैस बनी और वह लीक हो गई। लीक इसलिए नहीं हुई कि लोग वहां काम कर रहे थे। घटना पर सरकार की कार्रवाई के बारे में पूछने पर हैदराबाद में मौजूद मंत्री ने फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘लीक के तुरंत बाद हमने क्या किया? हमने उसी वक्त परिसर में गैस के प्रभाव को बेअसर किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने पूरे परिसर में (लीक को निष्प्रभावी करने वाला) रसायन का छिड़काव किया और उस तरल को बेअसर किया।’’ उन्होंने बताया कि यह तरल मिश्रण गैस में बदल कर एक चिमनी के माध्यम से बाहर निकल आया था। मंत्री ने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की।
रेड्डी ने कहा, ‘‘हमारे पास निष्प्रभ्रावी करने वाला 1500 टन रसायन था। हमने उसका छिड़काव कर उसे निष्प्रभावी किया। लेकिन इसमें कोई चूक ना रहे इसके लिए हम 500 टन रसायन हवाई जहाज से मंगवा रहे हैं। हम पूरी फैक्टरी को इस रासायन से भर देंगे।’’ प्रशासन एहतियात के तौर पर पूरे क्षेत्र को पानी से धुलवा रहा है। उद्योग मंत्री ने कहा कि ऐसी फैक्टरी ‘रेड’ श्रेणी में आती हैं और उन्हें चौबीस घंटे सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है क्योंकि वे खतरनाक रसायनों और वस्तुओं का उपयोग करते हैं। मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार कोरियाई दूतावास के भी संपर्क में है। लॉकडाउन के बाद एलजी पॉलीमर फैक्टरी में बृहस्पतिवार से कामकाज शुरू होना था।