नई दिल्ली: हाल ही में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री केअर्स फंड के तहत मिलने वाले वेंटिलेटर को लेकर सवाल उठाए थे। इसके बाद मंगलवार को वेंटिलेटर बनाने वाली संस्था ने राहुल गांधी को जवाब दिया है। वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनी AgVa के मालिक प्रफेसर दिवाकर वैश ने सभी आरोपों को नकारा गया है।
बता दें कि AgVa पीएम केअर्स फंड के तहत वेंटिलेटर बना रही है। इसके को-फाउंडर प्रोफेसर दिवाकर वैष ने कहा है कि उनके वेंटिलेटर पर जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं, वो निराधार हैं। क्वालिटी के आधार पर उनका वेंटिलेटर हर मानक पर खरा उतरता है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी डॉक्टर नहीं हैं, मैं उनको एक डेमो देना चाहता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी कंपनियों स्वदेशी वेंटिलेटर्स को मार्केट में आने नहीं देना चाहती हैं, इसीलिए ये साजिशें हो रही हैं।
दिवाकर ने कहा कि हमारे वेंटिलटर करीब 5 से दस गुना तक सस्ते हैं, एक वेंटिलेटर की कीमत 10-15 लाख तक होती है। लेकिन हमारे वेंटिलेटर की कीमत डेढ़ लाख रुपये तक है। इन प्रोडक्ट्स में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का जाल काम करता है, क्या वो लोग (विरोध करने वाले) स्वदेशी प्रोडक्ट को बढ़ावा नहीं देंगे।
समाचार एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में प्रोफेसर दिवाकर ने कहा कि हमारे द्वारा बनाए गए वेंटिलेटर साधारण वेंटिलेटर से अलग हैं, ऐसे में एक प्रक्रिया के तहत इनका संचालन जरूरी है। उन्होंने दावा किया कि हमारा वेंटिलेटर से 21 से 100 फीसदी तक ऑक्सीजन दे सकता है, जिसकी जरूरत कोरोना पीड़ित व्यक्ति को चाहिए होती है। इसके अलावा उन्होंने टेक्निकल तौर पर लगे सभी आरोपों का जवाब दिया और मशीन को चलाकर भी दिखाया।
राहुल गांधी ने लगाए थे ये आरोप
राहुल गांधी ने रविवार को सरकार पर आरोप लगाया कि पीएम केयर्स कोष में ‘‘अपारदर्शिता’’से भारतीयों का जीवन खतरे में पड़ रहा है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘पीएम केयर्स में अपारदर्शिता से भारतीयों का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है और सार्वजनिक धन का इस्तेमाल घटिया सामग्री खरीदने में हो रहा है।’’
उन्होंने एक खबर को भी टैग किया जिसके अनुसार एक निजी कंपनी घटिया गुणवत्ता वाले वेंटिलेटर मुहैया करा रही है। ये वेंटिलेटर पीएम केयर्स कोष से खरीदे गए हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी वेंटिलेटरों की खरीद में ‘‘घोटाले’’ का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘वेंटिलेटर घोटाला। 50 हजार वेंटिलेटर के लिए आवंटित दो हजार करोड़ रुपये में से 23 जून तक केवल 1340 वेंटिलेटर की आपूर्ति हुई। खुली निविदा नहीं हुई। घटिया गुणवत्ता। प्रति वेंटिलेटर बताई गई डेढ़ लाख रुपये की राशि के बजाए चार लाख रुपये में इन्हें खरीदा गया।’’