वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: किसानों पर विदेशी उपदेश बड़ी बात नहीं

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 9, 2020 09:54 IST2020-12-09T09:48:54+5:302020-12-09T09:54:23+5:30

भारत में किसानों के आंदोलन को लेकर हाल में कुछ विदेशी नेताओं की प्रतिक्रियाएं आईं। इसे लेकर भारत ने नाराजगी जताई। हालांकि, ऐसी बातों पर सरकार का बहुत चिढ़ जाना जरूरी नहीं है।

Vedapratap Vedic's blog: Other coutries comment on farmers protest is not big deal | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: किसानों पर विदेशी उपदेश बड़ी बात नहीं

'किसान आंदोलन पर विदेशी प्रतिक्रियाओं से परेशान होने की जरूरत नहीं'

Highlightsकिसान आंदोलन पर विदेश से आई कुछ प्रतिक्रियाओं पर चिढ़ना बहुत जरूरी नहींभारत सरकार को अपने गुस्से पर काबू रखने की जरूरत, विदेश नीति के लिए ये हानिकारक हो सकता है

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, ब्रिटेन के 36 सांसदों और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेरेस ने भी भारत में चल रहे किसान-आंदोलन से सहानुभूति व्यक्त की है. उन्होंने यही कहा है कि उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने देना चाहिए और उनकी कठिनाइयों को सरकार द्वारा दूर किया जाना चाहिए. 

इस पर हमारे कुछ सरकारी और भाजपा-प्रवक्ता भड़क उठे हैं. वे इन लोगों से कह रहे हैं कि आप लोग हमारे अंदरूनी मामलों में टांग क्यों अड़ा रहे हैं?

उनका यह सवाल रस्मीतौर पर एकदम ठीक है. वह इसलिए भी ठीक है कि भारत सरकार के मंत्रीगण किसान नेताओं के साथ बहुत नम्रता और संयम से बात कर रहे हैं और बातचीत से ही इस समस्या का समाधान निकालना चाहते हैं. 

असली सवाल यह है कि इसके बावजूद ये विदेशी लोग भारत सरकार को ऐसा उपदेश क्यों दे रहे हैं? शायद इसका कारण यह रहा हो कि पिछले दिनों जब यह आंदोलन शुरू हुआ तो हरियाणा और दिल्ली की केंद्र सरकार ने किसानों के साथ कई ज्यादतियां की थीं. लेकिन विदेशी लोगों को फिर भी क्या अधिकार है हमारे आंतरिक मामलों में टांग अड़ाने का? 

इसका एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि कनाडा और ब्रिटेन में हमारे किसानों के रिश्तेदार बड़े-बड़े पदों पर विराजमान हैं. उन्होंने अपने रिश्तेदारों को अपनी करुण-कथा बढ़ा-चढ़ाकर सुनाई होगी. उन रिश्तेदारों ने उन देशों के शीर्ष नेताओं को प्रेरित किया होगा कि वे उनके रिश्तेदारों के पक्ष में बोलें तो उन्होंने बोल दिया. 

सरकार और भाजपा का चिढ़ना बहुत जरूरी नहीं

उनके ऐसे बोल पर हमारी सरकार और भाजपा प्रवक्ता का इतना चिढ़ जाना मुझे जरूरी नहीं लगता. हालांकि उनका यह तमाचा ट्रूडो पर सही बैठा है कि विश्व-व्यापार संगठन में जो ट्रूडो सरकार किसानों को समर्थन मूल्य देने का डटकर विरोध कर रही है, वह किस मुंह से भारत सरकार पर उपदेश झाड़ रही है? 

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर द्वारा कनाडा द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संवाद का भी बहिष्कार कर दिया गया है. उन्होंने ऐसा ही अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल के एक बयान पर आपत्ति दिखाने के लिए किया था. उन्हें अपने गुस्से पर काबू करना चाहिए, वरना ये छोटी-छोटी लेकिन उग्र प्रतिक्रियाएं हमारी विदेश नीति के लिए हानिकर सिद्ध हो सकती हैं. 

आधुनिक दुनिया बहुत छोटी हो गई है. विभिन्न देशों के राष्ट्रहितों ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है इसीलिए देशों के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप अपने आप हो जाता है.

 

Web Title: Vedapratap Vedic's blog: Other coutries comment on farmers protest is not big deal

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