नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया द्वारा दायर याचिका का 21 अप्रैल को निस्तारण किया। अंजुमन इंतेजामिया द्वारा दायर याचिका मे मस्जिद परिसर के अंदर ही 'वजू' करने की अनुमति देने की मांग की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने रिकॉर्ड में लिया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को इस बात लिखित आश्वासन दिया कि वजू के लिए पानी का पर्याप्त इंतजाम करा दिया जाएगा। बनारस के प्रशासन को इस बारे में सारी हिदायतें जारी कर दी गई हैं। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि जू के लिए बड़े टब मस्जिद परिसर के भीतर विवादित जगह पर रखवाए जाएं। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने जोर देकर कहा कि टब ही होने चाहिए, बाल्टियां नहीं। इस बात का ध्यान रखा जाए। जवाब में तुषार मेहता ने बताया कि छह टबों का इंतजाम करा दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से ये भी पूछा कि मस्जिद के अंदर बाकी सुविधाएं कैसे बेहतर हो सकती हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने भी मेहता को हिदायत देकर कहा कि ये ध्यान रखा जाए कि ईद के दिन मस्जिद में नमाज के लिए आने वाले लोगों को असुविधा न हो।
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान जिस जगह से कथित शिवलिंग मिला था उसे सील कर दिया गया था। इसी जगह पर पहले एक छोटा तालाब था जिसके पानी से नमाजी वजू करते थे। जगह सील होने के बाद वजू के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। नमाजियों को हो रही दिक्कत के कारण ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया द्वारा सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई थी।
तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि नमाज के लिए आने वाले लोगों के लिए मस्जिद से 70 मीटर दूर इंतजाम करा दिया गया है। सीजेआई का सवाल था कि शुक्रवार और ईद के लिए मस्जिद के भीतर ऐसे इंतजाम क्यों नहीं कराए जा सकते तो मेहता ने कहा कि अगर भीतर बाथरूम बनाए जाते तो नमाजियों को शिवलिंग वाली जगह से होकर जाना पड़ता। ये फिलहाल ठीक नहीं लगता। बता दें कि कथित शिवलिंग बनाम फव्वारे का मामला अब भी अदालत में चल रहा है।