वैशाली लोकसभा सीट: गौतम बुद्ध का भिक्षापात्र बना चुनावी मुद्दा, काबुल से वापस लाने की मांग पकड़ रही है जोर

By एस पी सिन्हा | Published: April 29, 2019 07:14 PM2019-04-29T19:14:03+5:302019-04-29T19:14:03+5:30

गौतम बुद्ध को बिहार की धरती पर ज्ञान प्राप्त हुआ और यह उनकी कर्मस्थली भी रही, उसी वक्त वैशाली के लोगों द्वारा महात्मा बुद्ध को उपहार स्वरूप एक भिक्षापात्र दिये जाने संबंधी किंवदंती प्रचलित है.

Vaishali Lok Sabha seat: Gautam Buddha's is holding a demand for an electoral issue back from Kabul | वैशाली लोकसभा सीट: गौतम बुद्ध का भिक्षापात्र बना चुनावी मुद्दा, काबुल से वापस लाने की मांग पकड़ रही है जोर

वैशाली लोकसभा सीट: गौतम बुद्ध का भिक्षापात्र बना चुनावी मुद्दा, काबुल से वापस लाने की मांग पकड़ रही है जोर

Highlights गौतम बुद्ध को बिहार की धरती पर ज्ञान प्राप्त हुआ और यह उनकी कर्मस्थली भी रहीचीनी यात्री फाह्यान और ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रावृतांत में इस भिक्षापात्र की चर्चा की है

बिहार में लोकसभा चुनाव में अब गौतम बुद्ध भी चुनावी मुद्दा बन गये हैं. वैशाली के लोगों के द्वारा गौतम बुद्ध को उपहार स्वरूप एक भिक्षापात्र दिये जाने संबंधी किंवदंती को अब भुनाने की कोशिश की जाने लगी है. ऐसे में अब वैशाली के लोगों के द्वारा महात्मा बुद्ध को उपहार स्वरूप एक भिक्षापात्र को काबुल से वापस लाने की मांग की जाने लगी है. यह भिक्षापात्र फिलहाल काबुल के नेशनल म्यूजियम में रखा है.

यहां बता दें कि गौतम बुद्ध को बिहार की धरती पर ज्ञान प्राप्त हुआ और यह उनकी कर्मस्थली भी रही, उसी वक्त वैशाली के लोगों द्वारा महात्मा बुद्ध को उपहार स्वरूप एक भिक्षापात्र दिये जाने संबंधी किंवदंती प्रचलित है. बताया जाता है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का एक दल करीब चार वर्ष पहले इसका सत्यापन करने पहली बार काबुल गया था. 

विशेषज्ञों का दल अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है. वहीं, संस्कृति मंत्रालय का कहना है कि जब तक पुरातत्विक साक्ष्य के साथ यह प्रमाणित नहीं हो जाता कि यह वही भिक्षापात्र है जिसे वैशाली के लोगों ने महात्मा बुद्ध को भेंट स्वरूप दिया था तब तक इस पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता. काबुल में रखे भिक्षापात्र के बारे में मान्यता है कि इसे वैशाली के लोगों ने भगवान बुद्ध को भेंट किया था.

इस विषय को संसद से लेकर सरकार के विभिन्न स्तरों पर उठाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद सिंह की मांग है कि वैशाली और बौद्ध धर्म के अनुयायियों की आशा के अनुरूप इस पात्र को केंद्र सरकार देश में वापस लाने का प्रयास करे. भिक्षापात्र को वापस लाने के लिए वज्जिकांचल विकास मंच ने एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया है. वोट मांगने आने वाले उम्मीदवारों से वैशाली से जुड़े बौद्ध स्थलों के विकास को प्राथमिकता देने का संकल्प व्यक्त करने को कहा जा रहा है. 

वहीं, मंच के संयोजक देवेंद्र राकेश ने कहा है कि इसमें कोई दो राय नहीं है भिक्षा पात्र अफगानिस्तान में है. केंद्र सरकार की विदेश नीति की प्रामाणिकता के लिये धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के, महात्मा बुद्ध से जुडे इस भिक्षा पात्र को लाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में महात्मा बुद्ध से जुड़े अनेक स्थल हैं जिनके विकास से यह क्षेत्र न केवल वैश्विक पटल पर आयेगा बल्कि पर्यटन बढने से रोजगार के अवसर भी बढेंगे.

भिक्षापात्र का सच जानने के लिए काबुल गये विशेषज्ञों ने दो अलग-अलग तरह की रिपोर्ट पेश की, जिससे समस्या हुई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने बताया कि उन्होंने यह विषय केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा के समक्ष उठाया है. लेकिन, इसका अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. काबुल जाने वाले दल में पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ फणिकांत मिश्रा और पुरातत्व विशेषज्ञ जी एस ख्वाजा शामिल थे. डॉ फणिकांत मिश्र ने कुछ समय पहले बताया था कि कुशीनगर में महापरिनिर्वाण के पहले भगवान बुद्ध को वैशाली के लोगों ने यह भिक्षापात्र दान में दिया था. 

बताया जाता है कि एएसआई के पहले महानिदेशक सर अलेक्जेंडर कनिंघम की वर्ष 1883 में लिखी गई पुस्तक के 16वें खंड में वृति भिक्षापात्र के जैसे ही काबुल के पात्र का वर्णन है. इसकी ऊंचाई चार मीटर, वजन 350-400 किलोग्राम, मोटाई 18 सेंटीमीटर और गोलाई 1.75 मीटर है. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, दूसरी शताब्दी में राजा कनिष्क इसे पुरषपुर (वर्तमान में पेशावर) ले गये. 

इसके बाद इसे गंधार (कंधार) ले जाया गया. फिर 20वीं शताब्दी में इसे काबुल के म्यूजियम में रखा गया. चीनी यात्री फाह्यान और ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रावृतांत में इस भिक्षापात्र की चर्चा की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि इस विषय पर गंभीरता से ध्यान दिया जाये ताकि यह ऐतिहासिक धरोहर भारत लाई जा सके. इसतरह से अब वैशाली में गौतम बुद्ध का भिक्षापात्र अब चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है.

Web Title: Vaishali Lok Sabha seat: Gautam Buddha's is holding a demand for an electoral issue back from Kabul