उत्तराखंडः सीएम रावत के खिलाफ घूसखोरी की होगी जांच, हाईकोर्ट ने दिया आदेश, सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दी चुनौती

By भाषा | Published: October 28, 2020 07:56 PM2020-10-28T19:56:51+5:302020-10-28T19:56:51+5:30

उच्च न्यायालय का फैसला दो पत्रकारों- उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल- द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी।

Uttarakhand Chief Minister Trivendra Singh Rawat investigated High Court orders government challenged Supreme Court | उत्तराखंडः सीएम रावत के खिलाफ घूसखोरी की होगी जांच, हाईकोर्ट ने दिया आदेश, सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दी चुनौती

वकील ने हालांकि उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के आधार का खुलासा नहीं किया है। (file photo)

Highlightsसीबीआई जांच के नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बुधवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।प्राथमिकी रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री रावत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था।रावत ने वकील दिव्यम अग्रवाल के जरिये उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है।

नई दिल्लीः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक पत्रकार द्वारा उनके ऊपर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बुधवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।

उच्च न्यायालय का फैसला दो पत्रकारों- उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल- द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। प्राथमिकी रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री रावत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था।

शर्मा ने तब झारखंड के भाजपा प्रभारी रहे रावत पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2016 में एक व्यक्ति को उस राज्य में गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनवाने में मदद के लिये अपने रिश्तेदारों के खातों में रुपये जमा करवाए थे। रावत ने वकील दिव्यम अग्रवाल के जरिये उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। वकील ने हालांकि उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के आधार का खुलासा नहीं किया है।

मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री पर झूठे आरोप लगाने वाले पत्रकार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने तथा पूरे मामले की सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है।

इस बीच, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानूनी मामला है जिसे केवल कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझाया जा सकता है। उन्होंने यहां संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह एक कानूनी मामला है। इसे केवल कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझाया जा सकता है जो सबकुछ स्पष्ट कर देगा।’’

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि पार्टी उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करती है, लेकिन वह (भाजपा) इस फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय जाएगी। भगत ने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप साबित नहीं होगा।’’

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री रावत को लाभ पहुंचाने संबंधी सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश देते हुए पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रदद कर दी थी। उल्लेखनीय है कि शर्मा ने ही ये आरोप लगाये थे। शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का आदेश देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता से इस मामले के सभी दस्तावेज बुधवार दोपहर बाद तक अदालत में जमा करने का भी आदेश दिया था।

उच्च न्यायालय का यह आदेश शर्मा की उस याचिका पर आया है, जिसमें उन्होंने अदालत से अपने खिलाफ देहरादून में दर्ज प्राथमिकी रदद करने का अनुरोध किया था। शर्मा ने इस वर्ष 24 जून को सोशल मीडिया पर किये गये एक पोस्ट यह दावा किया था कि झारखंड के अमृतेश चौहान ने नोटबंदी के बाद एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र रावत और उनकी पत्नी डॉ सविता रावत के बैंक खाते में मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए पैसे जमा कराए। पोस्ट में यह भी दावा किया गया था कि डॉ सविता रावत मुख्यमंत्री रावत की पत्नी की सगी बहन हैं।

शर्मा ने पोस्ट में अपने दावे के समर्थन में उक्त बैंक खाते में हुए लेन—देन का विवरण भी उपलब्ध कराया था। इस पर, सेवानिवृत्त प्रोफेसर रावत ने 31 जुलाई को देहरादून में इन आरोपों को झूठा और आधारहीन बताते हुए शर्मा के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 

उत्तराखंड: कांग्रेस ने मुख्यमंत्री रावत का इस्तीफा मांगा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को नैतिक आधार पर उनका इस्तीफा मांगा। उल्लेखनीय है कि रावत के खिलाफ एक पत्रकार द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों की उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा उत्तराखंड में पार्टी मामलों के नवनियुक्त प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा, ‘‘ एक ऐसा मुख्यमंत्री, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ (कतई बर्दाश्त नहीं करने) की नीति का बखान करने से नहीं थकता, उसे (अदालत का) ऐसा (सीबीआई जांच का) आदेश आने के बाद अब एक मिनट भी पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।'’ सिंह ने कहा कि पार्टी ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलने का समय मांगा है जिससे वह उनके सामने इस मुददे को रख सके और इस मामले में उनसे दखल देने का अनुरोध कर सके।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उच्च न्यायालय के आदेश को 'गंभीर' बताया और मुख्यमंत्री से मामले की निष्पक्ष जांच के लिए पद छोडने को कहा। उन्होंने कहा, ‘'उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मुख्यमंत्री को तत्काल पद छोड देना चाहिए, ताकि उनके खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच का रास्ता साफ हो सके ।'’ रावत ने कहा कि मामले को राज्यपाल के सामने उठाने के अलावा पार्टी अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ‘‘न्याय के लिए संघर्ष ’’ जारी रखेगी ।

नया दायित्व संभालने के बाद पहली बार राज्य में आए कांग्रेस प्रभारी यादव ने कहा कि उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा की कथनी और करणी में फर्क है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश तथा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे।

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