GST छूट में यूपी के ईट भट्ठा उद्योग को नहीं मिली रियायत, 19 हजार ईट भट्टे, करीब 40 लाख लोगों को मिला हुआ है रोजगार
By राजेंद्र कुमार | Updated: September 22, 2025 18:08 IST2025-09-22T18:07:50+5:302025-09-22T18:08:09+5:30
इस उद्योग की इस उम्मीद को केंद्र और प्रदेश सरकार ने पूरा नहीं किया है. जिसके चलते यूपी में पहले ही तरह ही ईंट भट्टों के लिए छह फीसदी कंपोजिशन स्कीम का प्रावधान जारी रहेगा.

GST छूट में यूपी के ईट भट्ठा उद्योग को नहीं मिली रियायत, 19 हजार ईट भट्टे, करीब 40 लाख लोगों को मिला हुआ है रोजगार
लखनऊ: देश भर में जीएसटी की कटौती लागू हो गई. योगी सरकार भी प्रदेश के हर जिले में जीएसटी बचत उत्सव मनाने जुटी है. लेकिन उत्तर प्रदेश में ईंट भट्टा उद्योग में कार्यरत करीब तीस लाख लोग बेहद निराशा है. इसकी वजह है केंद्र और राज्य सरकार ने ईंटों पर 12 फीसदी जीएसटी पहले की तरह ही बरकरार रखा है. जबकि ईंट भट्टा उद्योग को पांच फीसदी टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद थी. इस उद्योग की इस उम्मीद को केंद्र और प्रदेश सरकार ने पूरा नहीं किया है. जिसके चलते यूपी में पहले ही तरह ही ईंट भट्टों के लिए छह फीसदी कंपोजिशन स्कीम का प्रावधान जारी रहेगा. और 12 फीसदी टैक्स जारी रहने से ईंटों की कीमतें स्थिर रहेगी. यानी राज्य में ईंटों की कीमतों और उसे बनाने की लागत में कोई कमी नहीं होगी.
यूपी का ईट भत्ता उद्योग :
फिलहाल ईंट भट्टा उद्योग पर लागने वाले जीएसटी को लेकर प्रदेश के प्रमुख सचिव राज्यकर एम. देवराज ने आदेश जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि यूपी में फ्लाई ऐश ईंट, निर्माण ईंट, सिलिकामय मिट्टी की ईंट और छत की टाइल्स पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू होगा. सरकार के इस फैसले को लेकर ईंट भट्टा निर्माण समिति के महामंत्री अतुल सिंह का कहना है कि टैक्स दर कम होने से न केवल ईंटों की लागत घटती बल्कि ग्रामीण निर्माण कार्यों को भी बढ़ावा मिलता, लेकिन, 12 फीसदी टैक्स जारी रहने से ईंटों की कीमतें स्थिर रहेगी और उपभोक्ताओं पर दबाव बना रहेगा. उनका यह भी कहना है कि पहले से ही सरकार के फैसलों के दिक्कतों का सामना कर रहे उद्योग को आगे भी अपनी राह आसान नहीं दिख रही है.
अतुल सिंह कहते हैं कि यूपी में ईंट भट्टा उद्योग गंभीर संकट में है. प्रदेश सरकार द्वारा संशोधित की गई ईंट भट्ठों की नियमावली के तहत पारंपरिक भट्टों को जिग-जैग तकनीक में बदलने या बंद करने पर ज़ोर दे रही है. इस कारण तीन वर्षों में करीब छह हजार ईंट भट्ठों को बंद हो गए. अभी यूपी में करीब 19 हजार ईंट भट्टा स्थापित हैं. अप्रत्याशित बारिश और महंगे कोयले की मार ईंट उत्पादन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है. इसके बाद भी सरकार की तरफ से इस उद्योग दिक्कतों को दूर करने की पहल नहीं की जा रही है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 40 लाख से अधिक लोगों यह उद्योग रोजगार मुहैया करा रहा है. इसके बाद भी केंद्र और राज्य सरकार ने इस उद्योग को टैक्स स्लैब में कोई छूट नहीं दी.
वित्त मंत्री से मिलना बेकार रहा :
अतुल सिंह कहते हैं कि जीएसटी में रियायत देने की जब घोषणा की गई जानी थी, उसके पहले ही ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स और प्रदेश के ईट भट्टा उद्योग में लगे लोग केंद्रीय वित्त मंत्री से मिले थे. उन्हे इस उद्योग की दिक्कतों के बारे में बताया था और आग्रह किया था कि इस उद्योग पर लगे 12 फीसदी जीएसटी को कम किया जाए. ताकि ईट आदि का निर्माण सस्ता हो. हम सब को उम्मीद थी कि ग्रामीण इलाकों से जुड़े इस श्रम-आधारित उद्योग को राहत मिलेगी, लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. हमारा वित्त मंत्री से मिलना बेकार रहा. दुख तो इस बात भी है कि इस उद्योग पर लगा 12 फीसदी स्लैब भी खत्म नहीं हुआ है. जाहिर हैं कि मकान बना रहे लोगों का सस्ती ईट मिलने का सपना अब पूरा नहीं होगा.