योगी सरकार लाएगी यूपी की पहली एम सैंड पॉलिसी!, जानें क्या होगा असर
By राजेंद्र कुमार | Published: May 31, 2023 07:14 PM2023-05-31T19:14:40+5:302023-05-31T19:16:24+5:30
योगी सरकार ने ने मैन्युफैक्चरिंग सैंड (एम सैंड) के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 'एम सैंड पॉलिसी' लाने का फैसला किया है.
लखनऊः उत्तर प्रदेश के प्रॉपर्टी का कारोबार तेजी से फैल रहा है. राज्य तेजी से होते शहरीकरण और बड़े पैमाने पर हो रही निर्माण गतिविधियों के कारण रेत की मांग में लगातार वृद्धि होती जा रही है. वही दूसरी तरफ रेत की कमी के कारण निर्माण संबंधी गतिविधियों की गति पर प्रभाव पड़ रहा है.
जिसका संज्ञान लेते हुए सूबे की योगी सरकार ने ने मैन्युफैक्चरिंग सैंड (एम सैंड) के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 'एम सैंड पॉलिसी' लाने का फैसला किया है. इस पॉलिसी के ड्राफ्ट को लेकर बुधवार को भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय में अधिकारियों ने विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ गहन चर्चा हुई है.
निदेशालय के अधिकारियों ने इस संबंध में प्रापर्टी कारोबारियों और रेत के कारोबार से जुड़े स्टेकहोल्डर के साथ विचार विमर्श कर 'एम सैंड पॉलिसी' का फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर उसे कैबिनेट के समक्ष रखने का निर्णय किया है. राज्य की खनन सचिव एवं निदेशक रोशन जैकब के अनुसार, पूरे देश में रेत की बढ़ी कीमतों में वृद्धि के कारण एम सैंड की मांग में बढ़ोतरी हुई है.
साथ ही भविष्य में नदियों की रेत के विकल्प के दृष्टिगत भी प्रदेश सरकार पॉलिसी के माध्यम से इसे लागू करना चाहती है. वैसे भी नदियों में बालू कम हो गयी है और इसके खनन में कई प्रतिबंध भी हैं. निकट भविष्य में हमें रेत मिलना कम हो जाएगी. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने कई राज्यों की नीति का अध्धयन करने के बाद पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया गया है.
रोशन जैकब का कहना है कि पॉलिसी बनाने का उद्देश्य भविष्य में सैंड की पूर्ति करना है. ताकि विनिर्माण में क्वालिटी बेहतर हो और उत्पादित एम सैंड बीआईएस के मानकों के अनुकूल हो. एम सैंड की जो क्वालिटी है वो नार्मल सैंड से ज्यादा है. बहुत सारे संस्थानों ने भी इसकी पुष्टि की है.
इन संस्थानों का कहना है कि यूपी में मौरंग की क्वालिटी अच्छी नहीं है. इसलिए जनता को यह समझना होगा की यह सैंड उससे काफी बेहतर होगी. एम सैंड कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े कठोर पत्थरों, मुख्य रूप से चट्टानों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में कुचलकर निर्मित किया जाता है, जिसे बाद में धोया जाता है और बारीक वर्गीकृत किया जाता है.
नदी की रेत के विकल्प के रूप में इसका उपयोग किया जाता है. इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे तरीकों से एम सैंड बनाया जा सकता है. एम सैंड पॉलिसी से इंडस्ट्री को कैपिटल सब्सिडी से लेकर स्टाम्प ड्यूटी तक के लाभ मिल सकेगा. पहले 5 वर्षों में इसमें पावर सब्सिडी का भी प्रावधान होगा.
इसके अलावा सरकारी कॉन्ट्रैक्ट में 25 प्रतिशत तक एम सैंड के इस्तेमाल को अनिवार्य किया जा सकता है, जिसे बाद में 50 प्रतिशत तक किया जाएगा. विभागीय अधिकारी को इसका नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो पॉलिसी को इम्पलीमेंट करेगा। इसका प्रमोशन भी डिपार्टमेंट किया जाएगा.