यूपी सरकार की सख्ती, फिर भी झोलाछाप डॉक्टर कर रहे लोगों का इलाज?, जेल में 500 से अधिक, 8 सालों में 200 बर्खास्त
By राजेंद्र कुमार | Updated: April 19, 2025 17:03 IST2025-04-19T17:01:54+5:302025-04-19T17:03:37+5:30
संभल जिले में झोलाछाप डाक्टरों की धरपकड़ के लिए चलाए गए अभियान के तहत 60 से अधिक अवैध डाक्टरों को पकड़ा गया है.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कानून का पालन कराने के मामले में बेहद सख्त है. सरकार के इसी रुख के चलते राज्य में सक्रिय रहे तमाम बड़े अपराधी सूबे को छोड़ कर चले गए. परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह भी खत्म हो गए, लेकिन राज्य के हर जिले में अभी भी झोलाछाप डॉक्टरों का तंत्र पूरी तरह से टूट नहीं पाया है. जिसके चलते हर सप्ताह प्रदेश में किसी ना किसी जिले में लोगों का इलाज करते हुए झोलाछाप डाक्टर पकड़े जा रहे हैं. बीते सप्ताह सूबे के संभल जिले में झोलाछाप डाक्टरों की धरपकड़ के लिए चलाए गए अभियान के तहत 60 से अधिक अवैध डाक्टरों को पकड़ा गया है.
इस धरपकड़ के आधार पर अब सूबे के प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन ने प्रदेश के सभी 75 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ कड़ा कदम उठाने के निर्देश मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को दिए हैं.
झोलाछाप डॉक्टर जेल भेजे जाए : सीएम योगी
ऐसा नहीं है कि यह आदेश पहली बार दिया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस से कई बच्चों की हुई मौत के बाद पहली बार राज्य में फैले झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करके उन्हे जेल भेजने का आदेश दिया था. तब उन्होने कहा था कि राज्य में सक्रिय झोलाछाप डॉक्टरों और बिना लाइसेंस के संचालित मेडिकल पैथोलॉजी लैब, अल्ट्रासाउंड सेंटर आदि का नेटवर्क ध्वस्त किया जाए. यह आदेश देते हुए सीएम योगी के कहा था कि इन अवैध डॉक्टरों द्वारा गरीब और मासूम जनता का बिना किसी योग्य डिग्री के इलाज किया जा रहा है.
जिससे कई मामलों में लोगों के लिवर और किडनी को नुकसान हो रहा है. तथा इनके गलत उपचार करने से लोगों की जान भी जा रही हैं. सीएम योगी के इस निर्देश के बाद से राज्य में हर जिले में दो-तीन माह के बीच जिलाधिकारी झोलाछाप डॉक्टरों की धरपकड़ का अभियान चलवाते हैं. ऐसे अभियान में तमाम झोलाछाप डॉक्टर और बिना लाइसेंस के चलते रहे पैथोलॉजी लैब आदि पकड़ में आते हैं.
बीते साल लखनऊ में ऐसे ही अभियान के चलते बिना लाइसेंस के चलते जा रहे तीन अस्पताल पकड़ में आए थे. झोलाछाप डॉक्टरों तो लखनऊ, कानपुर, मथुरा, आगरा, फ़तेहपुर, झांसी, ललितपुर, बांदा आदि जिलों के ग्रामीण इलाकों में हर अभियान में पकड़े जाते हैं.
ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों के पकड़े जाने को लेकर नाम ना छपने की शर्त पर कई सीएमओ का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था ना होने और सरकारी डाक्टरों की तैनाती में असमानता होने की वजह से ही लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराते हैं.
इस वजह से सूबे में झोलाछाप डॉक्टरों पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लगाया जा पा रही है. एक अनुमान के अनुसार राज्य में दो लाख से अधिक से भी अधिक बिना डिग्री वाले झोलाछाप डॉक्टर लोगों का इलाज कर रहे हैं.
झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ चल रहा अभियान : बृजेश पाठक
पीएमएस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा. अशोक यादव की यह मानते हैं कि प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों के तंत्र को पूरी तरह से खत्म ना किए जा सकने की यह एक प्रमुख वजह है. वह कहते हैं कि प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों के 19 हजार पद स्वीकृत हैं. परंतु अभी 12 हजार डॉक्टर अस्पतालों में तैनात हैं. मतलब सात हजार पद खाली हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि एक हजार की आबादी पर कम से कम एक डॉक्टर की जरूरत है. पर, अगर उत्तर प्रदेश की आबादी को 22 करोड़ माना जाए तो राज्य में 18 हजार से ज्यादा की आबादी पर एक डॉक्टर हैं. जाहिर है कि प्रदेश में डिग्री वाले डॉक्टरों की कमी है और इस ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के इलाज की व्यवस्था पुख्ता नहीं है.
इसका लाभ उठाते हुए झोलाछाप डॉक्टर लोगों का इलाज कर रहे हैं और शिक्षा की कमी के चलते ग्रामीण लोग इनके चंगुल में फंस कर नुकसान उठा रहे हैं. ग्रामीणों को ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल से बचाने के लिए राज्य के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने गांवों में डाक्टरों की टीम भेजकर लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा इलाज के नाम पर ही जा रही धोखाधड़ी के बारे में बताने का अभियान शुरू किया है. इसके साथ ही उन्होने झोलाछाप डॉक्टरों की धरपकड़ का अभियान तेज किए जाने का निर्देश भी प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को दिया है.
बृजेश पाठक का कहना है, बीते दो वर्षों में पांच सौ से अधिक झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हे जेल भेजा गया. इसके अलावा बीते आठ वर्षों में 200 से अधिक सरकारी डॉक्टरों बिना अवकाश लिए अस्पताल के गायब रहने के चलते बर्खास्त किया गया है. पाठक को उम्मीद है कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान सफल होगा और लोग इनसे इलाज करने में परहेज करेंगे.
झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ हुई कुछ प्रमुख कार्रवाई
1- 07 सितंबर 2024 को फिरोजाबाद में एक 12 वर्षीय बच्चे की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मृत्यु के बाद, दो पैथोलॉजी लैब सहित पांच क्लीनिकों को सील किया. इनमें एक नर्सिंग होम भी शामिल था, जिसके पास कोई पंजीकरण प्रमाणपत्र नहीं था.
2. 03 अक्टूबर 2024 को गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में स्वास्थ्य विभाग ने चार झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक सील किए. मानक पूरा न करने वाले दो नर्सिंग होम को सील किया गया.
3- 23 अक्टूबर 2024 को लखनऊ में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 63 झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए. सभी निजी अस्पतालों को डॉक्टरों की फोटो और संपर्क विवरण प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया.
4 - 08 जनवरी 2023 को गोरखपुर में बिना डिग्री के एक झोलाछाप डॉक्टर द्वारा महिला का ऑपरेशन करने से हुई मृत्यु के बाद, पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और उसके अस्पताल को सील कर दिया.
5. 24 दिसंबर 2024 को कानपुर में स्वास्थ्य विभाग ने अवैध अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ छापेमारी की. 10 झोलाछाप डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया उनकी क्लीनिकों को सील किया गया.
6- 12 जनवरी 2025 को आगरा में स्वास्थ्य विभाग ने एक फर्जी डॉक्टर को पकड़ा और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसके क्लीनिक को सील किया.