Uttar Pradesh: यूपी में आरटीआई के तहत बच्चों का दाखिला ना करने वाले स्कूलों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई
By राजेंद्र कुमार | Updated: June 24, 2025 20:38 IST2025-06-24T20:38:06+5:302025-06-24T20:38:15+5:30
प्रदेश सरकार के तमाम प्रयास और सख्ती के बाद अब तक छह लाख सीटों में से 1.30 लाख सीटों पर ही गरीब परिवारों के बच्चों का एडमिशन (दाखिला) हुआ है. जबकि अच्छे स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों का दाखिला तय सीटों में हर हाल में हो इसके लिए सरकार ने सख्ती करने का निर्देश दिया था.

Uttar Pradesh: यूपी में आरटीआई के तहत बच्चों का दाखिला ना करने वाले स्कूलों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूल मुफ्त दाखिला देने को लेकर आनाकानी कर रहे हैं. प्रदेश सरकार के तमाम प्रयास और सख्ती के बाद अब तक छह लाख सीटों में से 1.30 लाख सीटों पर ही गरीब परिवारों के बच्चों का एडमिशन (दाखिला) हुआ है. जबकि अच्छे स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों का दाखिला तय सीटों में हर हाल में हो इसके लिए सरकार ने सख्ती करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद भी जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) निजी स्कूलों में गरीब बच्चों का एडमिशन कराने का तय लक्ष्य पूरा नहीं कर सके हैं. जबकि एक जुलाई से नए सत्र में पढ़ाई शुरू होगी. ऐसे में इस मामले को लेकर अब बेसिक शिक्षा निदेशालय प्रवेश न देने वाले निजी स्कूलों पर सख्ती करेगा और स्कूलों को नोटिस जारी कर गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला ना करने का कारण पूछा जाएगा. उचित वजह ना बता पाने वाले निजी स्कूलों पर इसके बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जिसके तहत निजी स्कूलों पर जुर्माना लगाने और उनकी दी गई एनओसी रद्द की जा सकती है.
प्रदेश की महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के अनुसार, हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में यह पाया गया कि सूबे में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए इस वर्ष आवंटित की गयी 1,85,675 सीटों में से 55,401 सीटें अभी नहीं भर पाईं हैं. संकड़ों निजी स्कूलों ने उस बच्चों का अभी तक आरटीई के तहत दाखिला नहीं किया है. यहीं नहीं प्रदेश में 26 जिले ऐसे हैं जहां पर आवंटित की गई सीटों में से भी 30 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं. यह स्कूल बच्चों का दाखिला लेने में आनाकानी कर रहे हैं.
इस कारण अब बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इस मामले में जवाब मांगा गया है. कंचन वर्मा के मुताबिक इस शैक्षिक सत्र यानी वर्ष 2025-26 में गरीब परिवार के 3,34,953 बच्चों के आवेदन फॉर्म आए थे. इसमें से 2,52,269 बच्चों के फॉर्म स्वीकृत किए गए. इसके बाद निजी स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला करने के लिए 1,85,675 सीटों को आवंटित किया गया. गरीब परिवारों के बच्चों का दाखिला करने के लिए चार चरणों में की गई आवेदन प्रक्रिया में अभी तक 55,401 सीटें निजी स्कूलों में भरी नहीं गई हैं.
निजी स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला करने में स्कूल प्रबंधकों द्वारा की जा रही आनाकानी को लेकर सभी बीएसए को निर्देश दिए गए हैं कि वह आवंटित की गयी सभी सीटों पर प्रवेश कराएं और इस मामले में जिलाधिकारी को जानकारी देकर सख्त कार्रवाई करें. कंचन वर्मा का कहना है कि निजी स्कूल सरकार से तमाम तरह की मदद लेते है और उन्हे आरटीई एक्ट 2009 के तहत गरीब परिवारों के बच्चों का दाखिला करना अनिवार्य है. जिसके चलते उन निजी स्कूल को नोटिस जारी कर उनके गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला ना देने का करना पूछा जाएगा.
इस मामले में साक्ष्य सहित जवाब ना देने पर आरटीई एक्ट 2009 के उल्लंघन, निशुल्क शिक्षा के अधिकार के हनन, शासकीय कार्यों में बाधा डालने के आधार पर विधिक कार्रवाई की जाएगी. फिर निजी स्कूलों एनओसी रद्द कर मान्यता के प्रत्याहरण की कार्रवाई भी का जा सकती है. उनका यह भी कहना है कि सरकार की सख्ती के चलते इस बार आरटीई के तहत सबसे अधिक दाखिले हुए हैं. जबकि वर्ष 2023-24 में 92 लाख और वर्ष 2024-25 में 1.01 लाख गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला हुआ था.
अब तक जिलों में सीटें खाली :
इस संबंध में हुई समीक्षा में यह पाया गया है कि इस वर्ष आवंटित की गईं सीटों में से मुरादाबाद में 67 प्रतिशत, कानपुर में 52 प्रतिशत, मेरठ में 47 प्रतिशत, गाजियाबाद में 48 प्रतिशत, कन्नौज में 41 प्रतिशत, गोरखपुर में 38 प्रतिशत, गौतमबुद्ध नगर में 37 प्रतिशत, कानपुर देहात और वाराणसी में 35 प्रतिशत तथा अयोध्या और बलिया में 34 प्रतिशत सीटें अभी तक नहीं भर पायी हैं. जबकि गोंडा में आवंटित सीटों में से 94 प्रतिशत, फिरोजाबाद में 93 प्रतिशत, प्रतापगढ़ व ललितपुर में 92 प्रतिशत तथा श्रावस्ती और हरदोई में 91 प्रतिशत सीटों को भर लिया गया.