उत्तर प्रदेश: पिछड़ा-दलित-मुस्लिम से साथ सवर्णों को नजदीक लाएगी सपा, हर जिले में करेगी क्षत्रिय और ब्राह्मण सम्मेलन
By राजेंद्र कुमार | Published: July 14, 2023 08:22 PM2023-07-14T20:22:29+5:302023-07-14T20:22:29+5:30
सपा क्षत्रियों और ब्राह्मणों से नजदीकियां बढ़ाने के लिए क्षत्रिय और ब्राह्मण सम्मेलन तथा क्षत्रिय और ब्राह्मण मिलन समारोह आयोजित करेगी। पार्टी के इस फैसले के तहत आगामी 23 जुलाई को लखनऊ के इटौंजा में सपा का पहला क्षेत्रीय सम्मेलन होगा।
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने वोट बैंक में इजाफा करने के लिए उत्तर प्रदेश में महाजनसंपर्क अभियान चला रही है, तो समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने भी ने जातीय जनगणना और पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) के नारों के बीच सवर्णों (अगड़ों) को पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है।
इस सोच के तहत सपा क्षत्रियों और ब्राह्मणों से नजदीकियां बढ़ाने के लिए क्षत्रिय और ब्राह्मण सम्मेलन तथा क्षत्रिय और ब्राह्मण मिलन समारोह आयोजित करेगी। पार्टी के इस फैसले के तहत आगामी 23 जुलाई को लखनऊ के इटौंजा में सपा का पहला क्षेत्रीय सम्मेलन होगा। इसके बाद इसी तर्ज के राज्य के अन्य जिलों में भी क्षत्रिय और ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
क्षत्रिय और ब्राह्मण मिलन समारोह भी हर जिले में पार्टी के नेता आयोजित करेंगे। इन आयोजनों में पार्टी के सीनियर नेता शामिल होंगे और क्षत्रिय तथा ब्राह्मण समाज के प्रबुद्ध लोगों को सम्मानित करेंगे। पार्टी नेताओं के अनुसार बीते लोकसभा और विधानसभा में सपा को ब्राह्मण और क्षत्रिय का समर्थन कम मिला था। इन दोनों ही चुनावों के नतीजों के बाद पार्टी के सीनियर नेताओं ने सपा से ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज के दूर होने की बात कही थी।
बीते लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन होने के बाद भी कन्नौज से डिंपल यादव की हुई हार ने इस दावे को हवा दी थी। इसके बाद बीते विधानसभा चुनावों में सपा के पक्ष में माहौल बनने के बाद भी पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली तो इस दावे को मजबूती मिली।
विधानसभा के चुनाव में सपा तमाम ऐसी सीटों पर जीत हासिल करने से चूक गई जहां ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटरों की संख्या अधिक थी, जिसके चलते ही अखिलेश यादव दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज को पार्टी के साथ जोड़ने की मुहिम चलाते हुए अब ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज की नजदीकी पाने की मुहिम शुरू कर रहे हैं। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के अनुसार, क्षत्रिय और ब्राह्मण समाज से संवाद करने को अभी कोई औपचारिक रूप नहीं दिया गया है।
सपा में उक्त समाज के नेता ही इस मुहिम को शुरू कर रहे हैं। आगरा के बाह में भी इन विचार की शुरुआत करते हुए बीते मार्च में क्षत्रिय सम्मेलन आयोजित हुआ था. तब सपा नेताओं, समर्थकों के अलावा दूसरे दलों में सक्रिय क्षत्रिय बिरादरी से जुड़े लोगों को बुलाया गया था। पार्टी नेताओं की इस पहल को क्षत्रिय समाज का बहुत समर्थन मिला और उसके बाद ही ऐसे आयोजन हर जिले में करने का विचार बना।
फिर पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने क्षत्रिय और ब्राह्मण समाज दोनों से ही संवाद करने और दोनों समाज की अपेक्षाओं को सम्मेलन में उठाने की बात कही। इसी क्रम में अब 23 जुलाई की क्षत्रिय समाज मिलन समारोह इटौंजा में आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम राजपरिवार से जुड़े दिग्विजय प्रताप सिंह कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह के अनुसार, क्षत्रिय समाज मिलन के कार्यक्रम में क्षत्रिय समाज के लोगों को पार्टी से रिश्ते और उनकी भागीदारी याद दिलाई जाएगी। मुलायम से लेकर अखिलेश तक की क्षत्रिय नेताओं से केमिस्ट्री, सरकार में भागीदारी, चुनाव में टिकट आदि के आंकड़ों के जरिए यह बताया जाएगा कि सपा ने हर वर्ग के लिए काम किया है और पार्टी क्यों पिछड़ा-दलित-मुस्लिम समाज के लोगों से संवाद कर पार्टी के काम व मुद्दे रख रही है।
जूही सिंह कहती हैं कि सपा सरकार में समाज के हर वर्ग के लिए काम हुआ. सबकी भागीदारी व विकास ही सपा की मूल राजनीति है. भाजपा झूठा प्रचार कर रही है. अखिलेश यादव अलग-अलग वर्गों में लोगों से संवाद कर पार्टी के काम व मुद्दे रख रहे हैं। हर वर्ग की जिज्ञासाओं और अपेक्षाओं का समाधान कर रहे हैं।
इसी कड़ी में यह आयोजन भी है, जिसमें समाज से जुड़े विभिन्न लोगों को बुलाया गया है। सहमति-असहमति हर मुद्दे पर हम संवाद करेंगे। भाजपा के झूठ का जवाब देते हुए सपा क्षत्रिय और ब्राह्मण समाज को अपने साथ जोड़ते हुए योगी सरकार में उनकी हो रही अनदेखी को उजागर करेगी।