बारिश में 'गड्ढों का गढ़' बना उत्तर प्रदेश का हर जिला?, लखनऊ में सीएम आवास के पास लोहिया पथ बेहाल, सड़कें कम गढ्ढे ज्यादा
By राजेंद्र कुमार | Updated: August 25, 2025 17:46 IST2025-08-25T17:45:58+5:302025-08-25T17:46:52+5:30
Uttar Pradesh rain: करीब 33,200 करोड़ रुपए सड़क निर्माण पर खर्च करने वाले पीडब्ल्यूडी की बनाई सड़के हर साल ही कुछ दिनों की बारिश में इसी तरफ से गड्डों से भर जाती हैं.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में इस माह हुई बारिश ने सूबे के हर जिलों की सड़कों की हकीकत को उजागर कर दिया है. राज्य के हर जिले में शायद ही कोई ऐसी सड़क हो जो इस समय गड्डों से भरी ना हो. हर सड़क के चेहरों पर गड्डों की शक्ल में बेशुमार मुहासे उभरे दिखाई दे रही हैं. गड्डों से युक्त ये सड़कें सूबे के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बनाई हैं और वर्तमान में इस विभाग की कमान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों में हैं. करीब 33,200 करोड़ रुपए सड़क निर्माण पर खर्च करने वाले पीडब्ल्यूडी की बनाई सड़के हर साल ही कुछ दिनों की बारिश में इसी तरफ से गड्डों से भर जाती हैं.
सूबे की सड़कों यह हालत देखकर ही सपा ने अब टूटी सड़कों को ठीक कराने के लिए हर जिले में जिलाधिकारी को ज्ञापन देने का फैसला किया है. ताकि जिले की टूटी सड़कों को ठीक कराने के लिए अधिकारियों को मजबूर किया जा सके.
सड़के बदहाल है और लोग परेशान
उत्तर प्रदेश में पीडब्ल्यूडी नई सड़कों का निर्माण करने के साथ ही करीब 1.14 लाख किलोमीटर सड़कों के नेटवर्क की देखरेख करता है. इसके बाद भी हर साल जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश के चलते पीडब्ल्यूडी की बनाई सड़कों का गड्डों से भर जाना सालाना दस्तूर बन चुका है. गत वर्ष भी पीडब्ल्यूडी की बनाई सड़कों का यही हाल हुआ था.
तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सभी सड़कों को 10 अक्टूबर तक पूरी तरह गड्डों से मुक्त करने का आदेश दिया था. मुख्यमंत्री के इस आदेश के अब फिर से नौ महीने के भीतर ही सड़कें फिर से पुराने हाल में पहुंच गई हैं. इस कारण राज्य में दुर्घटनाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है. लोगों को चोट लग रही हैं.
वही सूबे में प्रदेश सरकार के लगातार आठ वर्षों से चलाये जाने वाले गड्ढा मुक्ति अभियान की भी पोल खुल रही है. योगी सरकार का गड्ढा मुक्ति अभियान वर्ष 2018 में पहली बार शुरू हुआ था. जिसके तहत प्रदेश भर में सड़कों को गड्डों से मुक्त करने के लिए करीब 1500 करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि स्वीकृत की गई.
इस धनराशि के सूबे की सड़कों के गड्डों को भरा गया था. इसके बाद से सूबे में अब हर साल ही यह अभियान चलाया जा रहा है. इससे यह जाहिर होता है कि राज्य में सड़कों का निर्माण उच्च मानकों के अनुरूप नहीं हो रहा है, जिसके चलते कुछ दिनों की बारिश में ही सड़कों की ऊपरी परत उखड़ जाती है और देखते ही देखते सड़के गड्डों से भर जा रही है.
यही वजह है की बीते वर्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी के निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए सड़कों को गड्ढामुक्त करने और सड़कों के नवनिर्माण के अभियान की जियो टैगिंग कराने के निर्देश दिए थे. और यह भी कहा कहा था कि इसे पीएम गतिशक्ति पोर्टल से जोड़ा जाए ताकि कार्य की गुणवत्ता की मॉनीटरिंग की जा सके. सीएम योगी के इस आदेश के बाद भी फिर प्रदेश भर में लोग गड्डों से भरी सड़कों पर चलाने को मजबूर हो रहे हैं. कुल मिलकर यह कहे यूपी की सड़के बदहाल है और लोग परेशान.
इसलिए अखिलेश यादव ने की पहल
लखनऊ में भी सीएम के आवास के समीप बने करीब आठ किलोमीटर लंबे लोहिया पथ की शानदार सड़क की ऊपरी परत बारिश के पानी में उखड़ गई है. इस सड़क पर मंत्रियों की बड़ी-बड़ी गाड़ियां के साथ ही करीब पांच लाख से अधिक कारें, बस, मोटरसाइकिल और स्कूटर गुजरते हैं. जाहिर है कि उक्त सड़क की हालत रोज खराब हो रही है.
इसका संज्ञान लेते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं को जिलों में टूटी सड़कों को ठीक कराने के लिए जिलाधिकारी को ज्ञापन देने का निर्देश दिया है, ताकि जिले की सड़क ठीक कराने में अधिकारी रुचि ले और जनता को गड्डों से भरी सड़क ने निजात मिले.
अखिलेश यादव एक इस फैसले को लेकर सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल कहते हैं कि देश और सूबे में खराब सड़कों के सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं. इस साल जनवरी से जून तक देश भर में हुई कुल 25,830 सड़क दुर्घटनाओं से 14,205 लोगों की मौत हुई हैं. इसमे 40 प्रतिशत से अधिक दुर्घटनाएँ यूपी में हुई हैं.
इसलिए सड़कों की हालत को ठीक करने में सरकार रुचि ले और प्रदेश में सड़कों को गड्ढामुक्त करने के अभियान में बड़े स्तर पर हो रहे घोटाले की जांच कराए. वह कहते हैं कि हर साल प्रदेश सरकार करीब दो हजार करोड़ रुपए खर्च करती है, इसके बाद भी हर साल बारिश होती ही गड्डों से भर जाती है, इसलिए सरकार इसकी जांच कराए, ताकि सड़क निर्माण में होने वाली धांधली पर रोक लग सके.