यूपी में बेसिक शिक्षक पा रहे सम्मान, विवि शिक्षकों की हो रही अनदेखी?

By राजेंद्र कुमार | Updated: September 5, 2025 18:39 IST2025-09-05T18:34:38+5:302025-09-05T18:39:11+5:30

फिर आखिर क्यों यूपी में वर्ष 2019 के बाद से विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के शिक्षकों को बिना कोई कारण बताए ही उच्च शिक्षा विभाग शिक्षक श्री और सरस्वती सम्मान से नवाज नहीं रहा है.

uttar pradesh Basic teachers getting respect in UP university teachers being ignored | यूपी में बेसिक शिक्षक पा रहे सम्मान, विवि शिक्षकों की हो रही अनदेखी?

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Highlightsउच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि अभी सूबे के सभी मंडलों में उच्च शिक्षा अधिकारी का कार्यालय नहीं है।विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर शिक्षक श्री और सरस्वती सम्मान से नवाजता था.तीन-तीन लाख रुपए और अन्य उपहार दिये जाते थे. इन दोनों ही श्रेणी में चयनित शिक्षकों को दो साल का सेवा विस्तार भी मिलता था.

लखनऊः उत्तर प्रदेश की सरकार ने शुक्रवार को अखबारों में विज्ञापन छपवा कर प्रदेश की जनता को शिक्षक दिवस की शुभकामना दी, लेकिन आज के दिन प्रदेश सरकार फिर से विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के शिक्षकों को सम्मान से नवाजा भूल गई. बीते छह वर्षों से राज्य में यह हो रहा है, जबकि हर पांच सितंबर को बेसिक और माध्यमिक शिक्षकों को राज्य तथा राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जा रहा है. फिर आखिर क्यों यूपी में वर्ष 2019 के बाद से विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के शिक्षकों को बिना कोई कारण बताए ही उच्च शिक्षा विभाग शिक्षक श्री और सरस्वती सम्मान से नवाज नहीं रहा है.

इस सवाल को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि अभी सूबे के सभी मंडलों में उच्च शिक्षा अधिकारी का कार्यालय नहीं है, कार्यालय खोले जा रहे हैं, जल्दी ही अच्छे शिक्षकों का चयन कर उनको सम्मानित किया जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्री का यह कथन अपनी खामी पर पर्दा डालने वाला है, क्योंकि राज्य में बेसिक और माध्यमिक शिक्षकों की तरह ही उच्च शिक्षा विभाग हर साल विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर शिक्षक श्री और सरस्वती सम्मान से नवाजता था.

शिक्षक श्री सम्मान शोध और शैक्षिक कार्य के आधार पर विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से चयनित किए गए के तीन-तीन शिक्षकों को दिये जाते थे, इन शिक्षकों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए देने के साथ ही एक प्रशस्ति पत्र तथा शाल देकर सम्मानित किया जाता था. जबकि सरस्वती सम्मान में विश्वविद्यालय के एक शिक्षक तथा महाविद्यालय के दो शिक्षकों का चयन कर उनको तीन-तीन लाख रुपए और अन्य उपहार दिये जाते थे. इन दोनों ही श्रेणी में चयनित शिक्षकों को दो साल का सेवा विस्तार भी मिलता था.

सूबे में वर्ष 2019 को यह पुरस्कार शिक्षकों को दिए गए थे. वर्ष 2020 में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के शिक्षकों को पुरस्कार देने की घोषणा जरूर ही गई इसके लिए तैयार हुई सूची के शिक्षकों का सम्मान किया ही नहीं गया. तब से लेकर अब तक सूबे के विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में कार्यरत हजारों शिक्षक शिक्षक श्री और सरस्वती सम्मान शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.

उच्चशिक्षा मंत्री का कथन

उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के संयुक्त मंत्री गांगेय दीक्षित कहते हैं कि शिक्षक सम्मान मिलने से शिक्षक को अपने शैक्षिक कार्य को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलता था. सम्मान पाने के लिए हर शिक्षक इसके लिए काफी तैयारी करता था, लेकिन अब यह उत्साह थम सा रहा है

क्योंकि प्रदेश सरकार बिना कोई कारण बताए ही विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के शिक्षकों शिक्षकों श्री और सरस्वती देने का ऐलान कई वर्षों से कर ही नहीं रही है. सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. इस बारे में उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि अभी प्रदेश के आठ मंडलों में ही क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के कार्यालय हैं.

अब हर मण्डल में कार्यालय खोले जा रहे हैं. इनके सक्रिय होने के बाद शिक्षकों से आवेदन लेकर बेहतर तरीके से प्रक्रिया पूरी की जाएगी. और जल्द ही अच्छे शिक्षकों का चयन कर उनको सम्मानित किया जाएगा. और यह कब तक होगा? इस सवाल का कोई ठोस जवाब उच्च शिक्षा मंत्री नहीं देते. कहा जा रहा है कि अभी दो साल तक शिक्षकों को उक्त पुरस्कार पाने का इंतजार करना होगा.

Web Title: uttar pradesh Basic teachers getting respect in UP university teachers being ignored

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