उत्तर प्रदेशः मंत्री और विधायक के बाद राज्यपाल आनंदीबेन भी अफसरों से खफा?, कहा-रामलला के दर्शन आसान, फाइल टेबल दर टेबल भटक...
By राजेंद्र कुमार | Updated: August 5, 2025 17:22 IST2025-08-05T16:45:03+5:302025-08-05T17:22:52+5:30
Uttar Pradesh: फाइल एक टेबल पर पहुंचती है तो वहां कमियां निकाली जाती हैं. फिर दूसरे टेबल पर फाइल जाती है तो वहां और कमियां निकाली जाती हैं.

Anandiben
लखनऊः उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के तमाम मंत्री और विधायक नौकरशाहों पर मनमानी का आरोप लगाते रहे हैं. अब इस क्रम में यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन भी शामिल हो गई हैं. आनंदीबेन यूपी में सबसे लंबे समय तक राज्यपाल की कुर्सी पर तैनात रहने वाली राज्यपाल है. जाहिर है कि उन्होंने सूबे के नौकरशाहों के क्रियाकलापों का गंभीरता से आकलन किया है. इसी आधार पर गत सोमवार को उन्होने अयोध्या में यह कहा कि रामलला के दर्शन करने के लिए लोग यहां दूर-दूर से आते हैं. उनको आसानी से रामलला के दर्शन हो जाते हैं, लेकिन सरकारी दफ्तरों में फाइल मंजूरी के लिए अफसरों के टेबल दर टेबल भटकती हैं. फाइल एक टेबल पर पहुंचती है तो वहां कमियां निकाली जाती हैं. फिर दूसरे टेबल पर फाइल जाती है तो वहां और कमियां निकाली जाती हैं.
यही मामला तीसरी और चौथे टेबल पर भी होता है. मेरा सभी सरकारी अधिकारियों से यही कहना है कि पहली टेबल पर जो बैठा है वही सारी कमियां निकालकर फाइल को पास कर दे. राज्यपाल आनंदी बेन के इस कथन से सूबे की नौकरशाही में हड़कंप है. कहा जा रहा है कि अब जल्दी ही बड़े पैमाने पर राज्य में अहम कुर्सियों पर लंबे समय से काबिज अधिकारी हटाए जाएंगे.
योगी सरकार इन मंत्रियों ने अफसरों पर लगाए आरोप
इस चर्चा के शुरू होने की मुख्य वजह बीते तीन माह के भीतर योगी सरकार के कई प्रमुख मंत्रियों का नौकरशाहों को नाम लेकर आरोप लगाना है.कई विधायकों ने भी सार्वजनिक तौर पर यह कहा है कि जिले में तैनात अधिकारी उनकी सुनते नहीं हैं. उनका फोन नहीं उठाते और मिलने के लिए समय तक नहीं देते हैं.
बीते माह सूबे के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह जो सूबे के औद्योगिक विकास आयुक्त का पद भी संभाल रहे थे पर यह आरोप लगाया था कि वह उनके पास फाइल तक नहीं भेजते. मनोज कुमार सिंह विभागीय मंत्री की इस तरह से उपेक्षा करते हैं, मुख्यमंत्री योगी को लिखे पत्र में उन्होंने इसका ब्यौरा भी लिखा था.
इसी प्रकार बीते माह ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भी अपने विभाग के अफसरों के खिलाफ खुलेआम नाराजगी व्यक्त की थी. उन्होने कहा था कि वह अपने विभाग में एक जेई का तबादला तक नहीं कर सकते और उनको बदनाम करने की मुहिम चलाई जा रही है. विभागीय अफसरों के रवैये से खफा एके शर्मा ने सोशल मीडिया पर यह लिखा था, अधिकारियों ने फोन उठाना पूरी तरह से बंद कर दिया है.
स्थिति पहले से ही खराब थी, और अब यह और भी बदतर हो गई है. इसी प्रकार तकनीकी शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने एक पार्टी बैठक में आरोप लगाया था कि उनके विभाग के अधिकारी सरकारी धन का उपयोग अपना दल (एस) को बदनाम करने के लिए कर रहे हैं. सूबे के स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रविन्द्र जायसवाल को बिना दिखाए अधिकारियों ने विभाग में अफसरों की तबादला सूची ही जारी कर दी थी.
मंत्री के शिकायत करने पर सीएम ऑफिस ने तबादला सूची को रद्द किया. आयुष विभाग में भी ऐसा किया गया तो आयुष मंत्री ने इस पर आपत्ति की तो तबादला सूची जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई. इसी तरह पिछले हफ्ते, महिला एवं बाल कल्याण राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने कानपुर पुलिस के खिलाफ धरना दिया.
राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने आरोप लगाया गया कि उनके समर्थकों को अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. शुक्ला कानपुर देहात के अकबरपुर-रनिया से विधायक हैं. जबकि दो दिन पहले लखनऊ के मेयर को नगर आयुक्त ने नगर निगम ही एक अहम बैठक में बुलाया ही नहीं. जिसके चलते मेयर महोदया ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर उनके व्यवहार पर नाराजगी जताई.
सीएम योगी ने शुरू किया मंडलवार संवाद
ऐसा नहीं है कि बीते तीन माह से ही सूबे के मंत्री और विधायक नौकरशाहों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. विधायकों और अधिकारियों के बीच लगभग दो वर्षों से तनाव सूबे में बढ़ रहा है. अब पंचायत चुनावों और उसके बाद 2027 के विधानसभा चुनावों के कारण विरोध के सुर ज्यादा सुनाई पड़ रहे हैं.
गाजियाबाद के भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर कहते हैं अधिकारी जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल की परवाह किए बिना मनमाने ढंग से काम करते हैं. जबकि हम लोग जनता के प्रति जवाबदेह हैं. हम जब सड़क की मरम्मत, बिजली कनेक्शन की बहाली या भूमि रिकॉर्ड सुधार जैसे मुद्दों को उठाते हैं तो हम अक्सर खुद को असहाय पाते हैं.
क्योंकि अधिकारी हमारे प्रार्थना पत्रों कर एक्शन नहीं लेते, हमारे फोन तक नहीं उठाते. यही नहीं जब हम वरिष्ठ नेताओं या मंत्रियों से संपर्क करते हैं, तो वे भी हाथ खड़े कर देते हैं. वह कहते हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक हम सबने नौकरशाहों के व्यवहार को लेकर शिकायत ही तो अब सीएम साहब ने मंत्री-विधायकों की समस्याओं के निदान के लिए 'मंड़लवार संवाद' शुरू किया है.
इसके तहत हर मण्डल में सीएम योगी सांसद और विधायक की मौजूदगी में अधिकारियों के साथ क्षेत्र के विकास को लेकर चर्चा कर रहे हैं. जिसमें पार्टी के नेता खुलकर अपनी बात रख रहे हैं. नंद किशोर गुर्जर को उम्मीद है कि सीएम साहब के इस प्रयास ने अफसरों के व्यवहार में परिवर्तन दिखेगा.